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भारत में उतरा दुनिया का सबसे बड़ा कार्गो प्लेन, बैठ सकते हैं 1500 लोग

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Published on: 13 May 2016 5:23 PM IST
भारत में उतरा दुनिया का सबसे बड़ा कार्गो प्लेन, बैठ सकते हैं 1500 लोग
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हैदराबाद: दुनिया का सबसे बड़ा मालवाहक विमान एंतोनोव एएन-225 हैदराबाद के शमशाबाद राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा।

इस मालवाहक विमान में छह टर्बोफेन इंजिन लगे हैं। यह अब तक बना सबसे बड़ा और भारी विमान है। हैदराबाद में लैंड होने से पहले यह विमान तुर्कमेनिस्तान, मलेशिया में रुका था। कार्गो प्लेन 'एंतोनोव एएन-225 मरिया' अपनी पहली कमर्शियल फ्लाइट के लिए मंगलवार को कीव से रवाना हो गया था।

छह टर्बोफैन इंजनों की मदद से चलता है

एक बयान में बताया गया है कि बहुत फैले हुए ढांचे वाले इस विमान को छह टर्बोफैन इंजनों की मदद से चलाया जाता है। यह अब तक का सबसे लंबा और सबसे भारी विमान है। जो कुल मिलाकर 640 टन वज़न के साथ उड़ सकता है। बयान के मुताबिक, इसके पंखों का फैलाव दुनिया के किसी भी चालू विमान से ज्यादा है।

क्या है विमान की खासियत

यह 640 टन तक के भार के साथ उड़ान भर सकता है। इस विमान में की क्षमता 1500 लोगों को एक साथ ले जाने की है जो किसी भी बड़े विमान की तुलना में कई गुना अधिक है।इस विमान का निर्माण 80 के दशक में रूस के एक स्पेसक्राफ्ट को लॉन्चपैड तक ले जाने के लिए किया गया था।

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एक बार में कर सकता है हजारों किमी की यात्रा

यह एक बार में 4000 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकता है। यह प्लेन सात मंजिला है तथा इसमें 32 टायर होने के साथ 6 इंजन है। यह दुनिया का अकेला ऐसा विमान है, जिसका विंग एरिया बोइंग 747 प्लेन के विंग एरिया से तकरीबन दोगुना है।

10 टैंक लेकर उड़ सकता है

यह कार्गो विमान 10 ब्रिटिश टैंक लेकर उड़ सकता है।लंबे समय तक इस कार्गो का इस्तेमाल सोवियत आर्मी द्वारा किया गया था।

गौरतलब है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस डिफेन्स ने पिछले माह यूक्रेन की एन्टोनिक कंपनी से विमान के प्लेटफॉर्मों की असेम्बलिंग, उत्पादन, रख-रखाव और सुधार के लिए करार भी कर लिया है, जो सैन्य तथा वाणिज्यिक उद्देश्यों से किया जाएगा।

एन्टोनोव के साथ मिलकर रिलायंस डिफेन्स अब एचएएल की 50-80 सीट वाले यात्री विमान कार्यक्रम सहित विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करने की ओर ध्यान देगी, जिनमें मूलभूत कन्फिगरेशन तथा यातायात, समुद्री गश्त व अन्य सैन्य ज़रूरतें शामिल होंगी।

कहा जाता है कि भारत को 200 से भी ज़्यादा मध्यम दर्जे का वज़न उठाने में सक्षम टर्बोफैन विमानों की ज़रूरत होगी, जिनकी कीमत लगभग 35,000 करोड़ रुपए आंकी गई है। ये विमान वायुसेना, थलसेना तथा अर्द्धसैनिक बलों को सभी यातायात सुविधाएं देने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।

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