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Border Dispute: आपसी कलह-क्लेश हल कर आगे क्यों नहीं बढ़ते सभी राज्य

Assam Meghalaya Border Dispute: पिछले दिनों असम-मेघालय सीमा पर कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को असम के वनकर्मियों ने रोका जिसके बाद भड़की हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई।

RK Sinha
Report RK Sinha
Published on: 25 Nov 2022 12:39 PM IST
Assam- Meghalaya border dispute
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असम- मेघालय सीमा विवाद (Pic: Social Media) 

Assam Meghalaya Border Dispute: देश के विभिन्न राज्य आपस में दुश्मनों की तरह से लड़े और अदावत रखें, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। पिछले दिनों असम-मेघालय सीमा पर कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को असम के वनकर्मियों ने रोका जिसके बाद भड़की हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई। क्या यह इतना गंभीर मसला था कि छह लोगों की जान ही चली जाए? इस बिन्दु पर सभी पक्षों को मिल- बैठकर सोचना होगा।

असम और मेघालय के बीच 884.9 किलोमीटर लंबी सीमा है और सीमा के कई भागों में विवाद चल भी रहा है। इन दोनों राज्यों ने सीमा विवाद को खत्म करते हुए एक समझौता भी किया है। इसके बावजूद हिंसा हुई। पर सिर्फ असम-मेघलाय ही नहीं लड़ रहे हैं। असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच भी सीमा विवाद है। इन दोनों के बीच भी करीब 804 किलोमीटर लंबी सीमा है। अरुणाचल की शिकायत यह है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के पुनर्गठन के दौरान मैदानी इलाक़ों में कई वन क्षेत्र असम में स्थानांतरित हो गए, जो परंपरागत रूप से पहाड़ी आदिवासियों के थे। हालांकि पूर्व में भी एक त्रिपक्षीय समिति ने सिफ़रिश की थी कि असम के कुछ क्षेत्रों को अरुणाचल में शामिल कर दिया जाए। इसके विरोध में असम ने सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा दायर कर दिया और मामला फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के बीच परवाणू में एक अंतर्राज्यीय सीमा विवाद है। सर्वे ऑफ इंडिया की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश ने परवाणू में हरियाणा की कुछ जमीन पर नियंत्रण कर लिया है। इसके साथ ही लेह-मनाली राजमार्ग पर स्थित सरचू लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के बीच एक विवादित क्षेत्र है। यह जगह हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति और लद्दाख के लेह ज़िले के बीच है।

पंजाब और हरियाणा सतलुज-यमुना लिंक नहर के जल के बंटवारे के मुद्धे पर लगातार आमने-सामने रहते हैं। सन 1966 से पहले हरियाणा पंजाब का ही एक अंग था। पर जल बंटवारे पर दोनों के बीच किच-किच जारी रहती है। भगवान जाने कि इनके बीच विवाद कब खत्म होगा। हरियाणा का तर्क रहा है कि सतुलज-यमुना नहर के पानी पर राज्य का अधिकार है और राज्य किसी भी कीमत पर इस पर दावा नहीं छोड़ेंगा। सतुलज- यमुना नहर का पानी हरियाणा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पानी हरियाणा को नहीं मिल रहा है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि नहर का काम पूरा नहीं होने से रावी, सतलुज और ब्यास का बिना सरप्लस वाला पानी पाकिस्तान चला जा रहा है। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं कि हम पानी कहां से दें। राज्य के पास अपने लिए ही पानी नहीं है। पानी के बंटवारे पर छतीसगढ़ और उड़ीसा भी लड़ते रहे हैं। दोनों राज्यों की जनता के लिए जीवनदायनी महानदी के जल के बंटवारे के मसले पर इन राज्यों के बीच तलवारें खींची रहती हैं।

ओडिशा में स्थानीय राजनैतिक दल लगातार बंद का आह्वान कर रहे हैं, तो छत्तीसगढ़ में भी लोग ओडिशा के खिलाफ सड़कों पर उतरते रहते हैं। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अरपा, भैंसाझार बांध परियोजना के निर्माण से ओडिशा सरकार नाराज है। उसका मानना है कि इस बांध के निर्माण से राज्य के कई इलाकों में सूखे के हालात बनेंगे, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की दलील है कि वो सिर्फ महानदी का बैक वॉटर रोक रहा है। यह पानी आगे जाकर ओडिशा में ही समुद्र में तो मिल जाता है। महानदी छत्तीसगढ़ महासमंद के अंतिम छोर से निकलकर ओडिशा की ओर बहती है, फिर यह भुवनेश्वर और पुरी के बीच समुद्र में मिल जाती है। बस गनीमत इतनी है कि अभी तक महानदी के पानी के बंटवारे पर उड़ीसा या छतीसगढ़ का कोई शहर नहीं जला।

सारा देश जानता है कि तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में भी विवाद रहता ही है। पृथक तेलंगाना को लेकर चलने वाले आंदोलन के समय से ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के नेताओं और जनता में दूरियां बढ़ने लगी थीं। एक-दूसरे से शिकायतों के दौर शुरू हो गए थे। कुछ इस तरह के हालात बन गए थे कि मानो दो शत्रु राष्ट्र हों। तब ही लग रहा था कि ये राज्य आपस में मिल-जुलकर शायद न रह पाएं। वह सब अब सामने आ रहा है। और सिर्फ राज्य ही एक-दूसरे के खिलाफ जंग नहीं कर रहे। अब एक राज्य के नागरिकों के लिए दूसरे राज्य में रहना भी एक बड़ी चुनौती हो रही है। जहाँ एक ओर पूर्वोत्तर राज्यों में हिन्दी भाषी गोली के निशाने पर हैं, तो उत्तर भारत में भी नार्थ ईस्ट के नागरिकों को तमाम तरह के अपमान झेलने पड़ते हैं। महाराष्ट्र में बिहारी और उत्तरप्रदेश के मूल निवासियों को अपमानित किया जाता रहा है ।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगाम पर दशकों से सीमा विवाद चल रहा है। बेलगाम मराठी बहुल इलाका है । लेकिन , कर्नाटक राज्य में आता है। महाराष्ट्र लंबे समय से बेलगाम के अपने में विलय़ की मांग करता रहा है। कुछ समय पहले इस मुद्दे पर आंदोलन करने वाले मराठी भाषियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था। लाठी चार्ज का महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों ने विरोध किया था। महाराष्ट्र के सभी दल बेलगाम और आसपास के इलाकों को महाराष्ट्र में मिलाने या केंद्र शासित घोषित करने की मांग करते रहे हैं। दरअसल, बेलगाम में बड़ी संख्या में मराठी भाषी लोग रहते हैं। फिलहाल तो यह इलाका कर्नाटक में है। इस बीच, महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार कर्नाटक के साथ महाराष्ट्र के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में भिड़ने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उसने अपने दो वरिष्ठ मंत्रियों चंद्रकांत पाटिल एवं शंभूराजे देसाई को कानूनी टीम से तालमेल की जिम्मेदारी सौंपी है।

सबसे आदर्श स्थिति तो यह होगी पड़ोसी राज्य एक-दूसरे के खिलाफ कटुता रखने या फैलाने की बजाय अपने प्रदेशों के चौतरफा विकास पर ही ज्यादा फोकस करें। अपने यहां पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक-दूसरे से आगे बढ़ने की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते। पड़ोसी राज्यों को आपसी विवाद ले-देकर खत्म करने चाहिए। पर इनमें तो रंजिशें स्थायी सी हो गई हैं। इनको हल करने को लेकर सबको मिलकर गंभीरता से प्रयास करने चाहिए।




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Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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