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Parliament Winter Session: 4 दिसंबर से 22 दिसंबर तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र, इन विधेयकों को किया जा सकता पेश
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र की तारीख सामने आ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसबंर को शुरू होगा और 22 दिसंबर तक चलेगा। 19 दिनों के इस सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी।
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र की तारीख सामने आ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसबंर को शुरू होगा और 22 दिसंबर तक चलेगा। 19 दिनों के इस सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी शीतकालीन सत्र होने जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों अगले साल आम चुनाव में जाने से पहले संसद से पारित करवा सकती है।
कुछ विधेयक ऐसे हैं, जिनके पारित होने के बारे में सबसे अधिक चर्चा है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने वाले तीन प्रमुख विधेयकों को सत्र के दौरान संसद में पेश किया जा सकता है। इसकी प्रबल संभावना इसलिए भी है क्योंकि गृह मामलों की स्थायी समिति पहले ही इसे अपना चुकी है।
संसद में पारित होने वाला एक अन्य प्रमुख विधेयक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित है। हालांकि, इसे मानसूत्र सत्र के दौरान पेश किया गया था, मगर केंद्र सरकार विपक्ष के कड़े विरोध और पूर्व चुनाव आयुक्तों की ओर से उठाई गई चिंताओं के कारण इसे संसद के विशेष सत्र में पारित करने से पीछे हट गई थी।
विधेयक को पारित कराने के साथ ही सरकार का लक्ष्य मुख्य चुनाव आयुक्तों और चुनाव आयुक्तों के कद को कैबिनेट सचिव के बराबर करना है। वर्तमान में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के दर्जा के समान हैसियत प्राप्त है। ऐसे में आम चुनाव से पहले सरकार इस अहम विधेयक को भी पारित करवाने की कोशिश करेगी, जिसपर भारी हंगामा होने के पूरे आसार हैं।
गिनती के एक दिन बाद शुरू होगा सत्र
शीतकालीन सत्र की टाइमिंग भी बेहद दिलचस्प है। देश में फिलहाल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। 30 नवंबर तक सभी जगहों पर वोटिंग समाप्त हो जाएगी और तीन दिसंबर को पांचों राज्यों के नतीजे एक साथ आएंगे। इसके अगले ही दिन संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। ऐसे में पांचों राज्यों के नतीजे संसद में नेताओं के मूड को तय करेंगे। जिनके पक्ष में नतीजे आएगा, निश्चित तौर पर उनका खेमा में ज्यादा मनोबल के साथ संसद पहुंचेगा।