बारामती में चाचा के लिए मुसीबत बना भतीजा, शरद पवार ने किया अजित के साथ खेल, गढ़ में दे डाली बड़ी चुनौती

Maharashtra Election 2024: टिकट मिलने के बाद युगेंद्र ने शरद पवार के प्रति आभार जताया है और पूरी निष्ठा के साथ बारामती की सेवा करने का वादा किया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 25 Oct 2024 2:54 AM GMT
Maharashtra Election 2024
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Maharashtra Election 2024 (Pic: Social Media)

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र की बारामती विधानसभा सीट पर आशंका बिल्कुल सच साबित हुई है। एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने इस विधानसभा सीट पर अजित पवार के साथ बड़ा सियासी खेल कर दिया है। शरद पवार ने इस सीट पर अजित पवार के भतीजे और अपने पोते युगेंद्र परिवार को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। अब बारामती विधानसभा सीट की सियासी जंग अजित पवार के लिए आसान नहीं मानी जा रही है।

एनसीपी के शरद पवार गुट की ओर से गुरुवार को 45 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल की ओर से जारी की गई इस सूची में सबकी निगाहें बारामती विधानसभा क्षेत्र पर ही लगी हुई थी और इस क्षेत्र में शरद पवार ने युगेंद्र पवार को उतार कर अजित पवार की तगड़ी घेराबंदी कर दी है। लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी की हार के बाद अब अजित पवार के सामने अपने इस गढ़ को बचाने की बड़ी चुनौती है।

लोकसभा चुनाव में हुई थी ननद और भाभी की जंग

लोकसभा चुनाव के दौरान बारामती में अजित पवार की ओर से उठाए गए कदम के बाद यह तय माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के दौरान शरद पवार भी उनके साथ बड़ा खेल कर सकते हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान अजित पवार ने बारामती लोकसभा क्षेत्र में शरद पवार की बेटी और अपनी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को मैदान में उतार दिया था।


दोनों के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा था मगर सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी सुनेत्रा को डेढ़ लाख से अधिक वोटों से हरा दिया था। इस हार के बाद डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा था कि परिणाम आश्चर्यजनक है क्योंकि मुझे यहां पर हमेशा लोगों का समर्थन मिला है। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने बारामती में परिवार के बीच हुई इस जंग पर अफसोस भी जताया था। उन्होंने बहन के खिलाफ अपनी पत्नी को चुनाव लड़ने के कदम को गलती मानते हुए कहा था कि राजनीति में घर को नहीं लाना चाहिए था।

सुप्रिया की जीत के लिए युगेंद्र ने की थी मेहनत

लोकसभा चुनाव के दौरान युगेंद्र पवार ने सुप्रिया सुले का चुनाव प्रबंधन संभाला था। अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा के चुनाव हारने के बाद युगेंद्र परिवार मीडिया की सुर्खियों में आए थे। सुले की जीत के बाद जब शरद पवार बारामती के लोगों को धन्यवाद देने के लिए पहुंचे थे तो उनके साथ युगेंद्र पवार भी थे। बारामती में सुप्रिया सुले की जीत के बाद ही यह तय हो गया था कि युगेंद्र परिवार को भविष्य में अपनी इस मेहनत का फल जरुर मिलेगा।


अब शरद पवार ने युगेंद्र पवार को बारामती विधानसभा क्षेत्र के सियासी रण में उतार कर अजित पवार को घेरने का प्रयास किया है। सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार की ओर से अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारने से शरद पवार को मानसिक तकलीफ हुई थी और अब इसका बदला लेने के लिए शरद पवार ने भी अपना सियासी दांव चल दिया है। ऐसे में अजित पवार की सियासी राह अब आसान नहीं माने जा रही है।

शरद पवार को अजित की बगावत का दर्द

इसके साथ ही शरद पवार को अजित पवार की ओर से की गई बगावत का दर्द भी हमेशा परेशान करता रहा है। महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार का सिक्का पूरी मजबूती के साथ कायम था मगर अजीत पवार की ओर से की गई बगावत से उन्हें करारा झटका लगा था। बगावत के समय अजित पवार ने एनसीपी के अधिकांश विधायकों को तोड़ने में कामयाब हुए थे। इसके साथ ही उन्होंने एनसीपी के चुनाव चिह्न घड़ी पर भी कब्जा कर लिया। शरद पवार अपने भतीजे की ओर से की गई बगावत के दर्द को आज तक नहीं भूल सके हैं और इसलिए उन्होंने बारामती के सियासी रण में इसका बदला लेने का कदम उठाया है।

पवार फैमिली का गढ़ रही है बरामती सीट

बारामती विधानसभा क्षेत्र को पवार फैमिली का गढ़ यूं ही नहीं माना जाता। इस सीट पर पिछले 57 वर्षों से पवार फैमिली का कब्जा बना हुआ है। एनसीपी के संस्थापक शरद पवार 1967 में पहली बार सीट से विधायक बने थे। इसके बाद वे 1990 तक लगातार इस सीट से विधायक बने रहे। 1991 के विधानसभा चुनाव में अजित पवार ने इस सीट से चुनाव जीता था और इसके बाद लगातार सीट पर अजित पवार का कब्जा बना हुआ है।


अजित पवार इस सीट पर अभी तक अजेय साबित हुए हैं मगर इस बार शरद पवार युगेंद्र पवार के जरिए उनकी लगातार जीत का सिलसिला तोड़ने की कोशिश में जुट गए हैं। शरद पवार की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद बारामती में हाई प्रोफाइल मुकाबले की बिसात बिछ गई है जिसके नतीजे पर सबकी नजर रहेगी।

कौन हैं युगेंद्र पवार

32 वर्षीय युगेंद्र शरद पवार के पोते और अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। युगेंद्र पवार परिवार के मुखिया एवं राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार के करीबी रहे हैं। वे काफी समय से सियासी मैदान में सक्रिय है। उनकी मां शर्मिला पवार कई सालों से शरयू फाउंडेशन के जर‍िए सामाजिक क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। युगेंद्र ने बॉस्टन की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में बैचलर की डिग्री हासिल की हुई है। वे विद्या प्रतिष्ठान में कोषाध्यक्ष के रूप में भी काम करते रहे हैं।

अब चाचा के खिलाफ सियासी जंग की चुनौती

टिकट मिलने के बाद युगेंद्र ने शरद पवार के प्रति आभार जताया है और पूरी निष्ठा के साथ बारामती की सेवा करने का वादा किया है। टिकट मिलने से पूर्व उन्होंने कहा था कि मैं किसी की जगह लेने में दिलचस्पी नहीं रखता हूं और मैं किसी का विरोध नहीं करना चाहता हूं मगर मैं किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं। अब शरद पवार ने उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है। अब यह देखने वाली बात होगी कि वे अपने चाचा अजित परिवार से मिलने वाली सियासी चुनौती का किस तरह सामना करते हैं।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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