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बाबरी केस: आडवाणी-जोशी-उमा समेत सभी आरोपियों पर चलेगा आपराधिक साजिश का केस
विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने आदेश दिया था कि सभी मुल्लिम व्यक्तिगत रुप से अदालत में उपस्थित रहेंगे। ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उनके खिलाफ आरोप तय किया जा सकें। उस दिन किसी भी मुल्जिम की हाजिरी माफी अथवा स्थगन अर्जी मंजूर नहीं की जाएगी।
लखनऊ: बाबरी मस्जिद केस में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने मंगलवार (30 मई) को लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी 12 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए। सभी आरोपियों पर सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में बुधवार से ट्रायल चलेगा।
जस्टिस एसके यादव की कोर्ट में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी रितम्भरा ने खुद को आरोपों से बरी किए जाने का आवेदन दिया, जिसे जस्टिस एसके यादव ने खारिज करते हुए इन सभी पर आपराधिक साजिश रचने का केस चलाने का फैसला दिया।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि अभियुक्त आडवाणी, जोशी, कटियार, डालमिया, उमा भारती, रितम्भरा के विरद्ध आईपीसी की धारा 120(बी) (आपराधिक साजिश रचने) और पूर्व सांसद रामविलास वेदांती, बैकुंठलाल शर्मा उर्फ प्रेम, चम्पत राय, नृत्य गोपालदास, धर्मदास और सतीश प्रधान के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 (बी), 153(ए) , 153(बी), 295, 295 (ए), 505, 506, 147 और 149 का आरोप तय किए जाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं।
इससे पहले आरोपियों के वकीलों ने आरोप खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने यह मांग ख़ारिज कर दी। सभी को इस मामले में कोर्ट से जमानत मिल गई। आरोपियों को 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई।
अभियुक्तों की ओर से उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी के तहत कोई अपराध न बनने की बात कह कर डिस्जार्च अर्जी दाखिल की गई जिसे कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 19 अप्रैल के आदेश का हवाला देकर खारिज कर दिया। वकील पी चक्रवर्ती, ललित सिंह और आर के यादव ने सीबीआई की ओर से पक्ष रखा। इसके बाद कोर्ट ने सभी पर आरोप तय किया।
आडवाणी ने पहले आरोपों पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया और कहा कि वे आरोपों को पूरी तरह नकारते हैं। बाद में, उन्हेाने अपना पक्ष लिखकर उस पर हस्ताक्षर किए। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि आरोपी विवादित ढांचे के लिए गिरने के लिए जिम्मेदार नहीं है। ये नेता भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहे थे।
जोशी और आडवाणी से वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मिलने पहुंचे योगी
मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी जब लखनऊ पहुंचे तो यूपी के सीएम योगी वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आडवाणी से मिलने पहुंचे। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया की पैरवी विमल कुमार श्रीवास्तव ने की।
उमा भारती ने कहा है कि ये ऐसा ही खुला आंदोलन था जैसा इमरजेंसी के खिलाफ हुआ था. इस आंदोलन में क्या साजिश थी, मुझे नहीं पता. कोर्ट जो भी फैसला देगा मुझे मंजूर होगा वहीं, साध्वी ऋतंभरा के मुताबिक मुझे उम्मीद है कोर्ट जल्द से जल्द इस मामले में निर्णय देगा। आरोप सीबीआई ने लगाए हैं। कोर्ट में तथ्य उनको पेश करने हैं। हमें कोर्ट पर भरोसा है।
क्या बोले साक्षी महाराज ?
बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण कोई रोक नहीं सकता। मैंने कोई अपराध नहीं किया। धरती की कोई ताकत अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण को नहीं रोक पाएगी। जिन्होंने राम मंदिर का विरोध किया था आज भी राम भक्त हो गए हैं। मुसलमान तो इसके लिए आगे आ रहे हैं।
ढांचा गिराने वालों में मैं भी था शामिल: वेदांती
वरिष्ठ हिंदुत्ववादी नेता महंत राम विलास वेदांती ने कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने वालों में वह भी शामिल थे। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की इसमें कोई भूमिका नहीं है। मैं अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हूं।
बीजेपी नेता विनय कटियार का कहना है कि मुलायम सिंह ने माना था कि गलती हुई। 16 लोग मारे गए थे, उनके खिलाफ भी मामला चलना चाहिए। जितनी भी साजिश कर ली जाए, कोई भी साजिश काम नहीं आने वाली।
और भी हैं आरोपी
विशेष अदालत ने इस मामले में महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास व डा. सतीश प्रधान को भी आरेाप तय करने के लिए तलब कर रखा है।
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विशेष अदालत ने पहले इन सभी मुल्जिमों पर आरोप तय करने के लिए 25 व 26 मई की तारीख तय की थी। लेकिन नियत तिथि पर डा. सतीश प्रधान के अलावा कोई मुल्जिम हाजिर नहीं हुआ था। सभी मुल्जिमों की तरफ से उनके वकीलों ने हाजिरी माफी व स्थगन की अर्जी दी थी।
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अदालत में रहेंगे हाजिर
विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने अर्जी मंजूर करते हुए सभी मुल्जिमों पर आरोप तय करने के लिए 30 मई की तारीख मुकर्रर की थी। साथ ही यह आदेश दिया था कि उस रोज सभी मुल्जिम व्यक्तिगत रुप से अदालत में उपस्थित रहेंगे। ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उनके खिलाफ आरोप तय किया जा सकें। उस दिन किसी भी मुल्जिम की हाजिरी माफी अथवा स्थगन अर्जी मंजूर नहीं की जाएगी।
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छह दिंसबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थीं। एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला ने, जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी।
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