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धूमधाम से मना रहा पूरा देश 'दिवाली', अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व
नई दिल्ली: पूरा देश दिवाली का त्योहार धूमधाम से मना रहा है।यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठती है। कोई इस बार ग्रीन दिवाली मना रहा है तो कोई पटाखे फोड़कर दिवाली मनाने की तैयारी में है।
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अंधेरे से प्रकाश की ओर
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं
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राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के बाद लौटे थे अयोध्या
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली दीपों का त्योहार है।
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दूसरे देशों में भी मनाया जाता यह त्यौहार
दिवाली का यह त्योहार भारत के साथ कई दूसरे देशों में भी बनाया जाता हैं। अन्य देशों में भी अपनी मान्यताओं के अनुसार दिवाली का त्योहार मनाया जाता हैं और उनका अलग नाम दिया गया हैं।
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नेपाल और मॉरिशस में भारत की ही तरह दिवाली मनाई जाती है। खास बात यह है कि इस दिन यहां नई दुल्हन के हाथों से दीपक जलवाने की प्रथा है। इस दिन लोग घर में दीये जलाने के साथ माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए घर के बाहर रंगोली भी बनाते हैं। भारत की ही तरह इस दिन लोग एक दूसरे को त्योहार की बधाई और उपहार भी देते हैं।
श्रीलंका में दिवाली भगवान राम के हाथों रावण के वध के बाद विभीषण को लंका का राजा बनाया गया। विभीषण ने रावण वध के बाद लंका वासियों को बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में दीपोत्सव मनाने का आदेश दिया। जिसके बाद से श्रीलंका में अमावस्या के दिन दीपक जलाए जाते हैं।
ओनियो फायर
जापान जापान में ओनियो फायर नाम से एक फेस्टिवल मनाया जाता है।माना जाता है कि एक सप्ताह तक चलने वाला यह त्योहार बुरी आत्माओं को भगाने के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार में 6 बड़े फायर टॉर्च जलाए जाते हैं। बता दें, यह त्योहार फुकुओका समेत यहां के कई शहरों में जनवरी महीने की शुरुआत में मनाया जाता है।