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AIMPLB: ट्रिपल तलाक बिल का सड़क से संसद तक होगा विरोध
लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष ने पीएम को चिठ्ठी लिख कर ट्रिपल तलाक बिल (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) 2017 को संसद में नहीं पेश करने की गुज़ारिश की है। बोर्ड के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी ने इस पत्र के माध्यम से बिल को मुस्लिम महिलाओं के हितों के विरुद्ध बताते तलाक शुदा महिलाओं और उन के परिवार वालों को हानि पहुंचाने वाला बताते बिल कर हर स्तर पर विरोध करने का एलान कर दिया है। बोर्ड इसे शरीयत और मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप मान रहा हैं।
ट्रिपल तलाक बिल (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण बिल) 2017 का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हर स्तर पर विरोध करेगा। लखनऊ में बोर्ड की आपात बैठक में यह निर्णय होने के बाद ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अध्यक्ष सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी ने पीएम को चिठ्ठी लिख कर बिल को संसद में नहीं पेश करने का अनुरोध किया है। बोर्ड संसद में पेश होने वाले इस बिल को मुस्लिम महिलाओं के हितों के विरुद्ध और तलाक शुदा महिलाओं और उन के परिवार वालों को हानि पहुंचाने वाला मानता है।
बोर्ड के अध्यक्ष ने पीएम को लिखी चिठ्ठी में इस कानून को शरीयत और मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप बताते हुए इसे गैर ज़रूरी क़रार दिया है। बोर्ड ने ट्रिपल तलाक बिल को देश में प्रचलित कानूनों के प्राविधानों के विरुद्ध है बताते हुए। घरेलु हिंसा से सम्बंधित क़ानून 2005 गार्जियनशिप और वार्ड्स एक्ट व सीआरपीसी को ही सही करार दिया हैं।
बोर्ड "विवाह पर अधिकारों का संरक्षण बिल 2017" को 22 अगस्त 2007 को उच्चत्तम न्यायालय के निर्णय की मूल भावना के विरुद्ध मानता है। बोर्ड ने पीएम से मांग रखी है कि अगर कानून बनाना जरूरी है तो बोर्ड और मुस्लिम महिला संगठनों से राय मशवरे के बाद ही बिल को संसद में पेश किया जाए।
ये चिट्ठी लिखी गई है
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