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शिमला: केंद्र सरकार ने क्यों दी बंदरों को मारने की अनुमति?
भारत के कई पर्यटक स्थलों पर बंदरों का आतंक है। जहां पर बंदरों का उत्पात लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इनमें से एक शिमला भी है। यहां घूमने आने वाले पर्यटकों पर बंदर अक्सर हमला करते रहते है।
शिमला: भारत के कई पर्यटक स्थलों पर बंदरों का आतंक है। जहां पर बंदरों का उत्पात लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इनमें से एक शिमला भी है। यहां घूमने आने वाले पर्यटकों पर बंदर अक्सर हमला करते रहते है।
उधर हाल के दिनों में यहां पर बंदरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने शिमला में बंदरों को मारने की अनुमति दे दी है।
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एक साल के सशर्त दी गई मंजूरी
ये मंजूरी एक साल के लिए सशर्त दी गई है। यह कदम लघु पुच्छ वानर प्रजाति के इन बंदरों की बेतहाशा बढ़ती संख्या और आतंक को देखते हुए राज्य सरकार के अनुरोध पर उठाया गया है। इसको लेकर मंत्रालय ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 62 के तहत लघु पुच्छ प्रजाति के बंदरों को अति हिंसक घोषित किया गया है और शेड्यूल 5 के तहत एक साल के लिए इन्हें मारने की छूट दी गई है। यह अध्यादेश शिमला नगर निगम क्षेत्र में ही लागू होगा। इसे जंगल के इलाके में लागू नहीं किया गया है।
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प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार सर अपने आग्रह में कहा था कि ये बंदर शिमला शहरी क्षेत्र के लोगों की जानमाल के लिए खतरा बन गए हैं। बंदरों के आतंक के चलते लोगों को चलना फिरना और रहना मुश्किल हो गया है। बंदर बड़े पैमाने पर फसलों और संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस पर केंद्रीय मंत्रालय ने कहा कि बंदरों की स्थानीय संख्या को नियंत्रण में लाना जरूरी है ताकि इनकी वजह से मनुष्य, फसलों और संपत्ति को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
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