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World Snake Day 2022: सांपों को एकदम करीब से जाने, आगरा से ये ज्ञान तोड़ेगा आपका भ्रम और मिथक

World Snake Day 2022 July 16th: वाइल्डलाइफ एसओएस (Wildlife SOS in Agra), सांपों को बचाने और इन सरीसृपों से पैदा होने वाले डर को कम करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने का काम सक्रिय रूप से करती आई है।

Rahul Singh
Published on: 15 July 2022 7:56 PM IST
Know the myths and misconceptions related to snakes!
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वर्ल्ड स्नेक डे: photo - social media

World Snake Day 2022 July 16th: हर साल 16 जुलाई का दिन अत्यधिक गलत समझे जाने वाले सरीसृपों (Reptiles) और जीवमंडल (Biosphere) में उनकी अहम भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड स्नेक डे (World Snake Day) के रूप में मनाया जाता है। देश में सरीसृपों के बारे में सैकड़ों मिथक फैले हुए हैं, जो की पूर्ण रूप से गलत हैं, जिन्होंने समय के साथ-साथ अंधविश्वास को भी जन्म दिया है। वाइल्डलाइफ एसओएस (Wildlife SOS), सांपों को बचाने और इन सरीसृपों से पैदा होने वाले डर को कम करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने का काम सक्रिय रूप से करती आई है।

वन्यजीवों को बचाने के लिए चौबीस घंटे काम

एनजीओ की रैपिड रिस्पांस यूनिट सांप और अन्य वन्यजीवों को बचाने के लिए चौबीस घंटे काम करती है हर दिन आगरा की हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर औसतन 10-15 सरीसृप बचाव कॉल प्राप्त होती हैं, जिसके फलस्वरूप मई की शुरुवात से लेकर अब तक वाइल्डलाइफ एसओएस की रेस्क्यू टीम ने 170 से भी अधिक सरीसृपों को सफलतापूर्वक बचाया है।

भारतीय पौराणिक कथाओं में सांपों को हमेशा एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है, जिसके कारण सदियों से लोगों के मन में भय और अंधविश्वास ने घर बना रखा है। इन सरीसृपों से जुड़ी कई गुमराह करने वाली मान्यताएं हैं, जो न ही केवल उन्हें खतरे में डालती हैं बल्कि मानव जीवन के लिए भी घातक साबित होती हैं।

देश में सांपों की 300 से भी अधिक प्रजातियां

देश में सांपों की 300 से भी अधिक प्रजातियां हैं, जिनमें से 60 से अधिक विषैली हैं, 40 से अधिक कम विषैली और लगभग 180 प्रजातियाँ विषैली नहीं हैं। स्पेक्टेकल्ड कोबरा (नाग), कॉमन क्रेट, रसल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर को "बिग 4' विषैली सांप प्रजाति के रूप में संदर्भित किया जाता है जो भारत में अधिकांश सांप के काटने से होने वाली मृत्यु और चोट के मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि ज़हरीले सांप शिकार को पकड़ने या आत्मरक्षा के लिए जहर का उपयोग करते हैं

कोबरा आमतौर पर अपना जहर बर्बाद नहीं करते बल्कि इसे भोजन और पाचन के लिए बचा कर रखते हैं। वह 90% समय सूखा ही काटते है मतलब कि जहर को मानव शरीर में नहीं छोड़ते। केवल 10% ही आमतौर पर खतरनाक मामले होते हैं, जहां पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है। अगर ज़हरीले सांप ने काट लिया तो लोगों को सांप की पहचान करना और शांत रहना जरूरी है। यदि सांप विषैला हो तो घड़ी, अँगूठी, चूड़ी आदि ऐसे किसी भी सामान को तुरंत निकाल दें। शरीर में विष को तेजी से फैलने से रोकने के लिए काटे गए स्थान को आसपास कपडे से बाँध दें और किसी भी झाड़-फूंक वाले बाबा पर समय बर्बाद करने के बजाय पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाएं। एंटी-वेनम की एक खुराक भी सभी प्रकार के ज़हरीले सांपों के काटने पर जीवन रक्षक की भूमिका निभाती है।

आगरा और उसके आस-पास का क्षेत्र लगभग 15 साँप प्रजातियों का घर हैं, इनमें से केवल कोबरा (नाग) और कॉमन क्रेट जहरीले हैं। शहर में आमतौर पर पाए जाने वाले कुछ सामान्य गैर विषैले सांपों में इंडियन रैट स्नेक, रेड सैंड बोआ, कॉमन सैंड बोआ, इंडियन रॉक पायथन (अजगर), ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नेक, कॉमन इंडियन वुल्फ स्नेक, कॉमन कैट स्नेक और चेकर्ड कीलबैक शामिल हैं।

इंडियन मॉनिटर लिज़र्ड या बंगाल मॉनिटर लिज़र्ड जिसे ज़्यादातर गोह या विषखापर के नाम से जाना जाता है- शहर में पाई जाने वाली एक और गैर-विषैली सरीसृप प्रजाति है, लेकिन जागरूकता में कमी और गलत धारणाओं के कारण, लोग इन्हें अत्यधिक ज़हरीली मान लेते हैं असल में मॉनिटर लिज़र्ड (गोह) ज़हरीली नहीं होती। मॉनिटर लिज़र्ड जो की 5 फीट तक लंबी हो सकती हैं- झाड़ियों, पार्क, जंगलों में निवास कर सकती हैं और मुख्य रूप से छोटे स्तनधारी जीव, पक्षियों, कीड़ों को खाती हैं और आमतौर पर आश्रय या भोजन की तलाश में घर या इमारतों में प्रवेश करती हैं। यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची। के तहत सूचीबद्ध है। गोह को अक्सर उनके मांस और शरीर के अंगों के लिए मार दिया जाता है। मई से लेकर अब तक, वाइल्डलाइफ एसओएस की रेस्क्यू टीम ने आगरा शहर और उसके आसपास से लगभग 40 मॉनिटर लिज़र्ड को बचाया है।

बहुत से लोग सांपों के प्रति अपने डर के कारण उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, "बढ़ते शहरीकरण, घटते जंगल, निर्माण और भोजन की कमी के कारण, साँपों के मानव आवास में देखे जाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। ऐसे में लोगों का सरीसृपों से सामना होने पर गंभीर खतरों के बारे में जागरूक होना और ऐसी स्थिति में कुशल तरीके अपनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। बहुत से लोग सांपों के प्रति अपने डर के कारण उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं, जिसका कोई मतलब नहीं होता। वाइल्डलाइफ एसओएस इस गलत दृष्टिकोण को बदलने और वन्यजीवों की उपस्थिति के प्रति जनता को संवेदनशील बनाने की दिशा में काम करता है।

हेल्पलाइन नंबर

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, "लोगों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब भी वे अपने घर में या आसपास सरीसृप देखें, तो घबराएं नहीं और शांत रहें। कभी भी उन्हें गलत तरीके से पकड़ने या मारने की कोशिश न करें क्योंकि इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, इसके बजाय हमारे हेल्पलाइन नंबर पर सूचना दें। मदद आने तक, सरीसृप की गतिविधि पर नज़र रखें, दूर से देखते रहें की वह कहाँ जा रहा हैं, ताकि हमारे बचावकर्मी बिना किसी देरी के उसे पकड़ सकें। मई से लेकर अब तक हमारी रैपिड रिस्पांस यूनिट ने आगरा शहर और उसके आसपास से 170 से अधिक सरीसृपों को बचाया है और यह संख्या अभी भी बढ़ रही है।



Shashi kant gautam

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