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'हिंदुत्व जीने का तरीका' वाला फैसला दोषयुक्त : पूर्व पीएम मनमोहन

Anoop Ojha
Published on: 26 Sept 2018 8:31 AM IST
हिंदुत्व जीने का तरीका वाला फैसला दोषयुक्त : पूर्व पीएम मनमोहन
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के दिवंगत न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा द्वारा 1990 के दशक में दिए गए प्रसिद्ध मगर विवादास्पद फैसले 'हिंदुत्व जीने का तरीका' को दोषयुक्त बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि एक संस्थान के रूप में न्यायपालिका को, संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना की हिफाजत करने के प्राथमिक कर्तव्य की अपनी दृष्टि नहीं खोनी चाहिए। मनमोहन ने कहा कि यह काम पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है, क्योंकि राजनीतिक विवादों और चुनावी लड़ाइयों को धार्मिक रंगों, प्रतीकों, मिथों और पूर्वाग्रहों के साथ व्यापक रूप से घालमेल किया जा रहा है।

सिंह दिवंगत कम्युनिस्ट नेता ए.बी. बर्धन स्मृति व्याख्यान दे रहे थे। व्याख्यान का विषय था 'धर्मनिरपेक्षता और संविधान की रक्षा'।

पूर्व प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए न्यायमूर्ति वर्मा के फैसले की आलोचना की कि इसने एक तरह से एक प्रकार की संवैधानिक पवित्रता को नुकसान पहुंचाया, जो देश की राजनीतिक बातचीत में बोम्मई फैसले के जरिए बहाल हुई थी, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय पीठ ने यह व्यवस्था दी थी कि धर्मनिरपेक्षता, संविधान का एक बुनियादी ढांचा है।

मनमोहन ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के फैसले का गणराज्य में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों एवं प्रथाओं के बारे में राजनीतिक दलों के बीच जारी बहस पर एक निर्णायक असर डाला है।

सिंह ने कहा, "इस फैसले ने हमारी राजनीतिक बातचीत को कुछ असंतुलित कर दिया, और कई लोग मानते हैं कि निस्संदेह इस फैसले को पलटने की जरूरत है।"

--आईएएनएस



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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