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चना बेचने वाली बच्ची के हौसले को सलाम, नन्ही सी जान चला रही परिवार
चाहे जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आए अगर हौसला बुलंद है तो मंजिल पाना मुश्किल नहीं इस बात को सच कर दिखाया एक छोटी सी बच्ची ने। जिस उम्र में बच्चे खाते और खेलते हैं उस उम्र में यह छोटी सी बच्ची चना बेचकर अपने परिवार का पेट भरती है। जी हां हम बात कर रहे हैं झारखंड के समडेगा जिला की रहने वाली पालनी की।
नई दिल्लीः चाहे जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आए अगर हौसला बुलंद है तो मंजिल पाना मुश्किल नहीं इस बात को सच कर दिखाया एक छोटी सी बच्ची ने। जिस उम्र में बच्चे खाते और खेलते हैं उस उम्र में यह छोटी सी बच्ची चना बेचकर अपने परिवार का पेट भरती है। जी हां हम बात कर रहे हैं झारखंड के समडेगा जिला की रहने वाली पालनी की।
क्या है पालनी की पूरी कहानी आइए जानते हैं-
वैसे तो हमारे देश में गरीबों के लिए सरकार ने बहुत काम किया है यह हम सब बखूबी जानते हैं।चाहे किसी की भी सरकार हो आज तक किसी ने भी इस देश कि गरीबी खत्म नहीं कर पाया। एक तरह से देखा जाएं तो यह देश दिन ब दिन तेजी से गरीबी की ओर बढ़ता जा रहा है। एक ऐसी ही गरीबी का शिकार हुई झारखंड की पालनी। जिस उम्र में बच्चे खेलते हैं उस उम्र में यह बच्ची अपने परिवार के लिए समडेगा के सड़को पर चना बेचती है।
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चाना बेचकर यह बच्ची अपने छोटे भाई- बहनों को पढ़ाती है और खुद स्कूल जाती है। पालनी बताती है जब वह डेढ़ साल की थी तो उसके सिर से पापा का साया उठ गया और इस मुश्किल घड़ी में पालनी के परिवार वालों का किसी ने साथ नहीं दिया। जिसके कारण पालनी के घर की स्थिती खराब होती गई। घर कि हालत देख पालनी सड़क पर चने बेचने लगी और परिवार की मद्द करने लगी
नर्स बनकर पालनी करेगी देश की सेवाः
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अक्सर लोग बुरे परिस्थितीयों में हताश हो जाते हैं लेकिन यह छोटी सी बच्ची का हौसला देख सभी हैरत में हैं। चना बेंचकर स्कूल की फीस जमा करने वाली पालनी से जब पूछा गया कि आप बड़ी होकर क्या बनना चाहती हो तो इस बच्ची के जवाब सुन आप की आंखे नम हो जाएंगी। पालनी बताता है कि वह बड़ी होकर नर्स बनकर देश के लोगों की सेवा करेगी। आप को बता दें कि पालनी कक्षा छठी में 75 फीसद अंक लायी थी। अभी पालनी क्लास सातवीं में पढ़ती है।