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Parkash Singh Badal: सरपंच से मुख्यमंत्री तक का सफर, 10 बार जीता विधानसभा चुनाव...2022 में मिली थी पहली सियासी हार
Parkash Singh Badal Passes Away: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल अब हमारे बीच नहीं रहे। 95 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्हें पंजाब की सियासत का 'पितामह' कहा जाता था।
Parkash Singh Badal: पांच बार मुख्यमंत्री के रूप में पंजाब की कमान संभालने वाले वरिष्ठ अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल नहीं रहे। मंगलवार (25 अप्रैल) की रात करीब 08:30 बजे मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही पंजाब में शोक की लहर फैल गई। पंजाब की सियासत में उनका नाम काफी सम्मान के साथ लिया जाता रहा है। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल को मजबूत बनाने में बादल की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है।
8 दिसंबर 1927 को पंजाब के छोटे से गांव अबुल खुराना के जाट सिख परिवार में पैदा होने वाले प्रकाश सिंह बादल ने सरपंच से मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया था। अपने सियासी जीवन में उन्होंने लगातार कामयाबी हासिल की मगर पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा था। खराब स्वास्थ्य के कारण वे पिछला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे मगर बेटे व पार्टी के अन्य नेताओं के दबाव पर वे चुनावी अखाड़े में उतरे थे जिसमें उन्हें पहली बार हार का मुंह देखना पड़ा था।
इस बार बीमारी से हार गए बादल
95 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल पिछले काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। अस्वस्थता के कारण उन्हें पिछले कुछ वर्षों में कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। सांस लेने में तकलीफ होने के बाद उन्हें एक हफ्ते पहले मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें आईसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था। पिछले कुछ वर्षों में कई बार अस्पताल में भर्ती होने के बाद हालत में सुधार होने के बाद वे बाहर निकले थे मगर इस बार डॉक्टरों की काफी मेहनत के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
निधन की खबर से फैली शोक की लहर
उनके निधन की खबर मिलते ही पंजाब में शोक की लहर दौड़ गई और उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया। पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी प्रकाश सिंह बादल के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की थी। उनके निधन की खबर मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कई अन्य सियासी दिग्गजों ने गहरा शोक जताते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
सरपंच से सीएम तक का सफर
पंजाब की सियासत पर अमिट छाप छोड़ने वाले प्रकाश सिंह बादल ने देश की आजादी मिलने के वर्ष 1947 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पंजाब की सियासत में वे ऐसे नेता के रूप में जाने जाते थे जिसने सरपंच से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया था। उन्होंने सबसे पहले सरपंच के चुनाव में जीत हासिल की थी।
वे सबसे कम उम्र में सरपंच चुने जाने वाले नेता थे। 1957 में उन्होंने अपने सियासी जीवन में पहला विधानसभा चुनाव लड़ कर कामयाबी हासिल की थी। 1969 में उन्होंने दोबारा विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी जिसके बाद उन्हें पंजाब में मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला था।
बादल 10 बार चुने गए विधायक
बाद में उन्हें 1970 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला। केंद्र में जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान 1977 से 1980 तक उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। 1997 से 2002 तक उन्होंने पंजाब में पूरी जिम्मेदारी के साथ मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। उन्होंने संसद में भी पंजाब का प्रतिनिधित्व किया था। पंजाब में उन्होंने 10 बार विधानसभा का चुनाव जीता। यदि 1992 को छोड़ दिया जाए तो 1969 से वे लगातार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1992 में अकालियों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था।
2017 में कैप्टन को हराया था विधानसभा चुनाव
पंजाब की लंबी विधानसभा सीट को पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गढ़ माना जाता रहा है मगर इस विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में बादल को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था। यह उनके सियासी जीवन की पहली हार थी। किसी दौर में इस सीट पर बादल की इतनी मजबूत पकड़ मानी जाती थी कि उन्होंने चुनाव में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी इस सीट पर हराया था। पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में बुजुर्ग बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को 22770 मतों से हराया था।
2022 के चुनाव में मिली पहली सियासी हार
2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव में भी प्रकाश सिंह बादल ने लंबी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे मगर आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुड्डियां ने उन्हें 11,396 मतों से हरा दिया था। उन्होंने 94 साल की उम्र में अपना आखिरी चुनाव लड़ा था मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अधिक उम्र हो जाने के कारण बादल इस चुनाव में ठीक ढंग से प्रचार भी नहीं कर सके थे। जानकार सूत्रों का कहना है कि बादल चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे मगर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष व अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल के दबाव और पंजाब में अकाली दल की दयनीय स्थिति होने के कारण वे चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा।
पीएम मोदी ने लिया था पैर छूकर आशीर्वाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से प्रकाश सिंह बादल का काफी सम्मान करते थे। इसकी झलक 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में दिखी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 अप्रैल 2019 को वाराणसी संसदीय सीट पर दूसरी बार नामांकन करने के लिए पहुंचे थे। पीएम मोदी के नामांकन के मौके पर एनडीए नेताओं का वाराणसी में बड़ा जमघट लगा था। इन नेताओं में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, रामविलास पासवान और अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल भी शामिल थे। गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस मौके पर मौजूद थे।
वाराणसी कलेक्ट्रेट में नामांकन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश सिंह बादल का पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने एनडीए के अन्य नेताओं से मुलाकात करके उनसे चर्चा की थी। प्रधानमंत्री मोदी का बादल के प्रति यह सम्मान भाव काफी चर्चा का विषय बना था।