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सीबीआई विवाद: सीवीसी की जांच में आलोक वर्मा के खिलाफ नहीं मिला ठोस सबूत: सूत्र

Aditya Mishra
Published on: 11 Nov 2018 9:02 AM IST
सीबीआई विवाद: सीवीसी की जांच में आलोक वर्मा के खिलाफ नहीं मिला ठोस सबूत: सूत्र
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नई दिल्ली: सीबीआई घूसकांड मामले में विवाद और तूल पकड़ने लगा है। इस मामले की जांच कर रहे केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के हाथ अभी तक खाली है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे 2 करोड़ रुपये की घूसखोरी के आरोपों की जांच कर रही सीवीसी को कुछ भी अहम सुराग हाथ नहीं लगा है। मालूम हो कि सीवीसी की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज ए. के. पटनायक की निगरानी में होने की बात कही गई थी। सरकार ने ही इस मामले की जांच बाद में सीवीसी को दी थी।

उसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जस्टिस पटनायक को चीफ बनाया था। सीवीसी जांच की आवश्यकता उस समय महसूस की गई जब सीबीआई के दो चीफ ऑफिसर्स (आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना) ने एक दूसरे पर करप्शन का आरोप लगाया था। विवाद बढ़ने पर 23 अक्टूबर को दोनों टॉप अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर को शिकायत दर्ज की थी। वहीं, अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ कैबिनेट सचिव को 24 अगस्त को शिकायत दी थी।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ कैबिनेट सचिव ने अस्थाना की कम्प्लेन को सीवीसी को बढ़ा दिया था। शिकायत में वर्मा, उनके करीबी अतिरिक्त निदेशक ए. के. शर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी। अस्थाना ने यह भी बताया कि कैसे कई आरोपियों को बचाने की कोशिश हुई। अस्थाना ने दावा किया कि हैदराबाद के व्यापारी सतीश बाबू सना ने मोइन कुरैशी केस से खुद को बचाने के लिए आलोक वर्मा को 2 करोड़ रुपये की घूस दी थी।

दूसरी तरफ, 4 अक्टूबर को जब सीबीआई ने सना को पकड़ा तो उसने अस्थाना के खिलाफ मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दे दिया। सना ने दावा किया कि 10 महीने में उसने अस्थाना को 3 करोड़ रुपये दिए हैं। फिर 15 अक्टूबर को CBI ने सना से 3 करोड़ की घूस लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया।

जांच में ये तथ्य आये आमने

सीवीसी की इनिशियल इन्क्वायरी शुक्रवार को पूरा कर लिया है। इसे फाइनल करके सोमवार को चीफ जस्टिस को हैण्डओभर कर दिया जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसमें अस्थाना की तरफ से दिए गये एविडेंस की इन्वेस्टिगेशन हुई है। जिसमें अस्थाना की ओर से लगाये गए आरोपों में कोई भी ठोस बात निकलकर सामने नहीं आई है। इन्वेस्टिगेशन में विजिलेंस कमिश्नर शरद कुमार, सीवीसी के. वी. चौधरी और टी. एम. भसीन को शामिल किया गया था।

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