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पेप्सी और प्रमोद महाजन कभी अपना फार्मूला नहीं बताते-ये किसने कहा था

राम केवी
Published on: 30 Oct 2018 6:50 AM GMT
पेप्सी और प्रमोद महाजन कभी अपना फार्मूला नहीं बताते-ये किसने कहा था
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भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे प्रमोद महाजन की आज 69वीं जयंती है। वह कहने को तो भाजपा के महासचिव थे। लेकिन अपनी पीढ़ी के नेताओं में वह सबसे लोकप्रिय थे। वह नई पीढ़ी के उन नेताओं में थे जिन्होंने कोई राजनैतिक आधार न होते हुए भी मुकाम हासिल किया था। 2003 में विधानसभा चुनावों में अपनी रणनीतिक सफलता के बाद प्रमोद महाजन ने कहा था कि पेप्सी और प्रमोद महाजन कभी अपना फार्मूला नहीं बताते। और इसी तरह 2004 के लोकसभा चुनाव में जब फील गुड और इंडिया शाइनिंग के नारों के बावजूद भाजपा हार गई तो प्रमोद महाजन आगे बढ़ कर व्यक्तिगत तौर पर हार की जिम्मेदारी ली। आज उन्हीं प्रमोद महाजन का जन्मदिन है। आइए जानते हैं उनके बारे में

कहा जाता है कि 2004 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी जनता का मूड समझने में प्रमोद महाजन की गलती के कारण हारी थी क्योंकि प्रमोद की सलाह पर ही अटलजी ने समय से पूर्व लोकसभा भंग करने की सिफारिश कर चुनाव में जाने का फैसला किया था। लेकिन इस विफलता के बावजूद प्रमोद महाजन की पार्टी पर पकड़ बनी रही थी और उनका कद कम नहीं हुआ था।

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हालांकि इससे पूर्व एक सेक्स स्कैंडल में भी प्रमोद महाजन का नाम आया। 23 जनवरी 1999 को जब इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टर शिवानी भटनागर का कत्ल हुआ था तो यह कहा गया था कि शिवानी के प्रमोद से संबंध थे। इसमें डीएनए टेस्ट के लिए भी प्रमोद तैयार हो गए थे लेकिन बाद में दिल्ली पुलिस ने आरोपों को खारिज कर दिया था।

अटल सरकार के दौरान अरुण शौरी से विवाद को लेकर भी प्रमोद महाजन चर्चा में आए थे जिसमें प्रमोद महाजन को मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन में महासचिव बना दिया गया था लेकिन प्रमोद महाजन पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा था उन्होंने कहा था कि कुछ नहीं बदला पहले रथ पर सवार था अब रथ चलाने जा रहा हूं।

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देश में मोबाइल फोन क्रांति में प्रमोद महाजन का अभूतपूर्व योगदान रहा है। जिससे मोबाइल फोन आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बन सका।

प्रमोद महाजन जमीनी स्तर के कार्यकर्ता थे। संघ के स्वयंसेवक रहे। तरुण भारत से पत्रकारिता की। फिर अध्यापक बने और बाद में यह नौकरी छोड़कर संघ प्रचारक बने। इमरजेंसी में जेल में रहे। महाराष्ट्र बीजेपी के महासचिव रहे। 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। आडवाणी की सोमनाथ रथ यात्रा में अहम रोल अदा किया। अटलजी की पहली 13 दिनी सरकार में रक्षा मंत्री बने। दूसरी बार प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे। 2001 में कम्युनिकेशन मंत्री बने।

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