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नहीं भूलेंगे महाभारत-रामायण: गजब का था वो दौर, क्या आपको भी याद वो दिन

1996 में संयुक्त राष्ट्र ने टेलीविज़न के प्रभाव को आम जिंदगी में बढ़ता देख 21 नवंबर, 1996 का दिन विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day) के रूप में मनाने की घोषणा की। टेलीविजन आज 24 साल का कमसिन जवान हो गया।

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Published on: 21 Nov 2020 2:33 PM IST
नहीं भूलेंगे महाभारत-रामायण: गजब का था वो दौर, क्या आपको भी याद वो दिन
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नहीं भूलेंगे महाभारत-रामायण: गजब का था वो दौर, क्या आपको भी याद वो दिन

रामकृष्ण वाजपेयी

आज टेलीविजन मनोरंजन का सबसे बेहतरीन साधन बन गया है। बड़ी स्क्रीन के साथ एलईडी टीवी के सिनेमा हाल घरों में घुस चुके हैं। एक समय टीवी सीरियल्स में काम करने को अपनी बेइज्जती मानने वाले बॉलीवुड की दिग्गज हस्तियां इसके महत्व को देखते हुए छोटे पर्दे पर काम करने को लालायित हैं। टीवी स्क्रीन से लेकर मोबाइल लैपटॉप तक मनोरंजन की दुनिया समा चुकी है। आज के दिन ये बात इसलिए महत्वपूर्ण है चूंकि आज ही के दिन टीवी की अहमियत को वर्ष 1996 में वैश्विक रूप में पहचान मिली थी, जब संयुक्त राष्ट्र ने विश्व टेलीविजन दिवस की घोषणा की थी।

टेलीविजन आज 24 साल का कमसिन जवान हो गया

1996 में संयुक्त राष्ट्र ने टेलीविज़न के प्रभाव को आम जिंदगी में बढ़ता देख 21 नवंबर, 1996 का दिन विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day) के रूप में मनाने की घोषणा की। टेलीविजन आज 24 साल का कमसिन जवान हो गया। इस बीच तमाम सिनेमा हाल बंद हो गए। क्योंकि लोगों को घरों में ही 24 घंटे मनोरंजन मिल रहा है। फिर सिनेमा हाल कोई क्यों जाए। लिहाजा मल्टीप्लेक्स अधिक सुविधायुक्त ढंग से विकसित हुए। ताकि लोग आराम, जलपान और मनोरंजन के लिए जाएं।

टीवी के जरिए सामाजिक, आर्थिक और आम आदमी के जीवन से जुड़ी कई परेशानियों पर ध्यान केंद्रित किया गया जिसने लोगों को प्रभावित किया। टेलीविजन एक ऐसा जरिया बन गया, जिसकी सहायता से लाख-दो लाख नहीं, अपितु करोड़ों लोगों को एकसाथ संदेश पहुँचाया आसान हो गया। प्रधानमंत्री से लेकर आम जनहित सूचना के संप्रेषण तक के लिए इस माध्यम का आज उपयोग हो रहा है।

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16 दिसबंर 2004 को डायरेक्ट टू होम सर्विस शुरू

16 दिसबंर 2004 को डायरेक्ट टू होम सर्विस शुरू हुई, जिसने छोटे परदे की दुनिया में क्रांतिकारी बदला गया। 21-22 नवंबर, 1996 को विश्व के प्रथम विश्व टेलीविजन फोरम का भी आयोजन किया गया। इस दिन पूरे विश्व की मीडिया हस्तियों ने संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में एक दूसरे से भेंट की। इसके बाद प्राइवेट चैनलों की एंट्री होना आरंभ हुआ। प्राइवेट चैनलों को एक के बाद एक लाइसेंस मिलते गए।

आज भारत में प्रसारित होने वाले टीवी चैनलों की संख्या 1000 के आसपास पहुँच चुकी है। 21वीं सदी के शुरुआत में, जब केबल टीवी का प्रचलन शुरू हुआ, तब भारत में सही तरीके से रंगीन टीवी का दौर आया। सीआरटी टेलीविज़न का दौर आया, एलसीडी और प्लाज़्मा टीवी का आविष्कार हुआ, पंरतु कुछ ही वर्षों में एलईडी (LED) ने एलसीडी और प्लाज़्मा का स्थान ले लिया। आज टीवी भी कम्प्यूटर की तरह स्मार्ट हो गया है।

