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अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जिरह के बाद 5 दिसंबर तक सुनवाई टाली

aman
By aman
Published on: 11 Aug 2017 10:31 AM GMT
अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जिरह के बाद 5 दिसंबर तक सुनवाई टाली
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नई दिल्ली: अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (11 अगस्त) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले से जुड़े दस्तावेज़ और गवाहियों के अनुवाद के लिए 12 हफ्तों का समय दिया है। मामले के एक पक्षकार रामलला विराजमान की मांग पर कोर्ट ने उन्हें चार हफ्तों का वक्त दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर तय की है। कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी पार्टी को अब आगे और मोहलत नहीं दी जाएगी और ना ही केस स्थगित किया जाएगा।

बता दें कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में दर्ज हैं, जिस पर सुन्नी वक्त बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेज़ों को अनुवाद कराने की मांग की थी।

तुषार मेहता ने रखा यूपी सरकार का पक्ष

शुक्रवार को हुई सुनवाई में यूपी सरकार की तरफ से एसोसिएट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखते हुए मामले की सुनवाई शीघ्र पूरी करने की मांग की। जबकि, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस बात पर आपत्ति जताई। सुन्नी वक्फ बोर्ड का कहना है कि बगैर उचित प्रक्रिया के यह सुनवाई की जा रही है।

सिब्बल ने भी रखा पक्ष

दूसरी तरफ, मामले में एक वादी सुब्रमण्यम स्वामी ने विवादित स्थल पर लोगों को पूजा करने का अधिकार देने की मांग की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सभी वादियों को यह स्पष्ट करने को कहा है कि कौन किसकी तरफ से पक्षकार है। इस पर सुन्नी बोर्ड की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, कि 'इस मामले के कई पक्षकारों का निधन हो चुका है, ऐसे में उन्हें बदलने की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा, कि इस मामले से जुड़े दस्तावेज कई भाषाओं में हैं, ऐसे में सबसे पहले उनका अनुवाद कराया जाना चाहिए।'

शिया वक्फ बोर्ड का पेंच

गौरतलब है, कि इस महत्वपूर्ण सुनवाई से ठीक पहले शिया वक्फ बोर्ड ने अदालत में अर्जी देकर मामले में नया पेंच डाला। शिया बोर्ड ने विवाद में पक्षकार होने का दावा किया था। बता दें, कि शिया वक्फ बोर्ड ने 70 साल बाद 30 मार्च 1946 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी करार दिया गया था।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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