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NEET Paper Leak Case: ये संजीव मुखिया आखिर है कौन?
NEET Paper Leak Case:- संजीव कुमार कथित तौर पर दो दशकों से अधिक समय से पेपर लीक रैकेट में शामिल है, वह पहले रंजीत डॉन का सहयोगी था बाद में वह खुद सरगना बन गया।
NEET Paper Leak Case: नीट यूजी परीक्षा पेपर लीक मामले में एक व्यक्ति का नाम सामने आया है जिसे पूरे ऑपरेशन का मुख्य सूत्रधार माना जा रहा है। ये शख्स है - संजीव कुमार 'मुखिया'।'मुखिया' दरअसल एक 'सॉल्वर गैंग' का सरगना बताया जाता है। ये गैंग एक अंतरराज्यीय नेटवर्क है जो कथित तौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं के हल किए गए प्रश्नपत्रों को मोटी रकम के बदले इच्छुक लोगों को बेचता है।51 वर्षीय "मुखिया" के बारे में माना जाता है कि वह पांच बड़े पेपर लीक मामलों में शामिल रहा है, जिसमें बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा भी शामिल है जिसके लिए उसके बेटे डॉ शिव उर्फ बिटू को इस साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। नालंदा का रहने वाला मुखिया फिलहाल फरार है, हालांकि उसने स्थानीय अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की हुई है।
- संजीव कुमार के नाम में मुखिया इसलिए जुड़ा क्योंकि उसकी पत्नी 2016 से 2021 के बीच नालंदा की भुतहाखार पंचायत की पूर्व ग्राम प्रधान थी।
- संजीव कुमार कथित तौर पर दो दशकों से अधिक समय से पेपर लीक रैकेट में शामिल है। वह पहले रंजीत डॉन का सहयोगी था। बाद में वह खुद सरगना बन गया।
- रंजीत डॉन के बारे में माना जाता है कि वह 90 के दशक और 2000 के दशक की शुरुआत में कई परीक्षा रैकेट में शामिल था।
- बताया जाता है कि मुखिया 10 साल से अधिक समय से नालंदा के नूरसराय में उद्यान विद्यालय में तकनीकी सहायक है और बिहार के अंदर और बाहर कम से कम चार पेपर लीक रैकेट में उसका नाम आ चुका है।
- मुखिया को दो बार गिरफ्तार भी किया गया था - एक दशक पहले बिहार में ब्लॉक स्तर की परीक्षा के लिए और दूसरी बार 2016 में उत्तराखंड की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में संदिग्ध पेपर लीक के लिए।
- मुखिया का बेटा शिव, जो एक डॉक्टर है, को इस साल बिहार की शिक्षक भर्ती परीक्षा-III में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि मुखिया पर भी मामले में शामिल होने का आरोप था लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया।
- अपने खिलाफ मामलों के बावजूद मुखिया की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी रहीं हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुखिया की पत्नी ममता देवी ने जनता दल (यूनाइटेड) छोड़ दी थी और लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नालंदा के हरनौत से चुनाव लड़ा, जिसमें उसे जेडीयू के हरि नारायण सिंह से हार का सामना करना पड़ा।