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पंजाब में नागरिकता कानून का विरोध क्यों

नागरिकता संशोधन बिल दोनों सदनों में पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब कानून का रूप ले चुका है। इस बिल के कानून का रूप अख्तियार करते ही पूर्वोत्तर के राज्यों सहित गैर भाजपा प्रदेशों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है।

Roshni Khan
Published on: 18 Dec 2019 8:51 AM GMT
पंजाब में नागरिकता कानून का विरोध क्यों
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दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: नागरिकता संशोधन बिल दोनों सदनों में पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब कानून का रूप ले चुका है। इस बिल के कानून का रूप अख्तियार करते ही पूर्वोत्तर के राज्यों सहित गैर भाजपा प्रदेशों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है। विरोध की यह लहर पंजाब में भी देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ कर दिया है कि वे पंजाब में सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) को लागू नहीं होने देंगे जबकि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और दो बार प्रदेश की कमान संभाल चुके कैप्टन यह भलीभांति जानते हैं कि प्रदेश सरकारों को इसे हर हाल में लागू करना ही होगा।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून का यह कहते हुए विरोध किया है कि सीएए भारत की लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है। इसलिए वह इसका विरोध करते हैं। उल्लेखनीय है कि कैप्टन पिछले दिनों नई दिल्ली में आयोजित कांग्रेस के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे जहां उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अपना यह विरोध जताया। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के साथ ही एनआरसी (नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन) को भी गलत बताया।

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मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब किसी हालत में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को मंजूर नहीं करेगा। नागरिकता संबंधी कानून भी एनआरसी की तरह लोकतंत्र की भावना के उलट है। इसलिए इसे पंजाब में लागू नहीं किया जाएगा। इसी तरह पंजाब के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने भी कहा कि सीएए में मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए था। इस बीच पंजाब और केंद्र सरकार में भाजपा के प्रमुख सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि यह कानून ठीक है पर इसमें मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए था। खास तौर से पाकिस्तान में प्रताडि़त अहमदिया समुदाय के लोगों को।

गांधी परिवार की खिदमत में लगे हैं कैप्टन

इधर, कैप्टन के स्टैंड को भाजपा ने गांधी परिवार की ताबेदारी बताया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह पर पलटवार करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने कहा कि सीएम ने गांधी परिवार को खुश करने के फेर में सिखों और हिंदुओं की अनदेखी की। उन्होंने कहा कि कैप्टन भलीभांति जानते हैं कि पड़ोसी मुल्कों में हिंदू और सिखों की क्या स्थिति है। इस समुदाय के लोग तीसरे दर्जे के नागरिक की तरह रहने को मजबूर हैं।चुघ ने कहा कि कांग्रेस और इसके सहयोगी तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। उन्हें देश और देश अस्मिता से कोई लेना-देना नहीं है। दिल्ली सहित अन्य जगहों पर हुई आगजनी, तोडफ़ोड़ और हिंसक घटनाओं पर उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने दिल्ली के भाषण में कहा था कि विरोध बंद नहीं होना चाहिए। लोगों को घरों से निकलकर इसका विरोध करना चाहिए। इस भाषण के बाद ही दिल्ली में बवाल हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही है।

पूर्व मंत्री ने भी लिया आड़े हाथ

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता प्रो.लक्ष्मी कांत चावला ने भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को आड़े हाथ लिया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि यह कितनी दुखद और हैरान करने वाली बात है। खुद को सिखों का हितैषी बताने वाले कैप्टन केंद्र सरकार द्वारा लाखों सिखों, हिंदुओं, पारसी, जैन, बौद्ध, ईसाइयों के हित में लाए गए बिल का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कैप्टन से पूछा कि क्या वे पाकिस्तान में हिंदू और सिख लड़कियों का बलात निकाह करवाने और जबरन धर्म परिर्वन करवाने वाली घटनाओं को भूल गए हैं। चावला ने कहा कि गांधी परिवार की खिदमतगारी में कैप्टन अपनी याददाश्त भी खो चुके हैं।

