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मंगोलियाई विश्व नेताओं को गिफ्ट में घोड़े ही क्यों देते हैं? पंडित नेहरू से राजनाथ सिंह तक, जानें इतिहास

मंगोलिया में घोड़ा संस्कृति (Horse Culture) है। कहा जाता है ये विश्व का इकलौता देश है जो 'घोड़ा संस्कृति' पर आधारित है। मंगोलियन घोड़ों का प्रयोग सिर्फ यात्रा के लिए ही नहीं करते।

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Written By aman
Published on: 10 Sept 2022 7:56 PM IST
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मंगोलियाई घोड़ा 

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh Mongolia Visit) बीते दिनों मंगोलिया के दौरे पर थे। राजनाथ मंगोलिया की यात्रा करने वाले भारत के पहले रक्षा मंत्री हैं। मंगोलिया में उनका भव्य स्वागत हुआ। मगर, सुर्खियों में रहा उन्हें मिला 'गिफ्ट'। दरअसल, मंगोलिया के राष्ट्रपति उखनागिन खुरेलसुख (Ukhnaagiin Khurelsukh) ने राजनाथ सिंह को एक 'राजसी घोड़ा' उपहार में दिया। आपको बता दें कि, प्रधानमंत्री बनने के बाद सात साल पहले जब नरेंद्र मोदी मंगोलिया की यात्रा पर गए थे तब उन्हें भी ऐसा ही तोहफा मिला था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गिफ्ट में मिले घोड़े का नाम 'तेजस (Tejas) रखा है। जबकि, पीएम नरेंद्र मोदी ने उपहार स्वरूप मिले उस मंगोलियाई घोड़े का नाम 'कंथक' (Kanthak) रखा था। आपको बता दें कि, कंथक राजकुमार सिद्धार्थ के प्रिय घोड़े का नाम भी रहा है।


गिफ्ट में घोड़े देने का इतिहास सदियों पुराना

मंगोलिया दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उपहार में मिले घोड़े की खबर पढ़ने-देखने के बाद मन में ये सवाल उठना लाजिमी था कि आखिर गिफ्ट में ये घोड़े ही क्यों देते हैं। तो इसके लिए आपको इतिहास में लिए चलते हैं। भारत से आए नेताओं को मंगोलिया दौरे पर शुरुआत से ही घोड़े गिफ्ट में दिए जाते रहे हैं। इसकी तस्दीक राजधानी दिल्ली के नेहरू स्मारक संग्रहालय में लगी एक तस्वीर करती है। यहां मंगोलियाई घोड़े के साथ देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर लगी है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ मंगोलिया (People's Republic of Mongolia) के तत्कालीन प्रमुख ने पंडित नेहरू को तीन मंगोलियाई घोड़े तोहफे में दिए थे।


नेहरू से ट्रंप तक सभी गिफ्ट में मिला घोड़ा

ऐसा नहीं है कि मंगोलिया भारत के नेताओं को ही उपहार में घोड़ा देता आया है। बल्कि, विश्व के अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी जब मंगोलिया दौरे पर गए तो उन्हें उपहारस्वरूप घोड़ा ही दिया गया। इतना ही नहीं, मंगोलिया के नेताओं ने भी जब किसी महत्वपूर्ण देश की यात्रा की, तो उन्हें विशेष तोहफे के रूप में मंगोलियाई घोड़े (Mongolian Horse) ही भेंट किए गए। साल 2019 में मंगोलिया के तत्कालीन राष्ट्रपति बट्टू लगा खाल्टमा (President Batu Laga Khaltma) जब अमेरिका यात्रा पर गए थे तब यूएस प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के बेटे बैरन के लिए घोड़ा ले गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने इस घोड़े का नाम 'विक्ट्री' (Victory) रखा था।


जानें मंगोलियाई घोड़े इतने अहम क्यों?

अब सवाल उठता है कि, मंगोलियाई घोड़े इतने खास क्यों हैं? तो इसे समझने के लिए आपको एक मंगोलियाई कहावत जानना होगा। जिसका हिंदी तर्जुमा है कि, 'मंगोलों का जन्म ही घोड़े की काठी पर होता है।' कहने का मतलब है कि, इस देश की जनसंख्या और घोड़ों की संख्या समान है। वर्तमान में मंगोलिया की आबादी 30 लाख से कुछ अधिक है, तो देश में घोड़ों की संख्या भी करीब 30 लाख के ही आसपास है। इस देश में औसतन प्रति व्यक्ति एक घोड़ा है। यही कारण है कि मंगोलिया को 'घोड़ों का देश' कहा गया है। यही वजह है कि दुनिया के सबसे बेहतरीन घुड़सवार मंगोलियन ही होते हैं।


चंगेज खान की सफलता में घोड़ा अहम

13वीं सदी की शुरुआत में उत्तर-पश्चिमी एशिया (North-West Asia) के मैदान से एक ऐसा शख्स सामने आया था जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। वह था चंगेज खान। चंगेज खान मंगोलिया का ही रहने वाला था। इसीलिए कहा जाता है, कि मंगोलों को अपनी दो चीजों पर बेहद गुमान है। एक चंगेज खान के वंशज होने तथा दूसरा अपनी संस्कृति पर, जो घोड़ों के इर्द-गिर्द ही केंद्रित है। इतिहासकार भी इस बात का जिक्र करते हैं कि मंगोलों में घोड़े और धनुष के सहारे एशिया के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमाया था। इतिहास गवाह है इतने बड़े हिस्से पर अभी तक किसी शासक ने कब्जा नहीं किया था। इस सफलता में घोड़ों की खास भूमिका थी।


'हॉर्स कल्चर' वाला देश मंगोलिया

मंगोलिया में घोड़ा संस्कृति (Horse Culture) है। कहा जाता है ये विश्व का इकलौता देश है जो 'घोड़ा संस्कृति' पर आधारित है। मंगोलियन घोड़ों का प्रयोग सिर्फ यात्रा के लिए ही नहीं करते। बल्कि, घोड़ों के दूध का इस्तेमाल खान-पान में भी करते हैं। बहुतायत घोड़े होने के कारण वो उनके बाल से रस्सी भी बनाते हैं। साथ ही, घोड़े की चमड़ी से बूट तथा हड्डियों से वाद्य यंत्र बनाते हैं। ठंड के मौसम में मंगोल घोड़े का मीट भी खाते हैं। घोड़े के दूध को सड़ाकर वे एक खास किस्म की शराब भी बनाते हैं। इस शराब को 'ऐराग' कहा जाता है।

घोड़े का सम्मान पूर्वक होता है अंतिम संस्कार

किसी भी फेवरेट यानी पसंदीदा घोड़े की मौत होने पर मंगोलियन सम्मान पूर्वक उसका अंतिम संस्कार करते हैं। मरने के बाद वहां घोड़ों को दफनाया जाता है। आमतौर पर घोड़े के सिर को एक 'ओवू' यानी पत्थरों के एक ढेर पर रख दिया जाता है। इसे वो पूजते हैं। अगर, कभी खाने के लिए घोड़े को मारा जाता है, तो उसकी पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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