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अदालती वक्त की बर्बादी पर बिफरे चीफ जस्टिस, बोले- ऐसे में तो SC को बंद कर दें
नई दिल्ली: बगैर किसी ठोस वजह के वकीलों द्वारा सुनवाई टालने की गुहार पर चीफ जस्टिस जेएस खेहर बेहद नाराज हो गए। उन्होंने कहा, कि 'ऐसे में तो सुप्रीम कोर्ट की बंद कर दिया जाना चाहिए।' ज्ञात हो, कि चीफ जस्टिस जेएस खेहर पहले भी इस मामले पर अपनी नाराजगी का खुलकर इजहार कर चुके हैं।
दरअसल, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक के बाद एक दो वकीलों ने अपने-अपने मुकदमे की सुनवाई टालने की गुहार लगाई। इसके पीछे उन्होंने कोई ठोस वजह तक नहीं बताया। बस, यही चीफ जस्टिस खेहर को नागवार गुजरी। उन्होंने कहा, ‘ऐसे में तो सुप्रीम कोर्ट को बंद कर दिया जाना चाहिए।' साथ ही सुनवाई टालने से भी इनकार कर दिया।
पहले भी सख्ती दिखा चुके हैं चीफ जस्टिस
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट सहित देशभर के अन्य कोर्ट में लंबित मामलों का अंबार लगा है। इसी बोझ को कम करने के प्रयास में जुटे चीफ जस्टिस को सुनवाई टालना नागवार गुजरा। बात दें, कि चीफ जस्टिस खेहर अनुशासनप्रिय हैं और अपनी सख्ती के लिए जाने जाते हैं। खासकर, बेवजह अदालत का वक्त बर्बाद करने की कोशिशों पर वह कई बार अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
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ऐसा भी वाकया हुआ था
बीते साल जब जस्टिस खेहर एक पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे। उस वक़्त वो चीफ जस्टिस नहीं थे, उस दौरान भी शुरुआत के पांच मामलों में किसी न किसी कारणवश सुनवाई टालनी पड़ी थी। इस बात से जस्टिस जेएस खेहर और उनके साथी जज न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा इस कदर नाराज हो गए थे कि दोनों अदालत कक्ष से उठकर अपने-अपने चैंबर में चले गए थे। हालांकि, कुछ देर बाद दोनों अदालती कार्यवाही में शामिल हुए।
करीब 61,000 मुकदमे लंबित
इसी साल जनवरी में चीफ जस्टिस खेहर ने खुद जानकारी दी थी, कि सुप्रीम कोर्ट में करीब 61,000 मुकदमे लंबित हैं। उस वक्त उन्होंने कहा था, कि मुकदमों का निपटारा तेज गति से होगा। इसलिए उन्होंने सामाजिक न्याय के मुकदमों के निपटारे के लिए इससे संबंधित पीठ को सक्रिय किया था।