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Women's Reservation Bill: महिला आरक्षण: फर्क सिर्फ जनगणना और परिसीमन का
Women's Reservation Bill: पहले के पेश प्रस्तावों और नवीनतम प्रस्ताव में फर्क सिर्फ इतना है कि अब जनगणना और परिसीमन की शर्त जोड़ दी गयी है। बाकी चीजें अमूमन वही हैं।
Women's Reservation Bill: केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश कर दिया है जिसपर चर्चा जारी है। लोकसभा और विधानसभाओं में महिला आरक्षण के लिए सन 96 से प्रयास चल रहे हैं और कई मर्तबा विधेयक पेश किये जा चुके हैं। पहले के पेश प्रस्तावों और नवीनतम प्रस्ताव में फर्क सिर्फ इतना है कि अब जनगणना और परिसीमन की शर्त जोड़ दी गयी है। बाकी चीजें अमूमन वही हैं।
कब-कब महिला आरक्षण की हुई मांग
1987 में, प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए सिफारिशें देने के लिए केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा के नेतृत्व में 14 सदस्यीय समिति का गठन किया था। राजीव गांधी ने ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने के लिए लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। विधेयक लोकसभा में पारित हो गया लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पारित होने में विफल रहा।
1992 में, प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम पारित किए, जिसके तहत पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33.3 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य था।
महिला आरक्षण विधेयक पहली बार एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 12 सितंबर 1996 को 11वीं लोकसभा में संविधान (81वां संशोधन) विधेयक, 1996 के रूप में पेश किया गया था। फिर इसे संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा गया था, लेकिन 11वीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही यह विधेयक समाप्त हो गया।
1996 में महिला आरक्षण विधेयक की जांच करने वाली संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति देने के लिए संविधान में संशोधन होने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
1993 में एक संवैधानिक संशोधन पारित किया गया था जिसमें ग्राम पंचायत में ग्राम परिषद नेता या सरपंच के यादृच्छिक एक तिहाई पदों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का आह्वान किया गया था। इस आरक्षण को संसद और विधान सभाओं तक विस्तारित करने की एक दीर्घकालिक योजना है।
19 सितंबर 2023 को, नरेंद्र मोदी सरकार ने नए संसद भवन में लोकसभा में संसद के विशेष सत्र के दौरान विधेयक को 128वें संवैधानिक संशोधन विधेयक, 2023[17] के रूप में पेश किया। लोकसभा से पारित होने के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम फिर से राज्यसभा में जाएगा।
क्या है फर्क
महिलाहों को आरक्षण देने का जो विधेयक पहले पेश किया गया था उसमें भी 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने, 15 साल तक आरक्षण देने और आरक्षण के भीतर एस व एसटी कोटे की बात थी सो ऐसे में देखा जाये तो 2023 में पेश प्रस्ताव में नई बात सिर्फ जनगणना और परिसीमन के बाद महिला आरक्षण शुरू करने की नई बात है। पहले के पेश प्रस्तावों में ऐसी कोई बात नहीं थी।