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Women Reservation Bill: महिला आरक्षण के लिए संघ ने बढ़ाया दबाव, विशेष सत्र से पहले दिल्ली में सियासी हलचल तेज,अब मोदी सरकार पर सबकी निगाहें

Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार के एजेंडे को लेकर कई दिनों से उठापटक मची हुई है। हालांकि सरकार की ओर से बताए गए मुद्दों में महिला आरक्षण विधेयक का जिक्र नहीं किया गया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 17 Sep 2023 7:48 AM GMT (Updated on: 17 Sep 2023 7:48 AM GMT)
Women Reservation Bill
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पीएम मोदी और मोहन भागवत ( सोशल मीडिया)

Women Reservation Bill: संसद के 18 सितंबर से होने वाले विशेष सत्र से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने महिलाओं को मजबूत बनाने पर जोर दिया है। पुणे में समाप्त हुई संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के दौरान महिला सशक्तिकरण की मजबूत ढंग से पैरवी की गई। संघ की ओर से सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। संघ के इस रुख से महिला आरक्षण विधेयक को लेकर दिल्ली में अटकलों का बाजार गरमा गया है।

संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार के एजेंडे को लेकर कई दिनों से उठापटक मची हुई है। हालांकि सरकार की ओर से बताए गए मुद्दों में महिला आरक्षण विधेयक का जिक्र नहीं किया गया है मगर सियासी जानकारों का मानना है कि सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठाकर सभी को हैरान कर सकती है। अब सबकी निगाहें कल से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र पर लगी हुई हैं। यह विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलने वाला है।

महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर संघ का मंथन

पुणे में शनिवार को समाप्त हुई संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के समापन पर संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने बताया कि बैठक के दौरान समाज में महिलाओं की अग्रणी भूमिका पर गहराई से मंथन किया गया है। संघ से जुड़े संगठनों की ओर से जीवन के विविध क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। हमने इस विषय पर बैठक के दौरान चर्चा की है और अब इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

संघ विचारक ने कहा कि भारतीय चिंतन में परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है और हर परिवार में महिलाओं की भूमिका सबसे प्रमुख होती है। इसलिए हमारा मानना है कि महिलाओं को हर मोर्चे पर अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

संघ की बैठक क्यों है महत्वपूर्ण

पुणे में हुई संघ की यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस बैठक में संघ के प्रमुख मोहन भागवत और और संघ के अन्य शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक के पहले दिन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण के साथ इस बैठक का समापन हुआ। इस बैठक में संघ से जुड़े 36 संगठनों के 246 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। संघ की शताब्दी योजना के तहत महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर बैठक में गहराई से मंथन किया गया है।

संघ की बैठक के बाद सियासी हलचल तेज

हालांकि इस बैठक के बाद संघ की ओर से महिला आरक्षण विधेयक को लेकर खुलकर कोई बयान नहीं दिया गया है मगर माना जा रहा है कि संघ का रुख महिला आरक्षण विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर दबाव बढ़ने वाला रहा है। संघ की इस बैठक के बाद दिल्ली में सत्ता के गलियारों में सियासी हलचल तेज हो गई है।

इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को लेकर सरकार की ओर से बड़ा कदम उठाए जा सकता है। हालांकि भाजपा या सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है।

महिलाओं को साधने में पीएम मोदी को मिलेगी मदद

वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा अपने फैसलों से देश-दुनिया को चौंकाते रहे हैं। ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि 2024 की सियासी जंग के मद्देनजर पीएम मोदी महिला आरक्षण विधेयक का मास्टरस्ट्रोक भी लगा सकते हैं। पीएम मोदी हमेशा हैरान करने वाले फैसले लेते रहे हैं और ऐसे में उनका यह कदम आधी आबादी का समीकरण सेट करने की दिशा में बड़ा हथियार साबित हो सकता है।

मोदी सरकार की ओर से महिला आरक्षण विधेयक पर लंबे समय से विचार किया जा रहा है। सांसदों की संख्या में लैंगिक समानता लाने की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। इसके साथ ही इस कदम के जरिए भाजपा को 2024 की सियासी जंग में विपक्ष का चक्रव्यूह भेदने में भी बड़ी मदद मिलेगी।

देश की सियासत में पीएम मोदी के उभार में महिलाओं के समर्थन की बड़ी भूमिका मानी जाती है। इस विधेयक के जरिए भाजपा को आधी आबादी का समर्थन हासिल करने में बड़ी मदद मिलने की संभावना जताई जा रही है।

लंबे समय से ठंडा बस्ते में पड़ा है विधेयक

एक काबिले गौर बात यह भी है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किए जाने के बाद विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में घमासान छिड़ने की संभावना भी जताई जा रही है। यह विधेयक 2008 से ही ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। 2008 में यूपीए वन सरकार के समय इस विधेयक को आखिरी बार संसद में पेश किया गया था मगर मंडलवादी पार्टियां इसके विरोध में खड़ी हो गई थीं। इस तीखे विरोध के बाद मनमोहन सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डालने में ही भलाई समझी थी।

इस विधेयक को राज्यसभा में भाजपा और वाम दलों का समर्थन मिला था और इसे दो तिहाई बहुमत से पारित किया गया था मगर लोकसभा में इसे पेश ही नहीं किया गया। यदि मोदी सरकार की ओर से यह विधेयक पेश किया जाता है तो कई दलों की प्रतिक्रिया पर भी सबकी निगाहें होंगी।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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