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Wheat Export Ban: भारत ने गेहूं एक्पोर्ट पर लगाया प्रतिबंध, बाजार संभालने की कोशिश

Wheat Export Ban: 2021-22 में भारत ने रिकॉर्ड 7.8 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Ragini Sinha
Published on: 14 May 2022 4:32 AM GMT
India imposed restrictions on wheat export
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भारत ने गेहूं एक्पोर्ट पर लगाया प्रतिबंध (Social media)

Wheat Export Ban Today: केंद्र सरकार ने देश से सभी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये फैसला अप्रैल में वार्षिक उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंचने के एक दिन बाद आया है। इसके अलावा खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई है।

सरकार के नए आदेश में हाई प्रोटीन ड्यूरम और सामान्य नरम ब्रेड वाली किस्मों सहित सभी गेहूं के निर्यात को 13 मई से "मुक्त" से "निषिद्ध" श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया है। वाणिज्य विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि अब से केवल दो प्रकार के शिपमेंट की अनुमति होगी। पहला है - भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर। दूसरा - संक्रमणकालीन व्यवस्था के तहत निर्यात जहां इस अधिसूचना की तारीख को या उससे पहले अपरिवर्तनीय क्रेडिट नोट जारी किया गया है, जैसा कि निर्धारित दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने के अधीन है।

खरीद में गिरावट

बताया जाता है कि गेहूं की सरकारी खरीद घट रही है। ऐसी संभावना है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा गेहूं की खरीद चालू विपणन सत्र में पिछले साल के अब तक के उच्चतम स्तर से घटकर इस बार 15 साल के निचले स्तर पर आ जाएगी। इस बार 18.5 मिलियन टन (एमटी) संभावित खरीद होगी। ये आंकड़ा 2007-08 में 11.1 मिलियन टन खरीद के बाद से सबसे कम होगा। किसान ज्यादातर अप्रैल से मध्य मई तक बेचते हैं, हालांकि सरकारी गेहूं की खरीद तकनीकी रूप से जून तक और विपणन सीजन अगले मार्च तक फैली हुई है।

इसके अलावा, यह पहली बार होगा कि नई फसल (18.5 मिलियन टन) से खरीदा गया गेहूं विपणन सीजन (19 मिलियन) की शुरुआत में सार्वजनिक स्टॉक से कम है। ताजा खरीद हमेशा शुरुआती शेष स्टॉक से अधिक रही है। 2006-07 और 2007-08 के पिछले दो कम खरीद वर्षों के दौरान भी ऐसा ही था। यह वर्ष एक अपवाद होगा और 2021-22 के बिल्कुल विपरीत होगा, जिसमें शुरुआती स्टॉक (27.3 मिलियन टन) और खरीद (43.3 मिलियन टन) दोनों का स्तर अभूतपूर्व था।

इस बार खरीद 15 साल के निचले स्तर पर चले जाने के दो मुख्य कारण हैं - एक्सपोर्ट डिमांड और कम उत्पादन।

कई किसान भी अपनी फसल रोक रहे हैं।

2021-22 में भारत ने रिकॉर्ड 7.8 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया। रूस-यूक्रेन का वैश्विक गेहूं निर्यात में 28 फीसदी से अधिक का योगदान है लेकिन युद्ध के चलते ये बुरी तरह बाधित है। जिसके कारण कीमतें आसमान छू रही हैं और भारतीय अनाज की मांग में और वृद्धि हुई है। शुक्रवार को शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड एक्सचेंज में गेहूं का वायदा भाव 407.30 डॉलर प्रति टन पर बंद हुआ, जो एक साल पहले 276.77 डॉलर था। भारतीय गेहूं लगभग 350 डॉलर या 27,000 रुपये प्रति टन पर निर्यात हो रहा है।

दूसरा कारण कम उत्पादन है। फरवरी के मध्य में, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 2021-22 की गेहूं की फसल (2022-23 बिक्री स्तर) का आकार 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया, जो पिछले वर्ष के 109.59 मिलियन टन के उच्च स्तर को भी पार कर गया। लेकिन मार्च की दूसरी छमाही से तापमान में अचानक वृद्धि ने पैदावार पर असर डाला है। अधिकांश गेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में - मध्य प्रदेश को छोड़कर, जहां फसल मार्च के मध्य तक तैयार हो जाती है - किसानों ने प्रति एकड़ पैदावार में 15-20 फीसदी की गिरावट दर्ज की है।

ज्यादा निर्यात मांग और कम फसल के परिणामस्वरूप भारत के कई हिस्सों में खुले बाजार में गेहूं की कीमतें एमएसपी को पार कर गई हैं। कीमतों के और बढ़ने की उम्मीद में केवल व्यापारी और मिल मालिक ही स्टॉक नहीं कर रहे हैं बल्कि कई किसान भी अपनी फसल रोक रहे हैं। किसानों द्वारा इस तरह की "जमाखोरी" हाल के दिनों में सोयाबीन और कपास में भी देखी गई थी, जो फिर से अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी से प्रेरित थी।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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