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Year Ender 2022: मंदिरों के कॉरिडोर-सेंट्रल विस्टा-पुलों सहित कई ऐतिहासिक बदलाव, ये ड्रीम प्रोजेक्ट्स हुए पूरे

Year Ender 2022: ये साल मंदिरों के कॉरिडोर, सेंट्रल विस्टा, पुलों और टनल के निर्माण के लिए याद रखा जाएगा। इस वर्ष पीएम मोदी के कई ड्रीम प्रोजेक्ट्स पूरे हुए तो कुछ जल्द पूरे होंगे।

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Written By aman
Published on: 18 Dec 2022 7:31 AM IST (Updated on: 18 Dec 2022 7:47 AM IST)
PM Modi arrives in Kedarnath
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उत्तराखंड में पीएम मोदी (फोटो: सोशल मीडिया )

Year Ender 2022: ये वर्ष समाप्ति की ओर है। इस साल को कई मायनों में याद रखा जाएगा। उनमें से एक है भवनों और पुलों का निर्माण। 2022 में कई ऐसे निर्माण कार्य रहे जिन्होंने सुर्खियां बटोरी। जिनमें अव्वल रहा सेन्ट्रल विस्टा और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य। इसके अलावा, केंद्र की मोदी सरकार ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, विंध्याचल कॉरिडोर, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, बनिहाल काजीगुंड रोड टनल और पूर्वोत्तर के राज्यों में बने पुलों की भी खूब चर्चा रही। जिरीबाम-इम्फाल रेल लाइन परियोजना आज़ादी के इतने वर्षों बाद विकास की नई गाथा लिखने को तैयार है।

ये निर्माण जहां एक तरफ केंद्र सरकार की विकास गाथा को आगे बढ़ाते दिखे। वहीं, कई पुराने प्रतीक चिन्हों को सजाया-संवारा गया तो कई गुलामी के प्रतीक को किनारे कर दिया गया। इसी वर्ष इंडिया गेट (India Gate) पर जल रही 'अमर जवान ज्‍योति' (Amar Jawan Jyoti) को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में विलय कर दिया गया। साल तो खत्म हो रहा है, लेकिन नए निर्माण के जरिये ही सही नई इबारत लिखने की कोशिश की गई।


सेंट्रल विस्टा (Central Vista)

साल 2022 में सबसे ज्यादा सुर्ख़ियों में कोई निर्माण कार्य रहा तो वो है सेंट्रल विस्टा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (Central Vista Avenue) का उद्घाटन किया। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया। राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन (President's House) से इंडिया गेट (India Gate) तक के 3.2 किमी लंबे क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहते हैं। यह क्षेत्र दिल्ली के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में शामिल है। इस इलाके की कहानी वर्ष 1911 में शुरू हुई थी। तब अंग्रेजों का शासन था। कलकत्ता उनकी राजधानी हुआ करती थी। मगर, बंगाल में बढ़ते विरोध के बीच दिसंबर 1911 में किंग जॉर्ज पंचम (King George V) ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली करने का ऐलान किया। उस वक्त दिल्ली में महत्वपूर्ण इमारतें बनाने का जिम्मा एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) को दिया गया। इन दोनों ने ही सेंट्रल विस्टा को डिजाइन किया। बता दें, ये प्रोजेक्ट वॉशिंगटन के कैपिटल कॉम्प्लेक्स (Capitol Complex) और पेरिस के शान्स एलिजे (champs elysees) से प्रेरित था। ये तीनों प्रोजेक्ट नेशन-बिल्डिंग प्रोग्राम का हिस्सा थे।

सेंट्रल विस्टा के अंदर क्या-क्या?

