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गोधरा कांड में आरोपी याकूब पटालिया को उम्रकैद की सजा

वर्ष 2002 के गोधरा केस में अहमदाबाद की विशेष एसआईटी अदालत ने आरोपी याकूब पटालिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। याकूब उस भीड़ में शामिल था, जिसने 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाई थी। इस हादसे में 59 लोग मारे गए थे, फिर पूरे गुजरात में दंगे हुए थे।

Aditya Mishra
Published on: 20 March 2019 2:52 PM IST
गोधरा कांड में आरोपी याकूब पटालिया को उम्रकैद की सजा
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फ़ाइल फोटो

नई दिल्ली: वर्ष 2002 के गोधरा केस में अहमदाबाद की विशेष एसआईटी अदालत ने आरोपी याकूब पटालिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। याकूब उस भीड़ में शामिल था, जिसने 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाई थी। इस हादसे में 59 लोग मारे गए थे. फिर पूरे गुजरात में दंगे हुए थे।

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अहमदाबाद के साबरमती जेल में स्पेशल एसआईटी कोर्ट में अतिरिक्त सेशन जज एचसी वोरा ने गोधरा कांड मामले में पकड़े गए याकूब अब्दुल गनी पटालिया को भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 120बी,149 तथा रेलवे एक्ट व डेमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कैद की सजा सुनाई।

सरकारी वकील नरेंद्र प्रजापति ने बताया कि आरोपित याकूब लंबे समय से फरार था। 27 फरवरी, 2002 को गोधरा स्टेशन पर कारसेवकों को जिंदा जलाने की साजिश में वह शामिल था। 26 फरवरी को स्टेशन के पास अमन गेस्ट हाउस पर 140 लीटर पेट्रोल एकत्र कर गोधरा स्टेशन के आगे साबरमती एक्सप्रेस को रोककर हमला कर पेट्रोल डालकर जलाने की साजिश में वह शामिल था। इस मामले में विशेष अदालत की ओर से 11 को फांसी व 22 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। आठ आरोपित अभी भी फरार हैं।

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गुजरात के गोधरा में वर्ष 2002 में हुए ट्रेन अग्निकांड के मामले में पुलिस की एक टीम ने आरोपित याकूब पटालिया (63) को गोधरा से गिरफ्तार किया था। याकूब पटालिया पर उस भीड़ में शामिल होने का आरोप है जिसने 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में आग लगाई थी।

याकूब के खिलाफ सितंबर 2002 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। उसके खिलाफ आईपीसी और रेलवे कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने बताया कि वह घटना के बाद से ही फरार था। साल 2002 में गोधरा में ट्रेन के डिब्बे जलाने के मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। हाई कोर्ट ने फैसले के दौरान कहा था कि इस मामले में अब किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी।

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