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दिनोंदिन मजबूत होते गए भारत-इजराइल के रिश्ते, PM मोदी के लिए बाहें फैलाए खड़ा है साथी
लखनऊ: पीएम नरेंद्र मोदी 4 जुलाई से तीन दिन तक इजरायल के दौरे पर रहेंगे। चारों ओर से खाड़ी देशों से घिरे रहने वाले इस छोटे लेकिन ताकतवर देश के दौरे की हिम्मत किसी भी भारतीय पीएम ने अब तक नहीं दिखाई थी। कारण था खाड़ी देशों से भारत के अच्छे संबंध और तेल की आपूर्ति रुकने का डर। लेकिन नरेंद्र मोदी ने इन बातों को दरकिनार कर इजरायल का दौरा करना सही माना।
हालांकि, अब खाड़ी देशों की हालत पहले जैसे नहीं रही। पीएम का यह दौरा मुख्य रूप से सैन्य समझौतों को और प्रगाढ़ करने को लेकर ही माना जा रहा है।
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जानें 'इजरायल' के बारे में
अमेरिका ने 1947 में यूनानियों के लिए अलग देश बनाया, जिसे 'इजरायल' नाम दिया गया। लेकिन इस बात को अरब के नेताओं ने खारिज कर दिया। यही वजह रही, कि इजरायल को अरब देशों के साथ सालों लड़ाईयां लड़नी पड़ी। इजरायल की कुल आबादी 87 लाख 10 हजार से कुछ ज्यादा है। लेकिन लोग लड़ाके और महिलाएं मेहनती हैं, जो कभी भी अपने देश के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैं।
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ऐसे बने इजरायल से भारत के रिश्ते
भारत ने इजरायल को 1950 में मान्यता दी। पर कूटनीतिक संबंध 1992 में बने क्योंकि भारत इजरायल के धुरविरोधी फिलिस्तीन का समर्थन करता था। 1962 में चीन से हुए वार में इजरायल ने भारत को मोर्टार, मोर्टार रोधी उपकरण दिए थे। इजरायल ने 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में भारत को सैन्य साजो सामान मुहैया कराए। पूर्व पीएम मोरारजी देसाई ने 1977 में इजरायल से संबंध बेहतर किया। उस समय इजरायल के रक्षा मंत्री कई सीक्रेट ट्रिप पर भारत आए।
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बाद के पीएम ने भी बरकरार रखे रिश्ते
पूर्व पीएम राजीव गांधी 1985 में यूएन असेंबली से इतर इजरायली समकक्ष शिमोन पेरेज से मिले। यह दोनों देशों के प्रमुखों की पहली सार्वजनिक मुलाकात थी। पूर्व पीएम प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने 1992 में दोनों देशों के बीच चली आ रही झिझक को खत्म करते हुए इजरायल के साथ पूर्ण राजनीति रिश्ते शुरू किए। पहली बार 2003 में भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह इजरायल गए। प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ने 2015 में इजरायल का दौरा किया । ऐसा करने वाले वो देश के पहले राष्ट्रपति हैं ।
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कुछ समय से करीब आए हैं दोनों देश
पीएम मोदी का यह दौरा सैन्य लिहाज से काफी अहम बताया जा रहा है। भारत और इजरायल पिछले कुछ समय में एक-दूसरे के काफी करीब आए हैं। खासकर नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद। सिर्फ सैन्य ताकतों के हिसाब से ही नहीं कूटनीति के हिसाब से भी मोदी के इस दौरे की काफी अहमियत है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एयरपोर्ट पर मोदी के स्वागत के लिए मौजूद रहेंगे।
90 के दशक से मजबूत हुए संबंध
