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केरल : सबरीमाला मंदिर विवाद से जुड़ी ये 14 बातें बेहद खास हैं
तिरुअनंतपुरम : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सबरीमाला मंदिर में इस बार महिलाएं प्रवेश कर पाएंगी या नहीं? मंदिर के द्वार खुलने में कुछ घंटे ही शेष हैं और इस सवाल पर राज्य में तनाव बना हुआ है। मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई जो बेनतीजा रही है। अब जानिए विवाद क्या है और कब शुरू हुआ...
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- वर्ष 2006 में सबरीमाला मंदिर के मुख्य ज्योतिषि परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा, अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं वो इसलिए नाराज हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवती ने प्रवेश किया है।
- इस बयान के कुछ समय बाद कन्नड़ स्टार प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने कहा कि उन्होंने अयप्पा की मूर्ति को छुआ। वह प्रायश्चित करना चाहती हैं।
- जयमाला का दावा था कि वर्ष 1987 में पति के साथ जब वह मंदिर दर्शन करने गई थीं तो धक्का लगने से गर्भगृह पहुंच गईं और भगवान अयप्पा के चरणों में गिर गईं। पुजारी ने उन्हें फूल भी दिए थे।
- जयमाला के दावे पर राज्य में हंगामा खड़ा हो गया मंदिर में महिलाओं प्रवेश में वर्जना को लेकर वर्ष 2006 में यंग लॉयर्स असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
- याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के ट्रस्ट त्रावणकोर देवासम बोर्ड से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति न देने पर जवाब मांगा।
- बोर्ड ने जवाब दिया, अयप्पा ब्रह्मचारी थे और इस वजह से मंदिर में वही बच्चियां व महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, जिनका मासिक धर्म शुरू न हुआ हो या फिर समाप्त हो चुका हो।
- 11 जुलाई 2016 को कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक का यह मामला संवैधानिक पीठ को भेजा जा सकता है।
- कोर्ट ने कहा, ऐसा इसलिए क्योंकि यह संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला है, महिलाओं को प्रवेश से रोका नहीं जाना चाहिए।
- 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मामला संविधान पीठ को सौंप दिया
- जुलाई, 2018 में पांच जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू की थी।
- 7 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के पक्ष में है।
- 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है।
- कोर्ट ने कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी।
- कोर्ट ने कहा, हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है।
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