TRENDING TAGS :
BUDGET 2018: जानिए शिक्षा क्षेत्र को क्या मिला बजट में?
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े ऐलान किए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता अब भी एक बड़ी चुनौती है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर सरकार बड़ा काम करेगी। सरकार का बच्चों को स्कूल तक पहुंचाना बड़ा लक्ष्य रहेगा।
नई दिल्ली : 2018-19 के आम बजट में कृषि व चिकित्सा के बाद यदि किसी क्षेत्र पर जोर दिया गया है तो वह शिक्षा है। सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता की स्थिति पर अपनी चिंता का इजहार भी किया है। प्ले स्कूल से लेकर बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा को समग्र रूप से ध्यामन में रख कर एक शिक्षा नीति बनाने का संकेत देकर सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह अगले कुछ वर्षों में शिक्षा में आमूल चूल बदलाव लाने जा रही है। हर बच्चे को शिक्षित करने के अपने इस मिशन की पूर्ति के लिए वह अगले चार वर्षों में एक लाख करोड़ तक खर्च कर सकती है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में शिक्षा में डिजिटल तीव्रता बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयासों का जिक्र किया और कहा, ‘सरकार धीरे-धीरे ब्लैक बोर्ड से डिजिटल बोर्ड की ओर रुख करने का प्रस्ताव करती है।’ देखा जाए तो शिक्षा की गुणवत्तास में सुधार के लिए सरकार शिक्षा का विकेंद्रीकरण कर जिलावार रणनीति तैयार करने जा रही है जो कि एक अच्छी पहल होगी।
प्रमुख शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान एवं संबंधित बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए वित्त मंत्री ने बजट में ‘रीवाइटेलाइजिंग इन्फाशस्ट्राचर ऐंड सिस्टम्स इन एजुकेशन (आरआईएसई)’ नाम से एक प्रमुख पहल शुरू करने की घोषणा की है। जेटली ने कहा कि अगले चार वर्षों के दौरान इस पर कुल 1,00,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
उच्चरतर शिक्षा का उल्लेख करते हुए जेटली ने ‘प्राइम मिनीस्टर्स रिसर्च फेलोज (पीएमआरएफ)’ योजना शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने इंगित किया कि हर साल प्रमुख संस्थानों से एक हजार बेहतरीन बीटेक छात्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें आकर्षक फेलोशिप के साथ आईआईटी एवं आईआईएससी में पीएचडी करने के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। सेवाकाल के दौरान शिक्षकों के प्रशिक्षण की गंभीर प्रकृति का उल्लेवख करते हुए वित्त मंत्री ने शिक्षकों के लिए एक एकीकृत बीएड पाठ्यक्रम शुरू करने की बात कही।
वित्त मंत्री ने आदिवासी बच्चों के लिए उनके खुद के वातावरण में अच्छी शिक्षा मुहैया कराने की आवश्यकता का उल्लेख किया। जेटली ने कहा, ‘इस मिशन को पूरा करने के लिए वर्ष 2022 तक अनुसूचित जनजाति की 50 फीसदी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी वाले प्रत्येक ब्लाक में एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है। इन स्कूलों को नवोदय विद्यालय की तरह माना जाएगा और इनमें खेल एवं कौशल विकास प्रशिक्षण के अलावा स्थाानीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्धा होंगी।
इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस स्थापित करने की पहल का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि इसके बारे में 100 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमने वड़ोदरा में एक विशेष रेलवे यूनिवर्सिटी स्थापित करने के लिए भी कदम उठाए हैं।’ उन्होंने कहा कि आईआईटी एवं एनआईटी संस्थानों में स्वायत्तता स्कूल के तौर पर 18 नए स्कूनल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर (एसपीए) भी स्थापित किए जाएंगे।
हर परिवार के बुजुर्गों, विधवाओं, लावारिस बच्चों, दिव्यांगों एवं सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना द्वारा परिभाषित वंचित लोगों तक पहुंचने की आवश्यककता पर जोर देते हुए वित्ति मंत्री ने वृहत सामाजिक संरक्षा एवं सुरक्षा कार्यक्रम लागू करने का उल्लेख किया। उन्होंने इस साल राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के लिए 9975 करोड़ रुपये आबंटित करने की घोषणा की।
सरकार जिला स्तर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों को अपग्रेड कर 24 नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाएगी। इसके अलावा प्लानिंग और आर्किटेक्चर के संस्थान शुरू किए जाएंगे, साथ ही 18 नई आईआईटी और एनआईआईटी की स्थापना की जाएगी।
Next Story