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खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से थोक महंगाई दर में गिरावट....अच्छे दिन!
नई दिल्ली : खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेज कटौती से देश की थोक मुद्रास्फीति पर आधारित महंगाई दर में जून में रिकार्ड गिरावट देखी गई और यह 0.90 फीसदी दर्ज की गई।
आधिकारिक आंकड़ों से शुक्रवार को यह जानकारी मिली। इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने की उद्योग जगत की तरफ से मांग बढ़ गई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) नए संशोधित आधार वर्ष 2011-12 जून में 0.90 फीसदी रही, जबकि मई में यह 2.17 फीसदी थी।
मंत्रालय ने कहा, "मासिक डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति की सालाना दर जून में 0.90 फीसदी रही (साल 2016 के जून की तुलना में), जबकि पिछले महीने यह 2.17 फीसदी थी और यह पिछले साल के समान महीने में (-)0.09 फीसदी थी।"
मंत्रालय ने कहा, "चालू वित्त वर्ष में अब तक मुद्रास्फीति की दर (-)0.44 फीसदी रही है, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 3.71 फीसदी थी।"
वर्तमान डब्ल्यूपीआई का आधार साल 2004-05 के जून से संशोधित कर साल 2011-12 कर दिया गया है, जिसमें अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं है, इस प्रकार थोक स्तर पर मुद्रास्फीति में अस्थिरता घट गई है।
सालाना आधार पर प्राथमिक वस्तुओं पर खर्च का डब्ल्यूपीआई में कुल 22.62 फीसदी भार है। यह जून में (-)3.86 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले समान माह में यह 5.68 फीसदी के उच्च स्तर पर थी।
समीक्षाधीन माह में खाने पीने की चीजों के दाम में (-)3.47 फीसदी कमी आई।
प्याज की थोक महंगाई दर सालाना आधार पर घटकर (-)9.47 फीसदी और आलू की थोक महंगाई दर (-)47.32 फीसदी रही।
जून में सब्जियों की थोक महंगाई दर (-)21.16 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले के जून माह में यह 18.62 फीसदी थी।
वहीं, बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में भी जून में गिरावट दर्ज की गई और 1.54 फीसदी रही, जबकि मई में यह 2.18 फीसदी थी।
खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का मुख्य कारण खाद्य पदार्थो की कीमतों में तेज गिरावट रही, जिसमें दालें, सब्जियां प्रमुख रही।
फिक्की के अध्यक्ष पंकज आर. पटेल ने कहा, "इस हफ्ते जारी थोक और खुदरा कीमतों में व्यापक संतुलन देखा गया है। खाद्य मुद्रास्फीति पिछले कई महीनों से महत्वपूर्ण रूप से घटी है और आनेवाले समय में भी इनकी कीमतों में कमी का अनुमान है।"
उन्होंने कहा, "कीमतों में निरंतर सुधार अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर है और फिक्की का मानना है केंद्रीय बैंक को अब ब्याज दरों में कम से कम 50 आधार अंक की कटौती करनी चाहिए।"
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