हर घर का एक जरूरी सदस्य

याद करिये जब हिन्दी सिनेमा के पिता दादा साहेब फाळके (फालके) ने 1913 में जब लोगों को सर्वप्रथम कपड़े के पर्दे पर अपनी बनाई हुई प्रथम हिन्दी फिल्म राजा हरिशचंद्र दिखाई थी, उस समय भारत के किसी भी व्यक्ति ने ये नहीं सोचा होगा कि पर्दे पर दिखाई जाने वाली ये फिल्म कभी घर में रखे चौकोर डब्बे में समा जायेगी।

भारत में टेलीविज़न बहुत देर से आया, परंतु आज यह हर घर की एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। छोटे पर्दे के नाम से जाना जाने वाला टेलीविज़न विश्व पटल पर अपनी एक अमिट जगह बना चुका है।

टेलीविज़न ग्रीक प्रीफिक्स ‘टेले’ और लैटिन वर्ड ‘विज़ीओ’ से मिलकर बना शब्द है। टेलीविज़न का आविष्कार 1927 में अमेरिका के वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने किया था। 1934 के आते-आते टेलीविजन पूरी तरह इलेक्ट्रानिक स्वरूप धारण कर चुका था। वैसे टेलीविज़न को भारत आने में 32 वर्ष लगे, जब 15 सितंबर, 1959 को सर्वप्रथम टेलीविज़न का प्रयोग दिल्ली में दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना के साथ किया गया था, परंतु इसका व्यापक प्रसार 1982 में भारत में आयोजित एशियाड खेलों के आयोजन से हुआ।

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पहली बार लोगों को टीवी के दर्शन 1950 में

भारत में पहली बार लोगों को टीवी के दर्शन 1950 में तब हुए, जब चेन्नई के एक इंजीनियरिंग छात्र ने एक प्रदर्शनी में पहली बार सबके सामने टेलीविज़न प्रस्तुत किया। भारत में पहला टेलीविज़न सेट कोलकाता के एक सम्पन्न नियोगी परिवार ने ख़रीदा था। 1965 में ऑल इंडिया रेडियो ने प्रतिदिन टीवी ट्रांसमिशन शुरू किया। 1976 में सरकार ने टीवी को ऑल इंडिया रेडियो से अलग कर दिया।

महाभारत और रामायण ने टेलीविज़न की बिक्री बढ़ा दी

1982 में पहली बार राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल की शुरूआत हुई। भारत में टेलीविज़न पर पहला रंगीन प्रसारण 15 अगस्त 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भाषण के साथ शुरू हुआ। 80-90 का दशक भारत में टेलीविज़न के विस्तार का रास्ता खोलता गया। दूरदर्शन पर महाभारत और रामायण जैसी सीरियलों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। महाभारत और रामायण धारावाहिकों के प्रसारण के समय सड़कों पर मानों कर्फ्यू सा लग जाता था।

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सारा कामकाज प्रसार भारती को सौंप दिया गया

1997 में टेलीविज़न चैनलों का सारा कामकाज प्रसार भारती को सौंप दिया गया, जिसमें उनकी सहायता यूनेस्को ने की। इसके बाद प्रतिदिन समाचार बुलेटिन प्रसारित होने लगा। शुरू में इसका नाम टेलीविज़न इंडिया रखा गया, परंतु बाद में इसका नाम बदल कर दूरदर्शन कर दिया गया, जो इसके नाम को सार्थक भी करता है।

शुरू में टेलीविज़न प्रसारण केवल 7 शहरों में दिखाया जाता था। 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने टीवी प्रसारण के विस्तार की शुरुआत की।

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टीवी का शुरूआती इतिहास

शुरुआत में Cathode Ray Tube यानी CRT टीवी हुआ करते थे। ये आकार में मोटे और वजन में भारी होते थे। 1955 में Eugene Polley ने टेलीविजन रिमोट का आविष्कार किया था। बाद में Liquid Crystal Display यानी LCD टीवी का दौर आया और अब टेलीविज़न अपने सर्वाधिक अत्याधुनिक रूप Light Emitting Diode यानी LED टीवी में बदल गया है, जो वज़न में हल्के और पतले होते हैं। वर्तमान में HD, Ultra HD क्वॉलिटी के टेलीविज़न भी आते है।

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