योगेंद्र यादव- चुनाव आयोग प्रधानमंत्री कार्यालय का एक्सटेंशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक योगेन्द्र यादव मानते हैं कि मौजूदा दौर में देश की राजनीति में मोदी का विकल्प नहीं है। उन्होंने देश के विपक्ष को निकम्मा बताते हुए कहा कि देश की जनता एक सही विकल्प का इंतजार कर रही है लेकिन विपक्षी दलों में उनकी तलाश पूरी नहीं हो पा रही है।

Dharmendra kumar
Published on: 7 April 2019 3:41 PM GMT
योगेंद्र यादव- चुनाव आयोग प्रधानमंत्री कार्यालय का एक्सटेंशन
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लखनऊ: स्वराज अभियान से चर्चित और आम आदमी पार्टी के सदस्य रह चुके राजनीतिक चिंतक योगेन्द्र यादव ने चुनाव आयोग पर प्रधानमंत्री कार्यालय का एक्सटेंशन होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देश का स्वधर्म संकट में है। और इसको बचाने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। उन्होंने देश में धर्मनिरपेक्ष राजनीति को पाखंड की राजनीति बताया और कहा कि इन दलों के पास देश के स्वधर्म को बचाने के लिए न कोई योजना है, न कोई संकल्प और न ही कोई सपना है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक योगेन्द्र यादव मानते हैं कि मौजूदा दौर में देश की राजनीति में मोदी का विकल्प नहीं है। उन्होंने देश के विपक्ष को निकम्मा बताते हुए कहा कि देश की जनता एक सही विकल्प का इंतजार कर रही है लेकिन विपक्षी दलों में उनकी तलाश पूरी नहीं हो पा रही है। यूपी में सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन को तिकडम करार देते हुए कहा कि यह गठबंधन केवल जातीय गणित पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन के दल साम्प्रदायिकता के खिलाफ लडने का दावा करते है लेकिन जातीय वैमनस्यता को बढा रहे हैं।

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मौजूदा दौर और हमारी भूमिका विषयक गोष्ठी में आम जनता से संवाद करने रविवार को राजधानी लखनऊ पहुंचे योगेन्द्र यादव ने कहा कि थ्री-डी यानि डेमोक्रेसी, डाइवर्सिटी और डेवलेपमेंट पर आज बडा हमला हो रहा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी इमरजेंसी के दौरान, 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों में तथा 2002 के गुजरात दंगों में इस तरह के हमले हुए है लेकिन वह केवल डाईवर्सिटी पर हमला था। जबकि मौजूदा समय में ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक साथ तीनों स्तंभों पर हमला हुआ है।

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यादव ने कहा कि इस हमले का प्रतिकार केवल चुनाव से नहीं हो सकता हैं। इसके लिए देश में एक नया संगठन खडा करना होगा। उन्होंने कहा कि उन्हे पांच हजार राजनीतिक साधूओं की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि साधू इसलिए क्योकि उन्हे ऐसे लोग चाहिये जो राजनीति में त्याग के लिए आये न कि अपनी जेबे भरने के लिए। उन्होंने बताया कि उनकी लखनऊ यात्रा का मकसद ऐसे ही साथियों को ढूंढने का है।

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