अटल की यादों को संजोने में जुटी केंद्र सरकार

Rishi
Published on: 22 Aug 2018 1:23 PM GMT
अटल की यादों को संजोने में जुटी केंद्र सरकार
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योगेश मिश्र

लखनऊ : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की तरह ही अटल बिहारी बाजपेयी का सरकारी आवास भी संग्रहालय में तब्दील होगा। दिल्ली में एक सड़क का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले का नाम अटल बिहारी बाजपेयी जिला रखने पर मंथन तेज हो गया है। मथुरा, बलरामपुर, लखनऊ और कानपुर में अटल बिहारी बाजपेयी की स्मृतियों को सहेजने के लिए उनके नाम पर कई संस्थाएं और सड़कों के नाम तो रखे ही जाएंगे साथ ही इन शहरों में भी उनकी यादों को सहेजने के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है इसे भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान उनके नाम लखटकिया पुरस्कार घोषित करेगा। राष्ट्रीय स्तर पर भी उनके नाम पर कुछ पुरस्कार देने की तैयारी दिख रही है।

कानपुर के जिस डीएवी कॉलेज में अटल जी पढ़ते थे उसका कायाकल्प होने वाला है। प्रधानमंत्री पद से हटने और राजनीति से संन्यास के बाद वह दिल्ली के 6 ए कृष्ण मेनन मार्ग पर रहने लगे थे जहा उन्होंने तकरीबन 10 साल गुजारे। इससे पहले वह 6 रायसीना मार्ग पर रहते थे वहां इन दिनों डॉ. मुरली मनोहर जोशी रहते हैं। सरकार 6 ए कृष्ण मेनन मार्ग को संग्रहालय में तब्दील करने जा रही है जहां उनके पत्र, उनकी किताबे, उनके सामान जनता के देखने के लिए रखे जाएंगे। इस भवन को संपूर्ण संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा।

अटल बिहारी बाजपेयी का रिश्ता मथुरा, लखनऊ, कानपुर और बलरामपुर से रहा है। वह बलरामपुर से एक बार और लखनऊ से पांच चुनाव जीत चुके हैं। बलरामपुर से वह 1957 में जीत कर संसद में पहुंचे थे। एक बार मथुरा से वह चुनाव लड़े पर जीत नहीं सके। 1991 से 2009 तक अटल जी लगातार पांच बार लखनऊ से लोकसभा के लिए चुने जाते रहे। बलरामपुर का नाम अटल बिहारी जिला हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

अटल जी के गांव बटेश्वर को भी सांसद गांव से बेहतर विकसित करने की योजना है। यह गांव आगरा में पड़ता है। सरकार लखनऊ में पहले ही उनके नाम पर चिकित्सा विश्वविद्यालय खोलने और शहीद पथ का नाम उनके नाम करने का ऐलान कर चुकी है। अटल जी का संबंध ग्वालियर से भी था। एक बार वह वह से चुनाव भी लड़े लेकिन जीत नहीं सके थे।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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