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Wildlife SOS: मोर, किंगफिशर, उल्लू: 2 महीने में 80 से ज्यादा पक्षियों का सफल रेस्क्यू !
Wildlife SOS: वाइल्डलाइफ SOS की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा- आसमान में उड़ने वाले पक्षी स्वतंत्रता का प्रतीक हैं। शहरी अतिक्रमण के कारण इनका जीवन काफी चुनौतीपूर्ण है।
Wildlife SOS: वाइल्डलाइफ एसओएस ने मई और जून के महीनों में आगरा, मथुरा और उसके आसपास से 80 से अधिक पक्षियों को बचाया (save the birds) है। लोगों द्वारा एनजीओ (NGO) की आगरा रेस्क्यू हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर सूचना देने के बाद पक्षियों को गर्मी से थकावट, डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक और कुत्तों द्वारा हमले जैसी विकट परिस्थितियों से बचाया गया है।
आगरा और दिल्ली जैसे शहरों में, चील जैसे शिकारी पक्षी अक्सर तेज धूप में अधिक ऊंचाई पर उड़ने के कारण डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक के शिकार होते हैं। हाल ही की घटना में, आगरा के प्रगति पुरम में घर से एक चील को बचाया गया, क्योंकि वह डिहाइड्रेशन के कारण उड़ान भरने में असमर्थ थी।
वाइल्डलाइफ एसओएस टीम ने 17 चील को सफलतापूर्वक बचाया
रेस्क्यू टीम तुरंत मौके पर पहुंची और पक्षी को फिर से हाइड्रेट करने के लिए पानी दिया- एक प्रोटोकॉल जिसका डिहाइड्रेशन या गर्मी में थकान से पीड़ित पक्षियों के बचाव के दौरान वाइल्डलाइफ एसओएस टीम पालन करती है। चील को कुछ घंटों तक चिकित्सकीय देख-रेख में रखने के बाद वापस प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया। एनजीओ ने मई और जून के बीच 17 चील को सफलतापूर्वक बचाया।
इसके अलावा, दो महीनों में आगरा से बचाए गए 80 पक्षियों में 49 भारतीय मोर भी शामिल है। जंगलों पर हो रहे अतिक्रमण के कारण, इन मोर का मानव बस्तियों में दिखना एक आम बात हो गई है, जिसके पश्च्यात उन पर आवारा कुत्तों के हमले का खतरा बढ़ जाता है और अक्सर उनके पंखों में गंभीर चोटें आती हैं।
ऐसे ही एक उदाहरण में, मथुरा के जुनसुती में एक मोर बिजली के खंभे से नीचे गिर गया था, जिसके बाद आवारा कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला बोल दिया। वाइल्डलाइफ एसएसओ रैपिड रिस्पांस यूनिट ने मोर को बचाया और उसके पंखों के नीचे आई चोटों का इलाज भी किया।
तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण ने पक्षियों को नुकशान पहुंचाया
तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण का मतलब यह भी है कि अधिक इमारतें और घर जो कभी वन भूमि हुआ करते थे आज पक्षियों की आबादी के लिए एक खतरा बन चुके हैं, जिसके कारण कई पक्षी दीवारों, खिड़कियों और इमारत के शीशे से टकराते हैं। पक्षी हवा में तेज गति से दीवारों से टकराते हैं, जिससे वे अक्सर बेहोश हो जाते हैं, उन्हें गंभीर चोटें भी आती हैं, और यहाँ तक की उनकी हड्डी फ्रैक्चर भी हो जाती है।
आगरा में ताजमहल के पश्चिमी गेट के पीछे एक किंगफिशर चिड़िया को बचाया गया जो घर के अंदर उड़कर पंखे से टकरा गई थी। परिवारजनों ने पक्षी को बेहोश अवस्था में पाया, जिन्होंने तुरंत वाइल्डलाइफ एसओएस को फोन किया। सौभाग्य से पक्षी को कोई गंभीर चोट नहीं आई थी और उसे एक दिन निगरानी में रखा गया था।
इंडियन ईगल आउल का सफलतापूर्वक रेस्क्यू
आजाद नगर में दीवार से टकरा कर घायल हुए बार्न आउल को भी बचाया। उसके दाहिने पंख में आई चोट का इलाज किया गया, जिसके बाद आगरा के पंचकुइयां से एक इंडियन ईगल आउल का भी सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया। सभी पक्षियों को सुरक्षित उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, "पक्षी, विशेष रूप से किशोर, गर्मी से निर्जलित या थके होने पर आराम करने के लिए जमीन पर उतरते हैं। उस वक़्त उड़ान भरने में असमर्थ यह पक्षी अक्सर ज़मीन पर कुत्तों या बंदरों के हमले से घायल हो जाते हैं, जो कभी-कभी घातक भी हो सकता हैं। यह देखना संतोषजनक है कि अधिक से अधिक लोग हमारी हेल्पलाइन पर कॉल कर रहे हैं ताकि हम इन पक्षियों को समय पर बचा सकें।
पक्षी स्वतंत्रता का प्रतीक हैं
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि (Geeta Seshamani, Co-Founder and Secretary, Wildlife SOS) ने कहा, "आसमान में उड़ने वाले यह पक्षी स्वतंत्रता का प्रतीक हैं। आज, हालांकि, तेजी से बढ़ रही गर्मी और शहरी अतिक्रमण के कारण, पृथ्वी पर जीवन इनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण बन गया है। हमारी टीम ऐसे ही पक्षियों की सहायता के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है।"