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नोटबंदी के बाद 1 साल में क्या बदला देश, जानें बैंकों में ढेर हुआ कितना कैश

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Published on: 8 Nov 2017 4:34 AM GMT
नोटबंदी के बाद 1 साल में क्या बदला देश, जानें बैंकों में ढेर हुआ कितना कैश
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लखनऊ/नई दिल्ली: पिछले वर्ष से आज तक देश कितना बदल पाया? आज के ही दिन पिछले साल रात 8 बजकर 17 मिनट पर प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी। 50 दिनों तक देश लंबी-लंबी कतारों में लगा नजर आया। ऐसा देश ने पहले कभी नहीं देखा था। नोटबंदी कई परेशानियां, उम्मीदें और संशय लेकर आई। जानते हैं नोटबंदी से एक साल में देश कितना बदला है और यह अपने मकसद में कहां तक कामयाब रही?

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प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद बैंकों और एटीएम के आगे लगी लाइनें देश में नोटबंदी का सिंबल बन गईं। शुरुआती तीन महीनों तक बैंकों ने नोट बदलने के अलावा कोई दूसरा खास काम ही नहीं किया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के शुरुआती 10 दिनों में ही लाइन में 33 लोगों की मौत हो गई थी। नोटबंदी के दौरान 100 से ज्यादा मौतों के आकड़े सामने आये थे। इसके बाद महंगाई 8 महीने तक घटी, अब बढ़ी अक्टूबर 2016 में इन्फ्लेशन (सीपीआई) रेट 4.2% रहा, लेकिन नोटबंदी के एलान के बाद लगातार इसमें गिरावट आई। नवंबर में यह घटकर 3.63% हो गया, जबकि जून 2017 में घटकर 1.54 पर आ गया। नोटबंदी के बाद 8 महीने तक इन्फ्लेशन रेट गिरा। एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद महंगाई बढ़ने लगी है। सितंबर में यह 3.28% रही।

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नोटबंदी के पहले देश में एटीएम की संख्या बढ़ रही थी, लेकिन नोटबंदी के तुरंत बाद ज्यादातर एटीएम ठप पड़े रहे। एटीएम और बैंकों के सामने लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। लेकिन कुछ वक्त बाद कैश लेन-देन कम होने से बैंकों ने एटीएम लगाने कम कर दिए। नवंबर से सितंबर 2017 के बीच ब्रांच से दूर लगने वाले एटीएम की संख्या में 741 की कमी हुई। जून से अगस्त 2017 के बीच 358 एटीएम बंद हुए।

नोटबंदी के वक्त कहा गया था कि देश में तीन लाख करोड़ रुपए की ब्लैकमनी कैश के रूप में मौजूद है। सरकार ने 500 और 1000 रुपए के रूप में मौजूद 86% करंसी बंद कर दी, जिसका मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपए था। हालांकि, जनवरी में आई एक रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया कि हवाला के जरिए होने वाला लेनदेन नोटबंदी के बाद से 50% कम हुआ है।

नोटबंदी के बाद सरकार लगातार कन्फ्यूज नजर आई। नोटबंदी के शुरुआती 50 दिनों में सरकार ने 65 नियम बनाए। इससे जनता भी गफलत में और बेचैन रही। एटीएम से कितने रुपए निकाले जा सकते हैं? यही नियम आधा दर्जन बार बदला गया। सरकार ने पहले कहा था कि नोटबंदी का सबसे बड़ा मकसद काले धन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना है। लेकिन अब 99% नोट वापस आने के बाद सरकार कह रही है कि इसका मकसद डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देना था।

नोटबंदी के 53 दिनों में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 3185 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता लगाया। इसमें से कुल 428 करोड़ रुपए कैश के रूप में मिले। 1.48 लाख ऐसे लोग हैं, जिन्होंने 80 लाख रुपए से जमा जमा करवाए। संदिग्ध खातों की जांच का काम अभी चल ही रहा है।चार महीने में अलग-अलग सेक्टर्स में 15 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में सबसे ज्यादा नौकरियां गईं। अब सुधार आने की उम्मीद है। अब 2018-19 के फर्स्ट क्वार्टर से नई नौकरियां आना शुरू हो जाएंगी।

नोटबंदी का मकसद नकली नोटों पर लगाम लगाना भी था। लोकसभा में सरकार ने 7 फरवरी 2017 को जानकारी दी कि नोटबंदी के बाद 19.53 करोड़ रुपए के जाली नोट पकड़े गए, लेकिन नए नोट आने के बाद भी जाली नोट पकड़े जा रहे हैं, नकली नोट बनाने वाले फिर कामयाब हो रहे हैं।

जीडीपी: ग्रोथ 3 साल के निचले स्तर पर लगातार पांच क्वार्टर्स से ग्रोथ गिर रही है। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए आरबीआई ने पहले 7.3% ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था, लेकिन बाद में घटाकर 6.7% कर दिया है।

हाउसिंग: हाउसिंग लोन की ग्रोथ में करीब 7% की गिरावट आई। नाइट फ्रेंक के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर 2016 में 8 प्रमुख शहरों में एक साल पहले की तुलना में मकानों की बिक्री 41% कम हुई। नए प्रोजेक्ट 61% कम लॉन्च हुए। नए मकान की कीमतें 10% तक कम हुई। वहीं रीसेल वाले मकानों की कीमतें 25% तक कम हुई।

नोटबंदी के बाद बैंकों में कैश का ढेर लग गया। नतीजतन लोन इंटरेस्ट रेट में एक साल में 1% से ज्यादा की कमी आई है। जमा पर ब्याज में 0.5% की कमी आई। आने वाले वक्त में रिटेल इन्फ्लेशन रेट 5% के अंदर रहती है तो लोन इंटरेस्ट रेट में और कटौती हो सकती है। नोटबंदी के बाद 100 दिनों में 2.26 करोड़ नए जनधन खाते खुले। तीन महीनों में 19 हजार 84 करोड़ रुपए जनधन खातों में जमा हुए। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने अगस्त में कहा कि नोटबंदी के कारण जनधन योजना में खोले गए जीरो बैलेंस अकाउंट कम हुए हैं। सितंबर 2016 में 24.1% खाते जीरो बैलेंस थे, अगस्त 2017 में यह 21.41% रह गए।

जिस समय यह घोषणा की गयी थी उस समय किसान खरीफ की फसल बेचने की तैयारी में थे। अचानक नोटबंदी से उपज की कीमत 40% तक गिरी। एग्रीकल्चर और ट्रांसपोर्ट कैश में होने वाले कारोबार हैं। इसलिए कृषि उपज का 25% से 50% हिस्सा बिक ही नहीं पाया और डंप करना पड़ा। रबी की बुआई पर असर हुआ। नतीजतन किसानों पर कर्ज और बढ़ा। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक ने पिछले एक साल में किसानों के कर्ज माफ कर दिए हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में किसान कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं। कुछ राज्य किसानों के कर्ज माफ करने का एलान कर सकते हैं।

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