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जयंती विशेष: गीता भी पढ़ी और पढ़ी थी कुरान, सादगी की मिसाल थे डॉ कलाम

Gagan D Mishra
Published on: 15 Oct 2017 7:55 AM IST
जयंती विशेष: गीता भी पढ़ी और पढ़ी थी कुरान, सादगी की मिसाल थे डॉ कलाम
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लखनऊ: कौन कहता है कि कि सपने पूरे नहीं होते हैं। सच तो यह है कि “आपको सपने सच होने से पहले सपने देखने होंगे।” ये सोचना था देश के उस महान इंसान का, जिनकी जिंदगी का हर एक कदम हमेशा युवाओं को प्रेरणा देता रहेगा। देश के जिस गौरवमयी पद पर वह आसीन रहे, उसकी उन्होंने बखूबी गरिमा बरकरार रखी। उनके पास लग्जरी जिंदगी जीने के ऑप्शन ही ऑप्शन थे लेकिन उन्हें तो सादगी से इश्क था।

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पूरी जिंदगी उन्होंने देश की सेवा में लगा दी और जब उन्होंने अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली, तब भी वह छात्रों को लेक्चर ही दे रहे थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं देश के सबसे सम्मानित और लोकप्रिय नेताओं में गिने जाने वाले डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की। आज उनकी 86वीं जयंती है।। कहा जाता है कि वे जाती-धर्म की बेड़ियों से परे थे, तभी तो वे कुरान और गीता दोनों पढ़ते थे अपने फॉलोवर्स को समय-समय पर जवाब देकर उन्हें मोटिवेट करते थे।

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डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम साहब का जीवन प्रेरणाओं से भरा रहा। वह जिंदगी में बड़ी-बड़ी चीजों को जीतते तो थे, लेकिन छोटी बातें भी उनके लिए बड़ा मायने रखती थी। बताया जाता है कि एक बार वह छात्रों को भाषण दे रहे थे और लाइट चली गई। इसपर उन्होंने बिना अपनी सिक्योरिटी की परवाह किए बच्चों के बीच पहुंचकर अपना भाषण पूरा किया।a p j abdul kalam

‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर हुए कलाम साहब को अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ एक बात का अफ़सोस रहा कि वह अपने पेरेंट्स को 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं करवा सके1 अखबार बेचने से लेकर राष्ट्रपति बनने तक डॉ कलाम की जिंदगी का हल पल मिसालों से भरा रहा। ऐसे महान इंसान की छतिपूर्ति तो नहीं हो सकती। लेकिन उनके विचारों से प्रेरणा तो हमेशा मिलती रहेगी बताते हैं।

आपको उनके फेमस विचार-

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मनुष्य के लिए कठिनाइयां बहुत जरुरी हैं क्योंकि उनके बिना सफलता का मजा नहीं लिया जा सकता।

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जब हम परेशानियों में फंसे होते हैं तो हमे एहसास होता है कि हमारे खुद के अंदर एक छुपा हुआ साहस है, जो कि हमे तब ही दिखाई देता है, जब हम असफलता का सामना करते हैं। हमें अपने उसी छिपे हुए साहस और शक्ति को पहचानना है।

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युवाओं को मेरा संदेश है कि अलग तरीके से सोंचें, कुछ नया करने की कोशिश करें, अपना रास्ता खुद बनाएं और असम्भव चीज को पाने की कोशिश करें।

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कलाम साहब कहते थे कि आसमान की ओर देखो हम अकेले नहीं हैं। जो लोग सपने देखते हैं और कठिन मेहनत करते हैं, उनके साथ तो पूरा यूनिवर्स है।

हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और कभी परेशानियों को हमे खुद को हारने नहीं देना चाहिए।

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जब तक पूरा भारत उठकर खड़ा नहीं होगा, दुनिया में हमारा कोई सम्मान नहीं होगा। इस दुनिया में डर की कोई जगह नहीं है केवल शक्ति की पूजा होती है।

newstrack.com मिसाइल मैन को उनकी 86वीं जयंती पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता है। और उनके व्यक्तित्व को सलाम करता है।



Gagan D Mishra

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