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विपक्ष को लगेगा झटका! उपराष्ट्रपति चुनाव में भी अलग राह अपना सकते हैं नीतीश
नई दिल्ली: बिहार के सीएम नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्षी एकता को झटका दे सकते हैं। उनके रुख से ऐसा माना जा रहा है कि वे उपराष्टपति चुनाव में भी अलग राह अपना सकते हैं। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक नीतीश कुमार ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर होने वाली गैर एनडीए दलों की बैठक से दूर रहने का फैसला लिया है।
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नीतीश ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई बैठक से भी दूरी बना ली थी। विपक्षी दलों के अनुरोध पर भी वे राष्ट्रपति पद की गैर राजग उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन देने को तैयार नहीं हुए। अब उपराष्ट्रपति पद उनके इस रुख से विपक्षी दलों में खलबली मची हुई है।
सीबीआई छापे पर साधी चुप्पी
नीतीश पिछले कई दिनों से राजगीर में थे। वे राजगीर में अपना इलाज कराने के बाद रविवार को ही पटना लौटे हैं। इस बीच राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव व उनके परिजनों के ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई के छापे पड़े मगर नीतीश चुप्पी साधे रहे। उन्होंने इन छापों पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। नीतीश कुमार ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया है।
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इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि वे स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। राजनीतिक उठापटक के मौजूदा हालात में नीतीश की चुप्पी के निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को अपनी पार्टी की बैठक भी बुलाई है। नीतीश उसी दिन पटना से राजगीर गए थे जिस दिन समर्थन जुटाने के लिए विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार पटना पहुंची थीं। उनके इस कदम को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं फिजां में तैर रही थीं। मालूम हो कि नीतीश पहले ही राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।
तेजस्वी को हटाने का दबाव बढ़ा
लालू व उनके परिजनों के ठिकानों पर सीबीआई छापे के बाद नीतीश का कोई बयान न देना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि नीतीश की चुप्पी से लालू भीतर-भीतर नाराज भी हैं मगर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। इन छापों के बाद जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन खतरे में दिखने लगा है।
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम सीबीआई चार्जशीट में आने के बाद नीतीश पर भी उन्हें सरकार में बनाए रखने या बाहर करने को लेकर दबाव का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी लगातार यह मांग कर रहे हैं कि नीतीश तेजस्वी को अपने मंत्रिमंडल से बाहर करें।
पाक साफ राजनीति के हिमायती नीतीश इस बढ़ते दबाव के कारण पसोपेश में फंसे बताए जा रहे हैं। तेजस्वी को मंत्रिमंडल से बाहर करने पर राजद से उनका गठजोड़ टूटना तय है। यही कारण है कि सबकी नजर बिहार की राजनीति पर लगी हुई है।