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उत्तराखंड में हाथियों का दुश्मन कौन? इस साल अब तक हो चुकी है 32 की मौत
देहरादून: राजधानी से एक बड़ी खबर ये है कि वहां पाए जाने वाले हाथियों पर मौत का एक अज्ञात साया मंडरा रहा है। उत्तर भारत में उत्तराखंड में शेष बचे 2,000 से भी कम हाथियों के प्राणों पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। हर महीने तकरीबन तीन हाथी दम तोड़ रहे हैं। आंकड़ों की मानें, तो इस साल अब तक 32 हाथियों की मौत हो चुकी है जो कि एक बड़ी संख्या है।
अगर वर्ष वार आंकड़ों पर गौर करें तो यह संख्या सबसे अधिक है। 2001 में 24, 2002 में 24, 2003 में 15, 2004 में 16, 2005 में 19, 2006 में 16, 2007 में 14, 2008 में 26, 2009 में 23, 2010 में दस, 2011 में 14, 2012 में सात, तो 2013 में 27, 2014 में 29, 2015 में 19, 2016 में 29 और फिर 2017 में 32 हाथियों की मौत हुई है।
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इन वजहों से भी हुई मौतें
17 साल के रिकॉर्ड को देखें तो 137 हाथियों की मौत जहां स्वाभाविक मौत से हुई है, वहीं 64 हाथी आपसी संघर्ष में मरे। 42 की मौत का कारण पता नहीं चल पाया। 34 की मौत करंट लगने से तो न दुर्घटना के शिकार बने। नौ ट्रेन दुर्घटना के शिकार बने। आठ शिकारियों की गोली से तो तीन मनुष्यों के लिए खतरा बनने पर मार दिए गए। एक हाथी की मौत जहर से हुई।
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...तो बिगड़ सकता है लिंगानुपात
अगर हाथियों की संख्या के आंकड़ों को देखें तो उनकी आबादी बढ़ती हुई दिखाई देती है। यह 2008 में 1,346 थी, जो 2015 में बढ़कर 1,779 हुई और 2017 में 1,839 हुई। लेकिन यह पहला मौका है जब हाथियों की मौत का आंकड़ा 30 की संख्या पार कर गया। इससे वन्य जीव प्रेमी व वन्य जीव अधिकारी परेशान हैं। अगर हाथियों के मरने की यही रफ्तार रही, तो उनका लिंगानुपात बिगड़ते देर नहीं लगेगी। जो आने वाले समय में एक बड़े खतरे का संकेत होगी।