मौजूदा वक्त में सेंट्रल विस्टा के अंदर राष्ट्रपति भवन (President's House), संसद (Parliament), नॉर्थ ब्लॉक (North Block), साउथ ब्लॉक (South Block), रेल भवन (Rail Bhawan), वायु भवन, कृषि भवन (Krishi Bhawan), उद्योग भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन, नेशनल आर्काइव्ज (National Archives), जवाहर भवन (Jawahar Bhawan), इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उपराष्ट्रपति का आवास, नेशनल म्यूजियम (National Museum), विज्ञान भवन (Vigyan Bhawan), रक्षा भवन, वाणिज्य भवन, हैदराबाद हाउस, जामनगर हाउस, इंडिया गेट (India Gate), नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) और बीकानेर हाउस (Bikaner House) आते हैं। सेंट्रल विस्टा एवेन्यू, सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान का हिस्सा है। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच की सड़क तथा उसके दोनों ओर के इलाके को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू कहते हैं। ये सड़क जो किंग्स वे के नाम से बनी थी। आजादी के बाद इसका नाम राजपथ हो गया था। अब इसी का नाम 'कर्तव्य पथ' (Kartavya Path) हो गया।


बुझ गयी 'अमर जवान ज्योति'

इंडिया गेट (India Gate) पर जल रही 'अमर जवान ज्‍योति' (Amar Jawan Jyoti) का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय कर दिया गया। अमर जवान ज्‍योति का एक हिस्सा नेशनल वॉर मेमोरियल ले जाकर लौ को उसमें विलय कर दिया गया। करीब 3 साल पहले यानी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।


नेताजी की मूर्ति और 'अशोक स्तंभ' का अनावरण

इसी साल 8 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फुट ऊंची प्रतिमा, जिसे ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरा गया था का अनावरण किया। 65 मीट्रिक टन वजनी ये प्रतिमा उसी जगह स्थापित की गई है जहां 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था। इस प्रतिमा को 280 मीट्रिक टन वजन वाले विशाल ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरा गया है। इन पत्थरों को तेलंगाना के खम्मम (Khammam in Telangana) से यानी 1,665 किलोमीटर दूर नई दिल्ली लाया गया था। जिसे लाने के लिए 100 फुट लंबे 140 पहियों वाले एक ट्रक विशेष तौर पर तैयार किया गया था। आपको बता दें, ये दोनों निर्माण कार्य सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (Central Vista Redevelopment Project) का हिस्सा हैं। इसी कड़ी में जुलाई 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बनाए गए 'अशोक स्तंभ' का भी अनावरण किया था।


राम मंदिर निर्माण कार्य प्रगति पर, 1800 Cr खर्च का अनुमान

यूपी के अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में राम मंदिर निर्माण कार्य अनवरत जारी है। मंदिर निर्माण पर 1800 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि, ट्रस्ट ने मंदिर परिसर में प्रमुख हिंदू संतों और रामायण काल के मुख्य पात्रों की मूर्तियों के लिए भी जगह बनाने का फैसला किया है। ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि, राम मंदिर का निर्माण कार्य योजना के अनुरूप ही हो रहा है।दिसंबर 2023 से भक्तों को भगवान श्रीराम की पूजा करने का अवसर प्राप्त होगा। अगले साल दिसंबर यानी ठीक एक साल बाद राम भक्तों को श्री राम लला का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। मंदिर के अलावा, तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र सहित अन्य इकाइयों तथा परिसर में बुनियादी सेवाओं का निर्माण कार्य भी जारी है। जनवरी 2024 में मकर संक्रांति (Makar Sankranti in 2024) उत्सव के दौरान भगवान श्री राम की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किए जाने की उम्मीद है।


काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: 900 Cr. लागत, 5 लाख स्क्वायर फीट में निर्माण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 'ड्रीम प्रोजेक्ट' काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) या विश्वनाथ धाम की इस पूरे साल चर्चा रही। बाबा भोले की नगरी में इस निर्माण की भव्यता ने देश-विदेश के सभी लोगों का ध्यान खींचा। इस कॉरिडोर की खूबसूरती, बनावट और आस्था ने लोगों को इतना मोहित किया कि आय ने सभी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। पिछले साल 13 दिसंबर को पीएम मोदी ने अपने हाथों से विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया था। तब से 13 दिसंबर 2022 तक 7.50 करोड़ श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने मंदिर के दर्शन किए। दान में रिकॉर्ड तोड़ 100 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। वाराणसी में एक साल पहले जहां कभी संकरी और तंग गलियां हुआ करती थीं, आज वहां भव्य आकर्षण का केंद्र है। चाहे गंगा द्वार (Ganga Dwar) हो या वीविंग गैलरी (Weaving Gallery) या फिर मंदिर चौक, हर ओर भव्यता भक्तों का ध्यान आकर्षण करती है।