पूर्व डिप्टी स्पीकर ने भी की कैप्टन की निंदा

पठानकोट के सुजानपुर से भाजपा विधायक और पूर्व डिप्टी स्पीकर रहे दिनेश सिंह बब्बू ने भी सूबे के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की निंदा की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में हिन्दू बुरी दशा में रह रहे हैं। कैप्टन ने बड़ी आसानी से सिख और हिंदू युवतियों के साथ पाकिस्तान में हो रहे व्यवहार को भुला दिया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हिंदू-सिखों को जबरन धर्म बदलने को मजबूर किया जा रहा है। बब्बू ने कहा कि कैप्टन उस समय यह बात कह रहे हैं जब सिख श्री गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मना रहे हैं। उनका मुखौटा उतर गया है। अब साफ हो गया है कि कैप्टन सरकार हिंदू और सिख विरोधी है।

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कैप्टन ने सिखों से विश्वासघात किया

शिअद नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह विश्वासघाती हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन ने सिखों की पीठ में छुरा घोंपा है। सिरसा ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानू पंजाब में लागू न करने का ऐलान कर कैप्टन ने साबित कर दिया है कि वह खांटी कांग्रेसी है। उन्हें पाकिस्तान में प्रताडि़त सिखों से कोई लेना देना नहीं है। सिरसा ने कहा कि आजादी के बाद कई सालों से अफगानिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर से आए सिख परिवार भारतीय नागरिकता की आस लगाए बैठे थे। सिखों को उम्मीद थी कि एक सिख होने के नाते कैप्टन गांधी परिवार के रास्ते पर नहीं चलेंगे, लेकिन कैप्टन ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरा है। कैप्टन ने पंजाब में रह रहे सिखों और हिंदुओं के जख्मों पर नमक छिडक़ा है।

लुधियाना में मुस्लिमों का प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लुधियाना के साही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान के नेतृत्व में हजारों की संख्या में मुसलमान सडक़ों पर उतरे। उनका यह मार्च शहर के जामा मस्जिद से शुरू होकर डीसी कार्यालय में जाकर समाप्त हुआ। मौलाना हबीब उर रहमान ने नागरिकता कानून को धर्म के आधार पर देश को बांटने वाला करार देते हुए इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि भाजपा आरएसएस के इशारे पर काम कर रही है। केंद्र सरकार को इस कानून में मुस्लिम समुदाय के लोगों को शामिल करना चाहिए। इसी तरह अमृतसर में भी नागरिकता संशोधन कानून का मुसलमानों और कांग्रेस नेताओं ने विरोध करते हुए हालगेट पर सरकार का पुतला फूंका।

कानून के विरोध में मालेरकोटला पूर्ण बंद

उधर,पंजाब का मुस्लिम बाहुल्य कस्बा मालेरकोटला पूर्ण रूप से बंद रहा। मालेरकोटला के सरहंदी गेट पर मुसलमानों ने कानून के विरोध में रोष प्रदर्शन किया।इस मौके पर मुफ्ती इरतका-उल-हसन-कांधलवी ने नागरिकता संशोधन कानून को भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता की मूल भावनाओं के खिलाफ बताया। पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री और मालेरकोटला की कांग्रेस विधायक रजिया सुल्ताना ने एनआरसी और सीएए को केंद्र सरकार की साजिश बताते हुए देश में अल्पसंख्यकों को असुरक्षित बताया।दूसरी तरफ, मुस्लिम फेडरेशन ऑफ पंजाब के अध्यक्ष एडवोकेट मुबीन फारूकी और मुस्लिम-सिख फ्रंट पंजाब के नेता वसीम शेख ने कहा कि नागरिकता कानून को देश हित में वापस लिया जाए।

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मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस की नजर

