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CBSE: 16,000 स्कूलों पर कसी नकेल, टीचरों का शोषण करने वाले अब नपेंगे
उमाकांत लखेड़ा
नई दिल्ली, ब्यूरो: सीबीएसई में पिछले दिनों नए चेयरमैन की नियुक्ति होते ही उन सभी प्राइवेट संबद्ध स्कूलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जो अपने यहां नियुक्त टीचरों को तय वेतनमान से कम तनख्वाह पर काम कराते हैं तथा उनसे अधिक मासिक वेतन पर हस्ताक्षर करवाते हैं। ऐसे स्कूलों को हिदायत जारी कर दी गई है, कि यदि उन्होंने नए आदेशों को नहीं माना, तो उनकी मान्यता निरस्त हो सकती है।
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सरकार की इस सख्ती की गाज 19,000 में से 16,000 स्कूलों पर पड़ सकती है, जो सीबीएसई से संबद्ध हैं। अब उन्हें वेतन सीधे अध्यापकों के खातों में इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के माध्यम से भेजनी होगी, जिससे कम वेतन देकर लाखों प्राइवेट टीचरों का वर्षों से चले आ रहे शोषण पर कुछ हद तक विराम लग सकेगा।
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लगातार मिल रही थी शिकायतें
सरकार को इस बात की लगातार शिकायतें मिलती रहती थीं, कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में बड़े पैमाने पर वेतन में फर्जीवाड़ा चल आ रहा है और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
आंतरिक फीडबैक से उजागर हुआ मामला
सूत्रों का कहना है, कि सीबीएसई की आंतरिक फीडबैक टीमों ने कई बार इस तरह की शिकायतों को उजागर किया था। विशेषज्ञों ने भी सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया था कि कम वेतन और शोषण की वजह से सीबीएसई से संबंद्ध स्कूलों में अध्यापक मन से नहीं पढ़ाते हैं। इसी कारण बड़ी तादाद में स्कूली बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाता है।
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करवाल के आते ही हो रहे बड़े सुधार
ज्ञात रहे, कि सरकार ने हाल में ही गुजरात कैडर की आईएएस अधिकारी अनिता करवाल को नया चेयरमैन बनाया था। उनके चार्ज संभालते ही सीबीएसई में बड़े पैमाने पर नए सुधारात्मक कदम उठाने की शुरुआत हो गई है।
मूल डिग्रियां रख लेते थे गिरवी
मानव संसाधान विकास मंत्रालय के पास बड़ी तादाद में ऐसी गंभीर शिकायतें आ रही थीं, कि सीबीएसई के प्राईवेट स्कूलों की मैनेजमेंट अपने यहां कार्यरत टीचरों की मूल डिग्रियां व दूसरे कागजात गिरवी रख लेते थे जिससे वे दूसरे स्थानों पर नौकरियां नहीं तलाश पाते थे। शोषण की इस परिपाटी से उनका अपना अध्यापन कैरियर भी अंधकार में चला जाता था।
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रेगुलर टीचर ही नियुक्त करने होंगे
सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कुछ अपवादों को छोड़कर निजी स्कूल प्रबंधकों को रेगुलर टीचर ही नियुक्त करने होंगे। साथ ही दसवीं व बारहवीं कक्षा के टीचरों के लिए अलग अलग नियमावलियां बनाने को कहा है। स्कूल प्रबंधनों को यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि अध्यापकों से अध्यापन के अलावा कोई दूसरा काम नहीं ले सकेंगे।