योगी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट 'विंध्य कॉरिडोर'

उत्तर प्रदेश में 2022 में कुछ लोकप्रिय निर्माणों में से एक है विंध्याचल कॉरिडोर (Vindhyachal Corridor)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त 2022 में विंध्याचल कॉरिडोर की आधारशिला रखी। इस कॉरिडोर के निर्माण को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'ड्रीम प्रोजेक्ट' कहा जाता है। जिसके निर्माण पर 300 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आएगी। इस परियोजना में जिले के सुप्रसिद्ध विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Temple) में भक्तों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ सड़कों का चौड़ीकरण भी होना है। सड़कें 50 फीट तक चौड़ी होंगी। सरकार द्वारा की गई इस पहल से लोगों में ख़ुशी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि, 'महाविन्ध्यवासिनी मंदिर, गंगा से करीब 200 मीटर दूर है। पहले यहां से गंगा दिखाई नहीं देती थी। लेकिन, कॉरिडोर निर्माण के बाद यहां से गंगा के दर्शन किए जा सकते हैं।

योगी आदित्यनाथ सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के साकार होने से 'धार्मिक पर्यटन' को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। विंध्यधाम पहुंचने वाले भक्तों को मां विंध्यवासिनी के दर्शन के साथ-साथ सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रखकर ही कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। तीर्थ पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विंध्य कॉरिडोर का निर्माण जारी है। विंध्य कॉरिडोर के निर्माण में 224 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस कॉरिडोर का निर्माण अहरौरा के गुलाबी पत्थरों से किया जा रहा है। इन पत्थरों को जयपुर के कुशल कारीगर तराश रहे हैं। पत्थर की शिला को राजस्थान भेज कर तराशा जा रहा है, जिसे मिर्जापुर लाया जाएगा और निर्माण कार्य में लगाया जाएगा।


बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे

किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास में वहां की सड़कों का अहम रोल होता है। यूपी के विकास में साल 2022 में एक नया अध्याय बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के रूप में जुड़ा। प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2022 में 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे (Bundelkhand Expressway) का उद्घाटन किया। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे बनने से कई फायदे हुए हैं। इस रास्ते लोगों का समय और खर्च दोनों बच रहा है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के रास्ते जाने से चित्रकूट से दिल्ली (Chitrakoot to Delhi) की दूरी 3 से 4 घंटे कम हो चुकी है। मगर, इसका लाभ इससे कहीं ज्यादा है। ये एक्सप्रेस वे न सिर्फ वाहनों को गति देगा, बल्कि यह पूरे बुंदेलखंड की औद्योगिक विकास को भी रफ्तार देगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चित्रकूट को इटावा के पास लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे (Lucknow-Agra Expressway) से जोड़ा गया है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे करीब 14,850 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। इस फोरलेन एक्सप्रेसवे को बाद में छह लेन तक बढ़ाया जा सकता है।


उज्जैन महाकाल कॉरिडोर

उज्जैन महाकाल मंदिर कॉरिडोर के पहले चरण यानी श्री महाकाल लोक का लोकार्पण पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को किया। मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल परिसर का विस्तार 20 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया है। विस्तार के बाद महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) परिसर यूपी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा होगा जाएगा। बता दें, काशी विश्वनाथ कॉरीडोर 5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। महाकाल कॉरिडोर (Mahakal Corridor) पौराणिक सरोवर रुद्रसागर के किनारे विकसित किया गया है। यहां भगवान शिव, देवी सती सहित अन्य धार्मिक किस्सों से जुड़ी करीब 200 मूर्तियां और भित्त चित्र (Mural Painting) बनाए गए हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु हर भित्ति चित्र की कथा इस पर स्कैन कर सुन सकेंगे। पौराणिक और आध्यात्मिकता का ये बेजोड़ संगम है।

