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बिहार में बाढ़ है, नेताओं की बहार है! जमकर सेकीं जा रही राजनीति की रोटियां
पटना : बिहार में बाढ़ का प्रकोप लगातार जारी है। बाढ़ की स्थिति का सहारा लेकर राजनीति दांव खेले जा रहे हैं। बाढ़ की स्थिति के कारण भी नेता एक दूसरे पर आरोप लगाने में लगे हुए हैं। वैसे बिहार में प्रतिवर्ष लाखों लोग बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं, लेकिन नेता इस त्रासदी के बीच भी अपने सियासी शतरंज पर शह और मात का खेल जारी रखते हैं।
हाल में भी बिहार की सत्ता से बाहर हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद जहां नीतीश सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बाढ़ के बहाने निशाना साध रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लालू और उनके पुत्र व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी पर अब तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में नहीं जाने पर कटाक्ष कर राजद को असंवेदनशील बता रहे हैं। दरअसल, भाजपा का ध्यान 27 अगस्त को होने वाली राजद की रैली पर है।
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बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि राज्य के बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचाने के बजाय 27 अगस्त को रैली का आयोजन करना राजद की संवेदनहीनता है। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत देश के अन्य वरिष्ठ नेताओं को अपनी छवि बचाने के लिए इस रैली से दूर रहना चाहिए।
मोदी ने पटना में कहा, "इस बार बाढ़ की तबाही कोसी त्रासदी से भी कहीं ज्यादा है। सरकार अपने स्तर से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और 26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे।"
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब राज्य के 19 जिले में बाढ़ से भीषण तबाही हुई है, पीड़ितों की मदद के बजाए राजनीतिक रैली का आयोजन राजद की संवेदनहीनता को दर्शाता है। इससे यह साफ हो जाता है कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके परिवार को बिहार के लोगों की नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी बेनामी संपत्ति की परवाह है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राजद की 'भाजपा भगाओ-देश बचाओ रैली' भाजपा के खिलाफ नहीं, बल्कि बेनामी संपत्ति को बचाने के लिए है।
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इधर, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 26 अगस्त को प्रस्तावित बाढ़ प्रभावित इलाके के हवाई सर्वेक्षण कार्यक्रम पर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री यहां बाढ़ के बहाने 'हवाखोरी' करने आ रहे हैं।
पटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मोदी बाढ़ पीड़ित लोगों को देखने बिहार आ रहे हैं। यह सब नौटंकी है, बाढ़ तो बहाना है। बाढ़ का पानी जब उतर गया है, तब पीड़ितों को देखने आ रहे हैं। वे बुनियादी बातों को देखने नहीं 'हवाखोरी' के लिए आ रहे हैं।"
राजद नेता ने आरोप लगाया कि बाढ़ पीड़ित लोगों के प्रति सरकार का उदासीन रवैया है। सरकार से ज्यादा मदद तो गैर-सरकारी संस्थाएं और उसके कार्यकर्ता लोग कर रहे हैं।
उधर, भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल (युनाइटेड) के महासचिव क़े सी़ त्यागी के सुर भी स्वाभाविक रूप से बदल गए हैं। उन्होंने बाढ़ के बहाने राजद और कांग्रेस पर निशाना साधा है।
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उन्होंने कहा, "बाढ़ पीड़ितों के साथ हमदर्दी दिखाने और उनकी मदद करने के लिए राजद और कांग्रेस के पास कोई योजना और मंशा नहीं है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत एक भी कांग्रेस के नेता बाढ़ पीड़ितों के लिए ना कोई बयान दिया और ना ही चिंताएं जाहिर की। शायद बिहार में चुनाव नहीं है, चुनाव तो गुजरात में है।"
त्यागी ने आगे कहा कि लालू प्रसाद तो स्थानीय हैं, लेकिन उनका जोर बाढ़ पर कम और 27 अगस्त की रैली पर ज्यादा है। उन्होंने आरोप लगाया कि रैली के लिए जगह-जगह बाढ़ पीड़ितों के राहत के काम में रोड़े भी डाल रहे हैं।
जद (यू) नेता ने कहा कि ऐसी अमानवीय और संवेदनहीनता की स्थिति 50 साल के राजनीतिक जीवन में कभी नहीं देखी।
उल्लेखनीय है कि राज्य के 18 जिलों के 183 प्रखंडों की 1़ 46 करोड़ से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ की चपेट में आने से अब तक 341 लोगों की मौत हो गई है। लोग अपने-अपने इलाके के ऊंचे राजमार्ग पर शरण लिए हुए हैं और राहत सामग्री की बाट जोह रहे हैं। हजारों हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हो गई हैं। सैकड़ों मवेशी मर गए हैं।