90 के दशक से ही भारत और इजरायल के बीच सैन्य संबंध मजबूत होते रहे हैं। पिछले एक दशक के दौरान दोनों देशों के बीच करीब 670 अरब रुपए का कारोबार हुआ। वहीं, मौजूदा समय में भारत सालाना करीब 67 अरब से 100 अरब रुपए के सैन्य उत्पाद इजरायल से आयात कर रहा है। ये आंकड़े इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत जनवरी, 1992 में हुई थी।
भारत हथियारों का बड़ा खरीददार
हालांकि, दोनों देशों के बीच रिश्ते को मज़बूती देने में इजरायल की हथियार बेचने की मंशा भी रही है। इसमें 1999 के करगिल युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए लेजर गाइडेड बम और मानवरहित हवाई वाहन शामिल रहे हैं। मुश्किल के समय में भारत के अनुरोध पर इजरायल ने लगातार भारत की मदद की है। भारत अभी भी इजरायल से काफी हद तक हथियार खरीदता है। मौजूदा समय में इजरायल मिसाइल, एंटी मिसाइल सिस्टम, यूएवी, टोह लेने वाली तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर सिस्टम, हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाली तकनीक और गोला-बारूद बड़ी मात्रा में भारत को मुहैया कराता है ।
चीन को किया था इनकार
भारत और इजरायल की बढ़ती दोस्ती से भारत से बैर रखने वाले कई देशों को दिक्कत हो रही है। इजरायल ने भारत को मिसाइल, एंटी मिसाइल सिस्टम, यूएवी, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, जैसी अहम तकनीक दी है। वहीं इससे उलट उसने चीन को अवाक्स सिस्टम बेचने से इनकार कर दिया था।
मोदी सरकार के आते ही हुए समझौते
मोदी सरकार के सत्ता में आने के कुछ ही महीनों बाद सितंबर, 2014 में भारत ने इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री की बराक- एक एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की घोषणा की थी, यह सबसे महत्वपूर्ण समझौतों में एक था। इस खरीददारी के लिए भारत को करीब 965 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। इससे पहले यूपीए सरकार इस समझौते से पीछे हट गई थी।
ट्रम्प से बड़ा जलसा
नेतन्याहू ने मोदी के लिए खास डिनर भी रखा है। इस दौरान नेतन्याहू, मोदी के साथ हर प्रोग्राम में मौजूद रहेंगे। मोदी का ये दौरा इस लिहाज से भी अहम है कि इसी साल दोनों देशों के बीच राजनीतिक रिश्तों के 25 साल भी पूरे हो रहे हैं। इजरायल का मीडिया लिख रहा है, 'भारतीय पीएम मोदी की यात्रा इतिहास रचने वाली है।' यह जलसा ट्रम्प से बड़ा होने जा रहा है। 11 मंत्रालयों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।'
यह ऐतिहासिक यात्रा है
नेतन्याहू कहते हैं कि 'भारतीय पीएम की यह ऐतिहासिक यात्रा है। 70 साल में अभी तक भारत का कोई पीएम इजरायल नहीं आया है। इस दौरे से दोनों देशों के मिलिट्री, इकोनॉमिक और डिप्लोमैटिक रिश्ते मजबूत होंगे। दोनों देशों के रिलेशन नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे।'
इस बार बैलेंस नहीं होगा दौरा
इजरायल दौरे से ठीक पहले और बाद में मोदी फिलीस्तीन नहीं जाएंगे। यह कदम भारत की पहले की पॉलिसी से उलट है। इससे पहले यह परंपरा थी कि भारतीय राजनेता बैलेंस बनाए रखने के लिए एक साथ दोनों देशों का दौरा करते थे। यह भारत का इजरायल के साथ अपने रिश्तों को खुलेआम स्वीकार करना जैसा है। यानी दोनों ही देश एक-दूसरे के हितों का इंटरनेशनल मंच पर बात रखेंगे। दोनों देश फ्री ट्रेड पर आगे बढ़ रहे हैं। इससे 'मेक इन इंडिया' को फायदा मिलेगा।
इजरायली मीडिया पीएम मोदी के दौरे के एक सप्ताह पहले से ही उनके गुणगान में लगा है । वहां के अखबारों ने मोदी को दुनियां के सबसे मजबूत देश का पीएम बताते हुए तारीफ की है ।