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Amarnath Attack:...तो क्या इस वजह से हमले की जिम्मेदारी नहीं ले रहा लश्कर-ए-तैयबा
लखनऊ: अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के पीछे भले ही सुरक्षा एजेंसियां लश्कर-ए-तैयबा का हाथ मान रही हो लेकिन गौर करने वाली बात है कि इस आतंकी संगठन ने अब तक इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। आखिर क्यों?
जानकारों की मानें, तो पाकिस्तान पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पहले से ही वैश्विक दबाव है। इसी वजह से आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। बता दें, कि लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद पर कार्रवाई के लिए अमेरिका सहित दुनिया के कई देश पाकिस्तान पर खासा दबाव डाल रहे हैं।
पाकिस्तान पर बढ़ सकता है दबाव
अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक इंटेलिजेंस ऑफिसर के हवाले से बताया है कि 'लश्कर-ए-तैयबा की ओर से इस हमले की जिम्मेदारी न लिए जाने की एक बड़ी वजह यह भी है कि यह हमला सुरक्षा बलों की बजाय निहत्थे आम लोगों पर हुआ है। निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाए जाने से अंतरराष्ट्रीय जगत में इसकी तीखी आलोचना हो सकती है। इससे पाकिस्तान पर दबाव और बढ़ सकता है।'
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दबाव की वजह से ही नजरबंद हुआ था हाफिज
बता दें, कि वैश्विक दबाव में ही पाकिस्तान ने हाफिज सईद और जमात-उद-दावा के शीर्ष नेताओं को नजरबंद किया था। इसके बाद अप्रैल महीने में सरकार ने हाफिज की नजरबंदी को 30 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया था।
बोल रहे कुछ, रिपोर्ट में कुछ और
हालांकि, अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले को लेकर भले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा का हाथ होने की बात कही हो, लेकिन केंद्र को भेजी रिपोर्ट में उसने अज्ञात बंदूकधारियों का ही जिक्र किया है।
ये भी बड़ी वजह
जानकार ये भी बताते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल सहित अन्य आतंकी संगठन के अलावा घाटी के कट्टरवादी और अलगाववादी तबके के बीच भी इस यात्रा उतना महत्व नहीं दिया जाता रहा है। इसी कारण इस हमले को एक समुदाय के वर्चस्व वाली संस्कृति की कल्पना पर हमले के तौर पर देखा जाता रहा है। आतंकी संगठनों से सहानुभूति रखने वाले कट्टरवादी भी इस यात्रा को कश्मीर घाटी की संस्कृति के खिलाफ मानते रहे हैं।