यहां सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमल ताल में विराजित शिव, 108 स्तंभों में शिव के आनंद तांडव का अंकन, शिव स्तम्भ, भव्य प्रवेश द्वार पर विराजित नंदी की विशाल प्रतिमाएं आदि मौजूद हैं। महाकाल कॉरिडोर (Mahakaleshwar Temple) में देश का पहला 'नाइट गार्डन' (Night Garden) भी बनाया गया है। महाकाल मंदिर विस्तारीकरण प्रोजेक्ट (Mahakal Temple Expansion Project) का काम करीब 750 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। इसके तहत, पहले चरण में महाकाल पथ (Mahakal Path), रूद्र सागर का सौंदर्यीकरण (Beautification of Rudra Sagar) और विश्राम धाम आदि काम पूरा हो चुका है।


बनिहाल काजीगुंड रोड टनल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2022 को जम्मू-कश्मीर में 3100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बनी बनिहाल काजीगुंड रोड टनल (Banihal Qazigund Road Tunnel) का उद्घाटन किया। 8.45 किमी लंबी सुरंग बनिहाल और काजीगुंड के बीच सड़क की दूरी को कम कर 16 किलोमीटर कर दी। इस टनल के निर्माण से यात्रा का समय भी लगभग डेढ़ घंटे कम हो गया। यह सुरंग जम्मू और कश्मीर के बीच हर मौसम में संपर्क स्थापित करने तथा दोनों क्षेत्रों को करीब लाने में मदद करने के मकसद से तैयार किया गया है। बता दें, जब बर्फबारी होती थी तो ये मार्ग बंद हो जाया करता था। जिससे आम आदमी के साथ-साथ सेना को एक जगह से दूसरे जगह भेजने में काफी दिक्कतें आती थी। कहने का मतलब, ये टनल व्यापार के साथ-साथ देश की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।


महात्मा गांधी सेतु पर 'स्टील ब्रिज'

इसी साल, महात्मा गांधी सेतु (Mahatma Gandhi Setu) के पूर्वी छोर का लोकार्पण हुआ। इस मौके पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा, कि 'ये पुल देश का सबसे बड़ा स्टील ब्रिज हो गया।' बता दें, महात्मा गांधी सेतु 5.6 किलोमीटर लंबा पुल है। इस तरह का स्टील ब्रिज देश में पहली बार बनकर तैयार हुआ है। जिसके निर्माण में 67 हजार टन लोहे का इस्तेमाल हुआ है।कई विशेषज्ञों से बात और सलाह-मशविरा के बाद इस पुल के स्टील डेक को तैयार किया गया है।


जिरीबाम-इम्फाल रेल परियोजना

इंडियन रेलवे मणिपुर में विश्व का सबसे ऊंचे पुल घाट का निर्माण कर रहा है। यह 111 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इम्फाल रेलवे परियोजना (Jiribam-Imphal project) का एक हिस्सा है। रेलवे की यह महत्वाकांक्षी परियोजना मणिपुर की राजधानी इंफाल को देश के ब्रॉड गेज नेटवर्क (Broad Gauge Network) से जोड़गी। 141 मीटर की ऊंचाई पर बनाया जा रहा पुल, यूरोप में मोंटेनेग्रो के माला-रिजेका वायडक्ट (139 मीटर) के मौजूदा रिकॉर्ड को तोड़ देगा। नोनी ब्रिज (Noney Bridge) 111 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इम्फाल रेलवे परियोजना का एक हिस्सा है। इस रेलवे लाइन से पूर्वोत्तर के राज्यों तक अच्छी कनेक्टिविटी हो जाएगी। ये परियोजना इंफाल को देश के ब्रॉड गेज नेटवर्क से जोड़ने का काम करेगी। ज्ञात हो, ये पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल होगा। यह ब्रिज 141 मीटर की ऊंचाई पर बन रहा है। जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है। इस ब्रिज को पूरा करने में करीब 374 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।

जिरीबाम-इम्फाल रेलवे परियोजना के पूरे होने के बाद 111 किलोमीटर की दूरी महज दो से ढाई घंटे में तय होगी। इस वक्त जिरीबाम-इम्फाल के बीच की दूरी 220 किलोमीटर है। इस यात्रा में किसी भी व्यक्ति को 10 से 12 घंटे का समय लगता है। ये परियोजना दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। गौरतलब है कि 111 किलोमीटर लंबी इस परियोजना में करीब 61 प्रतिशत सुरंगें हैं।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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