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World Environment Day 2022: आपदाओं का अगला शिकार हो सकते हैं आप, अब भी बचा लीजिये पर्यावरण को
World Environment Day 2022: इस साल की रिकार्ड तोड़ गर्मी, असम की भीषण बाढ़ (great flood) और चंद साल पहले की केदारनाथ त्रासदी समेत तमाम प्राकृतिक आपदाओं को आज जरूर याद कीजियेगा।
World Environment Day 2022: इस साल की रिकार्डतोड़ गर्मी, असम की भीषण बाढ़ (great flood) और चंद साल पहले की केदारनाथ त्रासदी समेत तमाम प्राकृतिक आपदाओं को आज जरूर याद कीजियेगा। ये सब पर्यावरण से जुड़ी घटनाएं हैं जो किस न किसी रूप में हर साल अलग अलग जगहों पर घटती हैं। आज दुनिया 49 वां विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मना रही है। ये दिन पर्यावरण के प्रति सिर्फ चिंता जताने का नहीं बल्कि पर्यावरण की रक्षा के लिए कुछ करने का संकल्प लेने का है। ये जिम्मेदारी हम सबकी है क्योंकि पृथ्वी हमारा घर है और अपना घर हमें ही बचाना होगा।
पर्यावरण दिवस (environment day) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा समर्थित और नेतृत्व में 1973 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की मेजबानी स्वीडन द्वारा की जा रही है।
जरा सोचिए (think about the environment)
इस वर्ष पर्यावरण दिवस पर हमें उत्तर भारत की असामान्य भीषण गर्मी और असम में आई भीषण बाढ़ को ज़ेहन में अवश्य रखना चाहिए। असम की बाढ़ और यूपी की गर्मी कोई लोकल समस्या नहीं है, ये अच्छी तरह से समझना होगा। क्योंकि इन आपदाओं और असामान्य प्राकृतिक स्थितियों से हर कोई प्रभावित होता है। ये भी जान लीजिए कि पर्यावरण और आपदाओं का गहरा संबंध है। हमारी प्रकृति नाजुक रूप से संतुलित है। अपने लापरवाह और सतत उपभोग और उत्पादन पैटर्न के माध्यम से, हम उस संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। हमारा घर यानी ये धरा, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान और प्रदूषण के संकट का व्यापक रूप से सामना कर रही है। एक निश्चित लिमिट के आगे इस संकट का प्रभाव अत्यधिक स्पष्ट और अपरिवर्तनीय हो जाता है। यदि इसे अनियंत्रित होने दिया जाता है, तो ये प्राकृतिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करेंगे और प्राकृतिक खतरों के झटकों और तनाव को बढ़ा देंगे।
भारत पर संकट (crisis in india)
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में एक गंभीर तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लगभग सभी मोर्चों पर जलवायु परिवर्तन से उभरने वाले चरम परिदृश्यों का सामना करेगा - समुद्र के बढ़ते स्तर से लेकर भूजल की कमी तक, चरम मौसम के पैटर्न से लेकर फसल उत्पादन में गिरावट के अलावा स्वास्थ्य खतरों में वृद्धि तक में।
जिम्मेदारी किसकी?
एक सवाल जो जवाब मांगता है वह यह है कि पर्यावरण की रक्षा करना किसकी जिम्मेदारी है? समस्या के विशाल पैमाने और जटिलता को देखते हुए, इसमें हम सभी की हिस्सेदारी है। सरकारों, कॉरपोरेट्स, नागरिक समूहों, शिक्षाविदों, मीडिया, गैर सरकारी संगठनों, महिलाओं और युवा समूहों आउर एक एक आदमी।को अपना काम करना होगा। सरकारों को कल्पनाशील तरीकों से विज्ञान और अपने पूरे संसाधन से जलवायु परिवर्तन के मसले से निपटने की आवश्यकता होगी।
यदि हम सभी समस्या का हिस्सा हैं, तो हम सभी को भी समाधान का एक अभिन्न अंग बनना होगा। विश्व पर्यावरण दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रकृति का सम्मान करने और उसके साथ तालमेल बिठाने के अलावा और कोई चारा नहीं है। आखिरकार, यह हमारी धरती माता के बारे में है - हमारा एकमात्र निवास!
पचास वर्ष पहले इसी दिन पर्यावरण पर विश्व का पहला सम्मेलन स्टॉकहोम, स्वीडन में हुआ था। सम्मेलन के प्रतिभागियों ने दुनिया भर में पर्यावरण के प्रबंधन के लिए कई सिद्धांत सामने रखे और उन्हें अपनाने का वादा किया। अब फिर वही दिवस सामने है। इस साल पर्यावरण दिवस की मेजबानी फिर से स्वीडन द्वारा की जाएगी, और हमारा फिर एक ही नारा होगा-पर्यावरण बचाओ, पृथ्वी मानव जाति का एकमात्र घर है।
तो आइए, इस बार कुछ ठोस करने का संकल्प लें और पर्यावरण को वाकई में बचाएं।
क्या करें-
- पेड़ों को बचाएं, पौधे लगाएं
- पानी बचाएं, वाटर हार्वेस्टिंग और रिचार्जिंग करें
- पर्यावरण अनुकूल मकान बनवाएं
- जहां तक मुमकिन हो, प्लास्टिक से तौबा करें
- सोलर ऊर्जा को अपनाएं
- अपनी कार छोड़ें, सार्वजनिक परिवहन का खूब इस्तेमाल करें
- साइकिल का इस्तेमाल करें
- प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें
- रीसाइक्लिंग को बढ़ावा दें
पर्यावरण दिवस - इतिहास और महत्व (Environment Day - History and Significance)
मनुष्यों और पर्यावरण के संबंधों पर केंद्रित संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन के पहले दिन विश्व पर्यावरण दिवस स्थापित किया गया था। स्वीडन ने पहली बार 1968 में संयुक्त राष्ट्र में इस तरह का एक सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव दिया था। और 1969 में संयुक्त राष्ट्र स्वीडन में पर्यावरण के मुद्दों पर केंद्रित एक सम्मेलन आयोजित करने के लिए सहमत हुआ जो था। 1972 में दुनिया भर के विश्व नेता उन घटनाओं और अभियानों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठे हुए जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने में मदद करेंगे।
विश्व पर्यावरण दिवस का उत्सव हमें सामान्य रूप से पर्यावरण या प्रकृति के साथ फिर से जुड़ने में मदद करता है। हम यह भूल जाते हैं कि प्राकृतिक प्रणालियाँ हमारी भलाई का कितना समर्थन करती हैं। लेकिन हम प्रकृति का हिस्सा हैं और हम इस पर निर्भर हैं।
यह दिन हमें अपने ग्रह के संसाधनों और पारिस्थितिक तंत्र को स्थायी रूप से प्रबंधित करने की आवश्यकता को समझने में मदद करता है। यह हमें जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है कि भौतिक वातावरण नाजुक और अपरिहार्य है।
आज हमारा पर्यावरण दूषित पदार्थों और विषाक्त पदार्थों के साथ अत्यधिक प्रदूषण से ग्रस्त है, जो हमारे स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालता है। वे श्वसन रोगों और कैंसर के प्रकार का कारण बनते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस हमें इन समस्याओं के बारे में कुछ करने के लिए प्रेरित करता है और पर्यावरण को ठीक करने का लक्ष्य रखता है जिसके बिना हम जीवित नहीं रह पाएंगे।