TRENDING TAGS :
Mahatma Gandhi: कौन बना रहा गांधी के सपनों का स्वच्छ भारत
Mahatma Gandhi: महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मां भारती को आजाद कराया था। ये कोई भी मानेगा कि जिस स्वच्छता अभियान का 2014 में श्रीगणेश हुआ था, उसका बड़े पैमाने पर असर देखने को मिल रहा है।
Mahatma Gandhi: महात्मा गांधी का दिल्ली के मंदिर मार्ग पर स्थित वाल्मिकि मंदिर में देश की आजादी से पहले रहना बेहद खास था। वे वहां 1 अप्रैल 1946 से 10 जून,1947 तक रहे। वे शाम के वक्त मंदिर से सटी वाल्मिकी बस्ती में रहने वाले परिवारों के बच्चों को पढ़ाते थे। गांधी जी वहां पर स्थानीय वाल्मिकी परिवारों के बच्चों को पढ़ाते हुए उन्हें साफ-सुथरा रहने के महत्व को बताते थे। वे अपने उन विद्यार्थियों को फटकार भी लगा देते थे, जो कक्षा में स्वच्छता पर ध्यान नहीं देते थे। अब जब गांधी जयंती आने में अब कुछ ही दिन शेष हैं, तो इस सवाल पर भी विचार करना होगा कि मौजूदा सरकार के सत्तासीन होने से पहले देश में साफ-सफाई को लेकर किसी तरह का कोई आंदोलन क्यों नहीं चल रहा था?
हां, गांधी जी का नाम उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर बहुत लिया जाता रहा है । आप मानेंगे कि गांधी जी के स्वच्छता को लेकर रही सोच को आगे बढ़ाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की। साल 2014 में यह मुहिम छेड़ी गई और यह ऐसा पहला अवसर था जब देश के किसी प्रधानमंत्री ने स्वच्छता के लिए जनभागीदारी का आह्वान किया। संयोग देखिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी वाल्मीकि बस्ती में अपने हाथों से झाड़ू लगाकर 'स्वच्छ भारत' अभियान की शुरुआत की थी, जहां पर बापू रहे थे और साफ-सफाई को लेकर बड़े-बच्चों को बताया करते थे।
देखिए महात्मा गांघी ने जिस भारत का सपना देखा था, उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एंव विकसित देश की कल्पना भी थी। महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मां भारती को आजाद कराया था। ये कोई भी मानेगा कि जिस स्वच्छता अभियान का 2014 में श्रीगणेश हुआ था, उसका बड़े पैमाने पर असर देखने को मिल रहा है। देखते ही देखते यह मिशन जनआंदोलन बन गया और अब इस मिशन के नौ साल पूरे होने जा रहे हैं, तो वास्तव में स्वच्छता की दृष्टि से तस्वीर काफी हद तक बदली हुई नजर आ रही है। फिर भले ही उसमें देश की राजधानी में हुए जी-20 सम्मलेन का अहम योगदान रहा हो या फिर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत किए गए ऐसे प्रयासों का, जो पहले कभी नहीं हुए।
अब देश के विभिन्न शहरों के निकायों में अपने शहर को सबसे अधिक स्वच्छ रखने की एक स्वस्थ होड़ सी मची हुई है। भारत सरकार की तरफ से देश के सबसे साफ-शहरों की सूची भी जारी होने लगी है। सरकार के ताजा वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने लगातार छठीं बार स्वच्छ शहर का खिताब अपने नाम कर लिया है। देश के टॉप 10 स्वच्छ शहरों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही के एक कार्यक्रम में पुरस्कृत किया। इस सूची को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी की देखरेख में उनका मंत्रालय हर वर्ष तैयार करता है। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की प्रगति आंकने के लिए विभिन्न स्वच्छता और स्वच्छता मानकों के आधार पर शहरी स्थानीय निकायों को रैंक करने के लिए सर्वे देश भर के शहरों में किया जाता है।
देश के दस सबसे साफ शहरों की सूची में देश की राजधानी नई दिल्ली और नवी मुंबई जैसे मेट्रो सिटी भी शामिल हैं। बड़े शहरों के अलावा, हरिद्वार को 1 लाख से अधिक आबादी की श्रेणी में सबसे स्वच्छ गंगा शहर घोषित किया गया। वहीं शिव की नगरी वाराणसी और ऋषिकेश को भी इसमें शामिल किया गया है। इसके अलावा महाराष्ट्र के देवलाली को देश का सबसे स्वच्छ छावनी बोर्ड का खिताब मिला है। अब उन शहरों की सूची को भी देख लेते हैं, जो देश के दस सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल किये गये हैं। इनमें इंदौर के बाद सूरत, नवी मुंबई, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, भोपाल, तिरुपति, मैसूर, नई दिल्ली, अंबिकापुर शामिल हैं।
यह सही है कि गांधी जी के स्वच्छ भारत का सपना देश के समक्ष एक बेहद कठिन चुनौती था, पर जिस तरह से 2 अक्तूबर गांधी जयंती के दिन पूरा देश हर साल ‘स्वच्छ भारत दिवस’ के लिए एक साथ खड़ा दिखता है। आज प्रधानमंत्री के जन्म दिवस 17 सितम्बर से महात्मा गाँधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर तक स्वच्छता के पखवाड़े चलाए जा रहे हैं I प्रधानमंत्री के जन्मदिन को ‘स्वच्छता और सेवा दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। यही वजह है कि गांधी जी का स्वच्छ भारत का सपना आज साकार होता हुआ दिख रहा है, जिसके लिए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का रास्ता अपनाया है।
एक समय था जब स्वच्छता की दिशा में ऐसे परिवर्तनों की कल्पना करना भी मुश्किल था, मगर अब परिवर्तन साफ नजर आ रहे हैं तो स्वच्छता के प्रति देशवासियों को अपनी कुछ अहम जिम्मेदारियां समझने की भी सख्त जरूरत है। अब वह समय आ गया है जब सभी को एकजुट होकर स्वच्छता व्यवस्थाएं बरकरार रखने के लिए योगदान देना होगा, ताकि जो व्यवस्थाएं स्थापित हो चुकी हैं उनमें स्थायित्व बना रहे, स्वच्छता सेवाएं सुचारु रूप से बनी रहें, इसके लिए अपने हिस्से का सहयोग तो देना होगा। अगर कोई ऐसी धारणा रखता है कि ‘ये काम तो सरकार के हैं, स्थानीय निकायों के हैं या सफाई कर्मचारियों के हैं, तो हमें योगदान देने की क्या जरूरत नहीं है! ऐसी धारणा रखने वाले इतना तो कर ही सकते हैं कि स्वच्छता के प्रति अपने ‘व्यवहार में परिवर्तन’ ले आएं, सफाई नहीं कर सकते तो कम से कम गंदगी ना फैलाएं। पूरे देश को स्वच्छ बनाना वास्तव में कोई आसान काम नहीं है, इसलिए यह केवल सरकार, स्थानीय निकायों या सफाई कर्मचारियों के बस की बात नहीं है। क्या हमें ये तय नहीं करना चाहिये कि आने वाले सालों में जब हम महात्मा गांधी की जयंती मनाएंगे, तो हमारे गांव, शहर, गली, मोहल्ला, स्कूल, और अस्पताल, कहीं भी गंदगी नहीं होगी? यह काम अकेले सरकार से नहीं होता, जन-भागीदारी से होता है इसलिए हम सभी को मिलकर करना है।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)