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BUDGET 2018: महिला सशक्तीकरण पर कितना खरा उतरेगा बजट?

सैनेटरी पैड को जीएसटी से बाहर रखने की मांग के साथ महिलाओं की बजट से बहुत-सी उम्मीदें बंधी हैं। मसलन, महिलाएं चाहती हैं कि बजट में महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति के लिए राशि आवंटित नहीं होनी चाहिए, बल्कि महिला सुर

tiwarishalini
Published on: 1 Feb 2018 8:59 AM IST
BUDGET 2018: महिला सशक्तीकरण पर कितना खरा उतरेगा बजट?
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नई दिल्ली: सैनेटरी पैड को जीएसटी से बाहर रखने की मांग के साथ महिलाओं की बजट से बहुत-सी उम्मीदें बंधी हैं। मसलन, महिलाएं चाहती हैं कि बजट में महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति के लिए राशि आवंटित नहीं होनी चाहिए, बल्कि महिला सुरक्षा को बजट में खास तवज्जो मिले।

निर्भया फंड में सुरक्षा के नाम पर आवंटित राशि दोगुनी किए जाने की जरूरत है। रसोई में इस्तेमाल होने वाली रोजमर्रा की चीजें सस्ती हों। बजट में स्त्री शिक्षा पर अधिक खर्च हो और महिला किसानी को सुगम बनाया जाए।

निर्भया की मां आशा देवी ने आईएएनएस से कहा, "मैं चाहती हूं कि इस बार बजट में महिला सुरक्षा के नाम पर ज्यादा पैसा आवंटित किया जाए। निर्भया फंड दोगुना होना चाहिए। महिला अपराधों के निपटारे के लिए अधिक संख्या में त्वरित अदालतों के लिए धन आवंटित हो। स्त्री शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए। बजट में महिलाओं के लिए व्यावसायिक शिक्षा को तरजीह दी जानी चाहिए।"

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं, "इस बार का आर्थिक सर्वेक्षण गुलाबी रंग की फाइल में बंद था, जो महिला सशक्तीकरण का प्रतीक रहा। उम्मीद है कि बजट भी महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित होगा। महिला सुरक्षा के नाम पर पिछले बजट में आवंटित लगभग 1.86 करोड़ रुपये की धनराशि को बढ़ाया जाना चाहिए। सैनेटरी पैड से जीएसटी हटे, ताकि यह सभी महिलाओं की पहुंच में आ सके।

महिलाओं की उच्च शिक्षा सस्ती की जाए, उन्हें नया कारोबार शुरू करने के लिए सस्ते ब्याज पर ऋण उपलब्ध हो। दिल्ली सरकार के मातृत्व लाभ कार्यक्रम के लिए बजट आवंटन में बढ़ोतरी होनी चाहिए।"

कवयित्रि एवं उपन्यासकार इला कुमार को बजट से बहुत उम्मीदे हैं। वह कहती हैं, "इस बार का बजट समान काम, समान वेतन के नारे के साथ पेश होना चाहिए। महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर देने के लिए रोजगार केंद्रों और महिला उद्योग कौशल पर ज्यादा पैसा खर्च हो।"

वह कहती हैं, "मनु संहिता में कहा गया है कि महिलाओं की सुरक्षा करने से बेहतर है कि उन्हें खुद की सुरक्षा करना सिखाया जाए। इसके लिए देशभर में आत्मसुरक्षा से संबंधित केंद्रों की स्थापना के लिए पैसा आवंटित हो। देश के हर शहर में अकेली रह रहीं महिलाओं के लिए सस्ते आवास होने चाहिए। कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए क्रैच की सुविधाओं के लिए अत्यधिक पैसा बजट में आवंटित होना चाहिए।"

दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह शुक्ला ने आईएएनएस को बताया, "सैनेटरी पैड से जीएसटी हटाना चाहिए, ताकि हर तबके की महिलाएं इसका इस्तेमाल कर सकें। महिला इस्तेमाल की चीजों पर विशेष ध्यान की जरूरत है। महिला अपराध से जुड़े मामलों से निपटने के लिए त्वरित अदालतें खोलने पर अधिक धनराशि आवंटित होना चाहिए। उम्मीद करती हूं कि राष्ट्रीय बालिका माध्यमिक शिक्षा प्रोत्साहन योजना और एकीकृत बाल विकास सेवाओं में किशोरियों के लिए बड़े ऐलान होंगे।"

महिला करदाताओं की मांग है कि सरकार उन्हें बजट में कुछ ज्यादा कर छूट दे। पेशे से शिक्षिका प्रतिभा डबास कहती हैं, "महिलाओं को बजट में अधिक कर छूट मिलनी चाहिए, विशेष रूप से बच्चे का अकेले लालन-पालन कर रहीं महिलाओं को इसका लाभ मिलना ही चाहिए।"

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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