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तीन तलाक-बहुविवाह का केंद्र ने किया विरोध, SC में कहा- मुस्लिम देशों में चलन नहीं
नई दिल्लीः शुक्रवार को केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक का विरोध किया। केंद्र ने हलफनामा देकर कहा कि भारत में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु विवाह का इस्लाम में रिवाज नहीं है। सरकार ने तीन तलाक को महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताया। साथ ही ये भी कहा कि कई मुस्लिम देशों में सुधार कर इनका चलन खत्म कर दिया गया है।
केंद्र ने क्या कहा?
केंद्र ने हलफनामे में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु विवाह की वैधता का मुद्दा उठाया। साथ ही कहा कि लैंगिक भेदभाव खत्म करने, गरिमा और समानता के सिद्धांत के आधार पर विचार होना चाहिए। इनसे समझौता नहीं हो सकता। केंद्र ने ये भी कहा है कि महिलाओं को कानूनी अधिकार देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस्लामी देशों का दिया हवाला
केंद्र ने अदालत में ईरान, मिस्र, इंडोनेशिया, तुर्की, ट्यूनीशिया, मोरक्को, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान का हवाला दिया। हलफनामे में कहा कि इन देशों ने निकाह कानून में बदलाव किया है।
क्या है तीन तलाक और निकाह हलाला?
मुस्लिमों में तीन तलाक के तहत पति तीन बार तलाक बोलकर अपनी पत्नी को तलाक दे देता है। वहीं, निकाह हलाला के मुताबिक तलाकशुदा दंपति उस वक्त तक फिर से शादी नहीं कर सकते, जब तक कि महिला दोबारा शादी करने के बाद तलाक लेकर या फिर दूसरे पति की मौत के बाद अकेली नहीं हो जाती। बता दें कि शायरा बानो और कई अन्य ने मुस्लिमों में जारी इन प्रथाओं की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
क्या कहता है पर्सनल बोर्ड?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अदालत से याचिका खारिज करने की मांग की है। उसका कहना है कि शरीयत के मसले में अदालतों को दखल नहीं देना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था।
ट्रिपल तलाक के विरोध में उतरा आल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड
-तीन तलाक़ के खिलाफ आल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।
-बोर्ड तीन तलाक़ के विरोध में है उसका उसका मानना है की तीन तलाक़ कोई खेल नही है।शरीयत में महिला और पुरुषों को बराबर का हक़ दिया गया है।
-मुस्लिम ला बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है की ट्रिपल तलाक़ को जल्द से जल्द बैन किया जाए क्योंकि यह बिल्कुल संवैधानिक नही है।
ट्रिपल तलाक इस्तेमाल करने वालों को किया जाए दंडित
-बोर्ड शाइस्ता अम्बर ने कहा की जो लोग तीन तलाक़ का इस्तेमाल करते हैं उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए।
-उन्होंने कहा की कुरआन में साफ़ साफ़ लिखा है कि पति पत्नी की सुलह के लिए समय दिया जाना चाहिए।
-जब एक पुरुष तलाक़ देता है तो तो यह जरूरी है कि वो अपनी पत्नी से मश्वरा करें।
-उन्होंने तीन तलाक़ को मुस्लिम महिलाओं के ऊपर हर समय लटकता हुआ खंजर क़रार दिया है।
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तलाक में हो पति पत्नी की रज़ामंदी
आल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर शरीयत कानून के अनुसार तलाक़ लेते वक़्त पति पत्नी दोनों की रज़ामन्दी होने के साथ तीन गवाह भी होने चाहिए। उन्होंने कहा की शरीयत में शादी के बाद महिलाओं को खुला ( तलाक़ लेने )का अधिकार है, लेकिन उसके लिए पति की रज़ामंदी होनी ज़रूरी है। जबकि पत्नी की रज़ामंदी के बगैर पति के तीन तलाक़ कह देने तलाक़ हो जाता है। उनके मुताबिक यह भेदभाव कुरआन में तो नहीं तो इसको शरीयत से कैसे जोड़ दिया गया है
देश के कानून पर है भरोसा, जल्द मिलेगी महिलाओं को राहत
ट्रिपल तलाक़ के खात्मे के साथ बोर्ड ने निकाह हलाला पर भी पाबन्दी की मांग की है। जिसके तहत एक तलाक़शुदा मुस्लिम महिला को अपने पूर्व पति से दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी पड़ती है। शाइस्ता अम्बर का कहना है की उन्हें देश के कानून पर पूरी भरोसा है। ट्रिपल तलाक़ की वजह से महिलाओ की ज़िन्दगी जहन्नुम बन गई है। जिसके विरोध में मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने हाईकोर्ट से ट्रिपल तलाक़ पर रोक लगाने की मांग की है।