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20 AAP विधायकों की सदस्यता खत्म लेकिन कांग्रेस को चैन नहीं
नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को भाजपा और निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि उन्होंने दिल्ली में सत्ताधारी आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने में विलंब कर पार्टी को राज्यसभा चुनाव में मदद की।
कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अजय माकन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा विधायकों की अयोग्यता पर मुहर लगाए जाने के तत्काल बाद मीडियाकर्मियों से कहा, "यदि यह निर्णय 22 दिसंबर से पहले आया होता तो ये 20 विधायक अयोग्य हो गए होते, और वे राज्यसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाए होते।"
माकन ने आप और भाजपा पर हमला बोला और आरोप लगाया, "दोनों दलों के बीच एक सौदा हुआ था, यही कारण है कि उन्होंने विधायकों को अयोग्य ठहराने में एक माह से अधिक की देरी की।"
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उन्होंने कहा, "निर्वाचन आयोग ने 22 दिसंबर को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव की घोषणा की। आयोग ने आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की सिफारिश 19 जनवरी को राष्ट्रपति के पास भेजी।" माकन ने सवाल किया कि आखिर इस दौरान भाजपा, आप और ईसी के बीच क्या खिचड़ी पकी थी?
कांग्रेस नेता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उनके उस बयान के लिए आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि निर्वाचन आयोग ने विधायकों का पक्ष सुनने का समय नहीं दिया। माकन ने कहा, "ईसी ने 11 बार विधायकों को समय दिया। यहां तक कि उच्च न्यायालय ने भी उनसे कहा था कि अदालत में समय बर्बाद करने के बदले निर्वाचन आयोग के पास जाएं।"
माकन ने केजरीवाल पर यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने 21 संसदीय सचिव बना डाले, जबकि संविधान के अनुसार मात्र सात की ही अनुमति है।
माकन ने यह भी कहा कि आप के संसदीय सचिवों को एक मंत्री को दी जाने वाली सभी सुविधाएं और लाभ दिए गए थे। माकन ने विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के लिए निर्वाचन आयोग में याचिका दायर की थी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने यह कहते हुए केजरीवाल से इस्तीफे की भी मांग की कि उनके पास मुख्यमंत्री बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है।