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Unparliamentary Language: संसद में जुमलाजीवी, कोरोना स्प्रेडर, जयचंद, समेत दर्जनों शब्द बैन, देखें पूरी लिस्ट

Unparliamentary Language: संसद में अकसर एक-दूसरे पर निशाना साधने के लिए सांसद 'बाल बुद्धि' और 'स्नूपगेट' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं, जो अब नहीं कर पाएंगे।

Ramkrishna Vajpei
Report Ramkrishna VajpeiWritten By aman
Published on: 14 July 2022 12:56 PM IST (Updated on: 14 July 2022 12:58 PM IST)
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Parliament(Image: Social Media)

Unparliamentary Language: हाल के वर्षों में संसदीय कार्यवाही के दौरान कई बार ऐसे नज़ारे देखने को मिले, जब सांसदों ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जिसे 'असंसदीय' या 'अमर्यादित' कहा जाए। हालांकि, ऐसे शब्दों या वाक्यों को कई बार संसदीय कार्यवाही की रिकॉर्ड से अलग कर दिया जाता रहा है। मगर, देश में उस चर्चा होती रहती है। इसी के मद्देनजर संसद (Parliament) के दोनों सदनों लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) में शब्दों के इस्तेमाल को लेकर अब नई गाइडलाइन जारी की गई है।

लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) ने 'असंसदीय शब्द 2021' शीर्षक के तहत ऐसे कई शब्दों और वाक्यों की सूची तैयार की है, जिन्हें 'असंसदीय अभिव्यक्ति' (Unparliamentary Expression) की श्रेणी में रखा गया है। नई गाइडलाइन के अनुसार अब संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले सांसद चर्चा के दौरान कोरोना स्प्रेडर,जुमलाजीवी, जयचंद तथा भ्रष्ट जैसे आम बोलचाल के शब्दों का इस्तेमाल भी नहीं कर पाएंगे।

आम बोलचाल के शब्द भी प्रतिबंधित

इतना ही नहीं प्रतिबंधित शब्दों की एक लंबी सूची है जिसका प्रयोग अब सांसद पार्लियामेंट में नहीं कर पाएंगे। संसद में अकसर एक-दूसरे पर निशाना साधने के लिए सांसद 'बाल बुद्धि' और 'स्नूपगेट' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं, जो अब नहीं कर पाएंगे। इतना ही नहीं कई शब्दों को भी प्रतिबंधित किया गया है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर किया जा रहा है, जैसे- शर्म, विश्वासघात, ड्रामा, दुर्व्यवहार, पाखंड तथा अक्षम। अब इन शब्दों का प्रयोग लोकसभा और राज्यसभा में असंसदीय माना जाएगा।

अब ये शब्द माने जाएंगे 'असंसदीय'

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी नई बुकलेट के अनुसार, ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जाएगा और ये सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे। इन शब्दों के अलावा पार्लियामेंट में निशाना साधने के लिए इस्तेमाल होने वाले आम शब्द भी प्रतिबंधित होंगे। यहां तक कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले शब्द जैसे- शर्म, दुर्व्यवहार, ड्रामा, पाखंड,विश्वासघात और अक्षम जैसे शब्द अब असंसदीय होंगे। इसके अलावा शकुनि, जयचंद, चांडाल चौकड़ी, लॉलीपॉप, गुल खिलाए, पिट्ठू जैसे शब्दों का भी दोनों सदनों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।

'अमर्यादित' शब्दों सूची लंबी

जारी बुकलेट के मुताबिक, असंसदीय शब्द, वाक्य या अमर्यादित अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखे गए शब्दों में काला सत्र,कमीना, दलाल, दोहरा चरित्र, खून की खेती, निकम्मा, ढिंढोरा पीटना, नौटंकी, चिलम लेना, बहरी सरकार, छोकरा, गोरू चोर, कोयला चोर, चरस पीते हैं, सांड, खालिस्तानी आदि शब्द हैं। यह फेहरिस्त लंबी है। इसके अलावा, विनाश पुरुष, तानाशाही, अराजकतावादी, तानाशाह, गद्दार, अपमान, गूंस, घड़ियाली आंसू, गिरगिट,असत्य, अहंकार, कालाबाजारी, काला दिन, खरीद-फरोख्त, दंगा, दादागीरी, बेचारा, दलाल, संवेदनहीन, सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसे शब्द भी शामिल किए गए हैं।