गौरतलब है कि पंजाब देश के सीमावर्ती राज्यों में शामिल है। भारत-पाकिस्तान सीमा का एक लंबा हिस्सा पंजाब से लगता है और पाकिस्तान जाने का सबसे प्रमुख रास्ता भी पंजाब में ही है। देश विभाजन के समय पंजाब से मुसलमानों का अधिकांश परिवार पाकिस्तान पलायन कर गया था। लेकिन, इधर कुछ सालों में पंजाब में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस की नजर मुस्लिम वोटों पर है। कैप्टन सरकार किसी भी सूरत में इसे खोना नहीं चाहती।

पंजाब का सियासी गणित

सूबे के संगरूर जिले में स्थित मालेरकोटला मुस्लिम बहुल कस्बा है। यहां की विधायक और प्रदेश सरकार में केंद्रीय मंत्री रजिया सुल्ताना हैं। प्रदेश सरकार में दो एमएलए मुहम्मद सदीक और रजिया सुल्ताना मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मालेरकोटला को शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में शिअद ने कांग्रेस के इस गढ़ को ढहाने के लिए रजिया के भाई मोहम्मद ओवैस को अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन, ओवैस रजिया से 12700 मतों से हार गए। रजिया लगातार तीसरी बार यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। रजिया के पति 1985 बैच के पंजाब काडर के आईपीएस अधिकारी हैं। वे फिलहाल पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग में पुलिस महानिदेशक हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक मालेरकोटला में कुल आबादी का 68.5 प्रतिशत आबादी मुस्लमानों की है। 20.71 प्रतिशत हिंदू , 9.50 प्रतिशत सिख और 1.29 प्रतिशत अन्य समुदाय के लोग रहते हैं। लुधियाना से मालेरकोटला की दूसरी महज 43 किमी है। ऐसे में मालेरकोटला के मुस्लिम मतदाता लुधियाना के मुसलमानों को भी प्रभावित करते हैं।

मुस्लिम वोटों की चाह में शिअद भी

पंजाब में मुस्लिम बहुल दो कस्बे हैं। एक संगरूर जिले का मालेर कोटला तो दूसरा गुरदासपुर जिले का कांदियां। हलांकि कांदिया में अहमदिया समाज के मुसलमान रहते हैं, जिन्हें पाकिस्तान में काफिर कहा जाता है। पंजाब में अहमदिया समाज के मुसलमानों की आबादी कादियां में हैं जो महज 6500 है। ं पिछले चुनाव में मालेरकोटला से शिअद प्रत्याशी ओवैश के हार का अंतर महज 12700 सौ था। ऐसे में शिअद भी अपने मुस्लिम मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहता। हालांकि अहमदिया समाज के मुसलमान सीएबी के मामले में कुछ कहना नहीं चाहते।

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पंजाब में तेजी से बढ़ी है मुस्लिम आबादी

आम तौर पर यह माना जाता रहा है कि सीमावर्ती राज्य पंजाब में मुसलमानों की आबादी बहुत कम है, लेकिन इसे भ्रम ही कहा जाएगा। यदि 2011 के जनगणना पर नजर डाले तो पंजाब में 2001 के मुकाबले मुसलमानों की आबादी 40 प्रतिशत के हिसाब से तेजी से बढ़ी है। जबकि सिखों की 9.6 प्रतिशत बढ़ी है। पंजाब की कुल जन संख्या के हिसाब से मुस्लिम आबादी 1.93 प्रतिशत हो गई है। जबकि हिंदू आबादी 38.48 प्रतिशत है। वहीं, पंजाब में सिखों के मुकाबले ईसाइयों की आबादी 18.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।

इस तरह समझें जनसंख्या वृद्धि दर

पंजाब की जनसंख्या: 2,77,43,338

समुदाय जनगणना 2001 -2011

सिख -14592387 -16004754

हिंदू - 8997942- 10678138

मुस्लिम 382045- 535489

ईसाई 292800 - 348230

जैन 39276 - 45040

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