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ये हैं CJI दीपक मिश्रा के वो ऐतिहासिक फैसले, जिनसे मिली उन्हें प्रसिद्धि

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए दीपक मिश्रा ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। जस्टिस दीपक मिश्र ने सोमवार को भारत के 45वें चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया के तौर पर शपथ ली।

tiwarishalini
Published on: 28 Aug 2017 4:00 PM IST
ये हैं CJI दीपक मिश्रा के वो ऐतिहासिक फैसले, जिनसे मिली उन्हें प्रसिद्धि
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ये हैं CJI दीपक मिश्रा के वो ऐतिहासिक फैसले, जिनसे मिली उन्हें प्रसिद्धि

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए दीपक मिश्रा ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। जस्टिस दीपक मिश्र ने सोमवार को भारत के 45वें चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया के तौर पर शपथ ली। उन्होंने जे एस खेहर की जगह ली। 63 साल के जस्टिस दीपक की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर हुई। वह 13 महीने के कार्यकाल के बाद 2 अक्टूबर 2018 को रिटायर होंगे। जस्टिस दीपक मिश्रा अपने कई बड़े आदेशों को लेकर चर्चा में रहे।

मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार विस्फोट मामले के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही सुनाई थी। याकूब के मामले में आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में रात भर सुनवाई चली थी। सुप्रीम कोर्ट में रात के वक्त सुनवाई करने वाली बेंच की अगुवाई जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही की थी और दोनों पक्षों की दलील के सुनने बाद याकूब की अर्जी खारिज की गई थी और फिर तड़के उसे फांसी दी गई थी। इसके अलावा केरल के सबरीमाला मंदिर के द्वार महिला श्रद्धालुओं के लिए खोलने के आदेश भी जस्टिस मिश्र ने ही दिए थे। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में अयोध्या मामले की सुनवाई के स्पेशल बेंच बनाई गई।

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दीपक मिश्रा के बड़े फैसले

01. साल 2008 में एक चार साल की मासूम के साथ रेप और हत्‍या करने के मामले में जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने दोषी वसंत दुपारे की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दी थी। नागपुर के इस मामले में दुपारे को 2008 में रेप और हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई। दुपारे ने अपने पड़ोस की बच्ची को बहलाने और फुसलाने के बाद उससे रेप किया और फिर दो भारी पत्थरों से मारकर उसकी हत्या कर दी थी।

02. यूपी की मायावती सरकार की प्रमोशन में आरक्षण की नीति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले को बरकरार रखा। 27 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन देने से पहले सावधानी से जानकारियां जुटाई जाएं। यह फ़ैसला देने वाली दो जजों की बेंच दीपक मिश्र भी थे।

03. अपने ऐतिहासिक फैसले में 30 नवंबर, 2016 सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि पूरे देश में सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाया जाए और इस दौरान सिनेमा हॉल में मौजूद तमाम लोग खड़े होंगे। राष्ट्रगान के सम्मान में तमाम लोगों को खड़ा होना होगा।

04. 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने आपराधिक मानहानि के प्रावधानों की संवैधानिकता को बरकरार रखने का आदेश सुनाया। उसमें जस्टिस मिश्र भी शामिल थे। यह फ़ैसला सुब्रमण्यन स्वामी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और अन्य बनाम यूनियन के केस में सुनाया गया था।

बेंच ने स्पष्ट किया था कि अभिव्यक्ति का अधिकार असीमित नहीं है।

05. इसी साल 5 मई को बहुचर्चित निर्भया गैंग रेप केस में तीनों दोषियों की फांसी की सजा को जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने बरकरार रखा था। मिश्रा ने एक फैसले में दिल्ली पुलिस से कहा था कि वह एफआईआर दर्ज करने के 24 घंटे बाद उसे वेबसाइट पर अपलोड करे।

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कौन हैं दीपक मिश्रा ?

3 अक्टूबर 1953 में जन्मे दीपक मिश्रा ने फरवरी 1977 में वकील के तौर पर करियर की शुरुआत की थी। जस्टिस मिश्रा दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के तौर पर सेवा देने के बाद पदोन्नत होकर 10 अक्तूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। मिश्रा को ओडिशा हाईकोर्ट का एडिशनल जज साल 1996 में बनाया गया था और इसके बाद उनका तबादला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मार्च 1997 में हुआ था। साल 2009 में मिश्रा पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और इसके बाद वह दिल्ली हाईकोर्ट में मई 2010 में चीफ जस्टिस चुने गए।

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