NDA Selection: फ़ौज में जानें के लिए पेरेंट्स से छुपायी IIT क्लियर करने की बात, अब NDA में पाया गोल्ड मेडल

NDA Selection: राजस्थान के युवा गौरव यादव गौरव पुणे स्थित खडकवासला की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से 143वें कोर्स के गोल्ड मेडल विजेता बनकर उभरे हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 3 Dec 2022 8:39 AM GMT
Hiding from parents to clear IIT to join army, now got gold medal in NDA
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गौरव यादव ने NDA में पाया गोल्ड मेडल: Photo- Social Media

NDA Selection: निजी क्षेत्र में आकर्षक नौकरी मिलने के बावजूद सेना के प्रति भारतीय युवाओं का जुनून बना हुआ है। आज भी युवा भारतीय सेना का हिस्सा बनकर खुद को सौभाग्यशाली समझते हैं। कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए सरहद पर मातृभूमि की रक्षा करना एक अलग तरह के गर्व की अनुभूति देती है, जो शायद अन्य किसी पेशे में उपलब्ध नहीं है। राजस्थान के युवा गौरव यादव (Gaurav Yadav) ने भारतीय युवाओं के अंदर सेना में जाने को लेकर अकाट्य श्रद्धा को एकबार फिर प्रदर्शित किया है।

गौरव पुणे स्थित खडकवासला की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से 143वें कोर्स के गोल्ड मेडल विजेता बनकर उभरे हैं। यहां तक का उनका सफर काफी दिलचस्प है। आज के दौर में अधिकतर भारतीय युवाओं का सपना आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाकर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करना होता है ताकि कॉरपोरेट सेक्टर में मोटी पगार के साथ वे अपनी जिंदगी संवार सकें। लेकिन गौरव उन युवाओं की भीड़ से हट के हैं।

उन्होंने आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान की प्रवेश परीक्षा निकालने के बावजूद सेना में शामिल होने को वरीयता दी। उन्होंने अपने मकसद में कामयाब होने तक इस बात को परिवार से छिपाए रखा। गौरव राजस्थान के अलवर जिले के जाजोर – बास गांव के रहने वाले हैं। वह एक किसान परिवार से आते हैं। बचपन से उन्हें सेना में जाने की इच्छा थी। उनके बड़े भाई भी सेना में हैं। उनके माता-पिता को आज उनकी उपलब्धि पर गर्व है।

गौरव की झूठ से परिवार था परेशान

स्वर्ण पदक विजेता गौरव यादव ने जब आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम क्रैक कर लिया था। बचपन से मेधावी छात्र रहे गौरव के ऐसे ही परिणाम आने की उम्मीद उनके परिवार वालों को थी। रिजल्ट आने के बाद उनके बड़े भाई विनीत जो कि खुद सेना में हैं, इस बारे में पूछा तो गौरव ने बताया कि वह एग्जाम पास नहीं कर सका। विनीत को हैरानी हुई क्योंकि उन्हें अपने भाई पर पूरा यकीन था। उन्हें लगा कि कहीं उनका भाई इस असफलता से टूट न जाए।

एनडीए में चुने के बाद गौरव ने अपने परिवार को उस सच्चाई से रूबरू करवाया और बताया कि वह आईआईटी का एग्जाम निकाल चुके थे। लेकिन वह अपना करियर भारतीय सेना में बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने आईआईटी का रिजल्ट छिपाकर रखा था।

दो बार असफलता मिली

गौरव को एनडीए में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने दो बार एनडीए की प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी लेकिन साक्षात्कार में पास नहीं हो पा रहे थे। इस कारण उन्हें एनडीए में एडमिशन नहीं मिल रहा था। हालांकि, उन्होंने इन अफलताओं से घबराने की बजाय अपने तैयारियों पर फोकस रखा और आखिरकार तीसरे प्रयास में चक्रव्यहू तोड़ने में कामयाब रहे।

Shashi kant gautam

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