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7000 करोड़ के पैकेज से गन्ना किसानों का मुंह 'मीठा' करेगी सरकार, आज है फैसला

Manoj Dwivedi
Published on: 5 Jun 2018 3:33 AM GMT
7000 करोड़ के पैकेज से गन्ना किसानों का मुंह मीठा करेगी सरकार, आज है फैसला
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नई दिल्ली: कैराना में मिली हार सीधे-सीधे गन्ना किसानों की नाराजगी थी, इसे केंद्र सरकार भी समझ चुकी है। अब डैमेज कंट्रोल के लिए सीधे दिल्ली से निर्णय होंगे क्योंकि 2019 का चुनाव नजदीक है। इसी सिलसिले में आज होने वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति बैठक में कुछ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं. क्या है सरकार की प्लानिंग बता रहा है newstrack.com

आज होगा निर्णय

दिल्ली में आज आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति बैठक हो रही है। जिसमें 2019 के चुनाव को देखते हुए किसानों की नाराजगी दूर करने का निर्णय लिया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार गन्ना किसानों को राहत देने के लिए 7000 हजार करोड़ के बेल आउट पैकेज की घोषणा कर सकती है। हालांकि कुल देनदारी 22 हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। फिर यह पैकेज चीनी मिलों और किसानों को राहत देने वाला है. पिछले महीने ही सरकार ने 1500 करोड़ का पैकेज चीनी मिलों को दिया था जिससे मौजूदा सत्र में गन्ने का भुगतान हो सके।

यह है गन्ना किसानों की हालत

साल 2015-16 मे चीनी मिलों ने 645.66 लाख टन गन्ने की पेराई की, जबकि साल 2016-17 में 827.16 लाख टन और साल 2017-18 में ये बढ़कर 1,100 लाख टन हो जाने का अनुमान है। कांग्रेस नेता राजीव त्यागी के दावों को मानें तो देश भर में चीनी मिलों पर किसानों का बकाया बढ़कर 23000 करोड़ रुपये पहुंच गया है। हालांकि संसद में दिए एक जवाब के मुताबिक 31 जनवरी तक ये बकाया 16520 करोड़ रुपये था। उस दौरान अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों का 6078 करोड़ से ज्यादा रुपया बकाया है।

पूरे देश में गन्ना किसानों की स्थिति

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जनवरी तक महाराष्ट्र के गन्ना किसानों का 2874 करोड़, कर्नाटक के किसानों का 2758 करोड़, तमिलनाडु के किसानों का 1855 करोड़ और पंजाब-हरियाणा-गुजरात के किसानों का करीब 500-500 करोड़ रुपये बकाया था। आपको बता दें कि इन सभी राज्यों में ये गन्ना पेराई का सीजन है, इसलिए बीते तीन महीनों में इन आंकड़ों में बढ़ोतरी दर्ज की गई होगी।

चीनी मिलों की स्थिति

इंडियन शुगर मिल्स असोसिएशन के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा 159 चीनी मिलें महाराष्ट्र में हैं। महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश में 119 और कर्नाटक में 61 मिलें सक्रिय हैं। देश में सर्वाधिक 288 मिलें निजी क्षेत्र की, 214 मिलें सहकारिता क्षेत्र की और 11 मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं।

Manoj Dwivedi

Manoj Dwivedi

MJMC, BJMC, B.A in Journalism. Worked with Dainik Jagran, Hindustan. Money Bhaskar (Newsportal), Shukrawar Magazine, Metro Ujala. More Than 12 Years Experience in Journalism.

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