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ऐसे थे देश के इकलौते मार्शल, मरते-मरते PM को देना चाहते थे सलामी!

इंडियन एयरफोर्स में फाइव स्टार रैंकिंग वाले मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार की शाम निधन हो गया। 98 साल की उम्र में दुनिया छोड़ने वाले अर्जन सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।

tiwarishalini
Published on: 17 Sept 2017 7:23 AM IST
ऐसे थे देश के इकलौते मार्शल, मरते-मरते PM को देना चाहते थे सलामी!
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लखनऊ: इंडियन एयरफोर्स में फाइव स्टार रैंकिंग वाले मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार की शाम निधन हो गया। उनकी मौत पर दुख जताते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया कि इतने गंभीर हालत में भी सिंह उनको सलामी देने का प्रयास कर रहे थे। हालांकि मैंने मना कर दिया था। 98 साल की उम्र में दुनिया छोड़ने वाले अर्जन सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।



मरते मरते पीएम को देना चाहते थे सलामी:

- उनसे मिलने पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण हॉस्पिटल गए थे।

- पीएम के वहां पहुंचने के कुछ देर बाद ही सिंह ने दम तोड़ दिया। प्रधानमंत्री ने उनके निधन का दुख जताया है।

- पीएम ने ट्विटर के जरिये बताया कि -कुछ समय पहले मैं उनसे मिला था। उनकी सेहत ठीक नहीं थी। फिर भी मेरे रोकने के बावजूद उन्होंने खड़े होकर सैल्यूट करने की कोशिश की। सेना का ऐसा अनुशासन उनके अंदर भर था।'

कौन है अर्जन सिंह?

- अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को फैसलाबाद, पाकिस्तान में हुआ था।

- 1938 को 19 साल की उम्र में उनका चयन पायलट ट्रेनिंग के लिए हुआ।

- 1944 में उन्हें स्क्वॉड्रन लीडर बनाया गया। उन्होंने अराकान कैंपेन के दौरान जपानियों के खिलाफ टीम का नेतृत्व किया।

नहीं रहे अर्जन सिंह, लेकिन मार्शल कभी रिटायर नहीं होता

15 अगस्त को मिला सुनहरा मौका

- आजादी के बाद 15 अगस्त 1947 को सिंह को दिल्ली के लाल किले के ऊपर से 100 IAF एयरक्राफ्ट्स के फ्लाई-पास्ट का नेतृत्व करने का मौका मिला।

- 1949 में उन्होंने एयर ऑफिसर कमांडिंग ऑफ ऑपरेशनल कमांड का जिम्मा संभाला। जिसे बाद में वेस्टर्न एयर कमांड कहा गया।

- अर्जन सिंह उस जंग के चीफ थे जिसमें एयरफोर्स ने पहली बार हिस्सा लिया था। ये जंग 1965 हुई थी। जिसमें उनके नेतृत्व में एयरफोर्स ने पाकिस्तानी फ़ौज पर हमला बोला था।

2002 में बने इकलौते मार्शल

- अर्जन सिंह को 2002 में एयरफोर्स का पहला और इकलौता मार्शल बनाया गया।

- वे एयरफोर्स के पहले फाइव स्टार रैंक अधिकारी बने। 1965 की जंग में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

उन्होंने भारतीय वायुसेना को सशक्त बनाने में अहम भूमिका अदा की और उसे विश्व की चौथी बड़ी वायुसेना बनाया।

- 27 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के निधन के बाद अंतिम दर्शन के लिए राष्ट्रपति और पीएम समेत कई नेता पहुंचे थे। अर्जन सिंह व्हीलचेयर पर उन्हें दर्शन करने पहुंचे थे। कलाम को देखते ही खुद चलकर पास आए और तनकर सलामी भी दी थी।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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