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देश में अलग टाइम जोन बनाने की तैयारी, क्यों है जरुरत...क्या होगा फायदा
योगेश मिश्र
लखनऊ। भारत में नया अलग टाइम जोन बनाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस बार नये टाइम जोन की जरूरत को हवा पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश से मिली है।
अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिये एक नया टाइम जोन बनाये जाने की मांग की है। पूर्वोत्तर के लिये अलग टाइम जोन बन जाये तो हर साल 2.7 अरब यूनिट बिजली बचाई जा सकती है।
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इससे पहले भी अलग टाइम जोन बनाने की मांग डॉ. मुरली मनोहर जोशी के केंद्र में मंत्री रहते हुये हुई थी। इस बाबत उस समय पत्रावली भी चली थी। नया अलग टाइम जोन भारत के लिये भले ही नया प्रयोग हो पर दुनिया के तमाम देशों में अलग-अलग टाइम जोन हैं। सबसे अधिक 12 टाइम जोन फ्रांस में है। अमेरिका और रूस में भी 11-11 टाइम जोन हैं। ब्रिटेन में 9, ऑस्ट्रेलिया में आठ और कनाडा में छ: टाइम जोन हैं।
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अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भारतीय जनता पार्टी से हैं इसलिये उनकी बात पर कान देना पार्टी के लिये जरूरी हो सकता है उनका तर्क है कि उत्तर-पूर्व के राज्यों में सुबह 4 बजे सूर्योदय हो जाता है जबकि शाम 5 बजे अंधेरा छा जाता है इसलिये देश के अन्य इलाकों की तरह कार्यालय के समय का 10 से 5 होना व्यवहारिक नहीं है।
एक अध्ययन के मुताबिक इस पर अमल किया जाये तो पूर्वोत्तर के राज्य अलग टाइम जोन बनने के बाद 2.7 अरब यूनिट बिजली की बचत कर सकते हैं।
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गोरतलब है कि पूरी दुनिया के नक्शे को देशांश रेखाओं के आधार पर हर 15 अंश के अंतर पर 24 बराबर-बराबर काल्पनिक हिस्सों में बांटा गया है। जिसकी शुरुआत शून्य अंश से होती है जो इग्लैड के ग्रीनविच में स्थित वेधशाला से शुरू होती है।
ग्रीनविच वेधशाला से दाहिने तरफ वाले देशों का समय आगे होता है जबकि बाये तरफ वाले देशों का समय पीछे। भारत में यह रेखा इलाहाबाद के नैनी से होकर गुजरती है जो ग्रीनविच रेखा से 82.5 डिग्री अंश दाहिनी ओर है। गणना के मुताबिक भारत का समय ग्रीनविच के समय से साढ़े पांच घण्टे आगे रहेगा।
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