अंग्रेजी के भी कई शब्दों को इस सूची में जगह मिली है

इंग्लिश के शब्द 'bloodshed', 'bloody', 'betrayed', 'ashamed', 'abused', 'cheated, 'chamcha', 'chamchagiri', 'chelas', 'childishness', 'corrupt', 'coward', 'criminal' and 'crocodile tears' 'disgrace', 'donkey', 'drama', 'eyewash', 'fudge', 'hooliganism', 'hypocrisy', 'incompetent', 'mislead', 'lie' and 'untrue' का इस्तेमाल भी अब असंसदीय माना जायेगा।

असंसदीय शब्दों और भावों को सूचीबद्ध करने वाली पुस्तिका 18 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र से पहले आयी है। लोकसभा और राज्यसभा में 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में ये नियम लागू हो जाएगा। लोकसभा सचिवालय द्वारा जिन शब्दों को असंसदीय बताया गया है उनमें कुछ बेहद सामान्य शब्द हैं और बोलचाल के दौरान धड़ल्ले से प्रयोग किए जाते हैं. इनमें अंग्रेजी के भी कई शब्दों को शामिल किया गया है।

देश में विभिन्न विधान निकायों के साथ-साथ राष्ट्रमंडल संसदों में अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर असंसदीय घोषित किए गए कुछ शब्दों और अभिव्यक्तियों को भविष्य में तत्काल संदर्भ के लिए लोकसभा सचिवालय द्वारा संकलित किया गया है। हालांकि, राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष के पास शब्दों और भावों को समाप्त करने के लिए अंतिम अधिकार सुरक्षित है।

संकलन में 2021 के दौरान भारत में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं में असंसदीय घोषित शब्दों और अभिव्यक्तियों के संदर्भ शामिल हैं, इसके अलावा 2020 में कुछ राष्ट्रमंडल संसदों में अस्वीकृत भी हैं। सूची में कहा गया है कि कुछ कीवर्ड संसदीय कार्यवाही के दौरान बोली जाने वाली अन्य अभिव्यक्तियों के संयोजन के साथ पढ़े जाने तक असंसदीय नहीं दिखाई दे सकते हैं। अभिव्यक्तियों की सूची में दोनों सदनों में या तो अंग्रेजी या हिंदी में अध्यक्ष के खिलाफ किए गए कोई भी आक्षेप भी शामिल हैं, जिन्हें असंसदीय माना जाएगा और संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।

लोकसभा अध्यक्ष के राज्यसभा सभापति सत्र के दौरान सदन में बोले गए शब्दों की समीक्षा करते हैं और सभापीठ द्वारा असंसदीय शब्दों को हटा दिया जाता है। ऐसे शब्द लोकसभा और राज्य सभा दोनों के संसद रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनते हैं।

हालांकि, राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष के पास इन शब्दों और भावों को सदन की कार्यवाही से हटाने का अंतिम अधिकार होगा. इस सूची में कहा गया है कि कुछ शब्द तब तक अंससदीय मालूम नहीं पड़ते जबतक कि संसदीय कार्यवाही के दौरान इन्हें अन्य संबोधन के साथ मिलाकर नहीं देखा जाता है।

क्या बोला विपक्ष

इस पुस्तिका के सामने आने के साथ विपक्ष में कोहराम मच गया है और इसकी व्यापक आलोचना शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर कहा है कि 'जुमलाजीवी' से किसको डर होगा- जिसने जुमले दिए हों। 'जयचंद' शब्द से कौन डरेगा- जिसने देश से धोखा किया हो। ये संसद में शब्द बैन नहीं हो रहे हैं, पीएम मोदी का डर बाहर आ रहा है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाडरा ने कहा है, सरकार की मंशा है कि जब वो भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं; भ्रष्टाचार को 'मास्टरस्ट्रोक' बोला जाए "2 करोड़ रोजगार", "किसानों की आय दुगनी" जैसे जुमले फेंके, तो उसे जुमलाजीवी नहीं; 'थैंक यू' बोला जाए PS: संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था?

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने अपने ट्वीट में कहा है कि संसद में अपनी बात रखते हुए अब हमें इन मूल शब्दों-शर्मिंदा, धोखा, भ्रष्ट, अक्षम, दिखावा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। टीएमसी नेता ने कहा कि वह इन शब्दों का इस्तेमाल करेंगे।

टीएमसी की वरिष्ठ नेता और सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, "आपका मतलब है कि मैं लोकसभा में खड़ी नहीं हो सकती और यह बात नहीं कर सकती कि एक अक्षम सरकार ने भारतीयों को कैसे धोखा दिया है, जिन्हें अपनी हिपोक्रेसी पर शर्म आनी चाहिए?"





Rakesh Mishra

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